‘सीमांत भागों तक विज्ञान, नवाचार एवं पर्यावरणीय कार्य सराहनीय’

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यूकॉस्ट ने “माँ धरा नमन” कार्यक्रम का आयोजन किया

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट), देहरादून द्वारा आंचलिक विज्ञान केन्द्र, देहरादून के सभागार में पर्यावरण संरक्षण तथा पृथ्वी के संरक्षण के प्रति समर्पित “माँ धरा नमन” कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तराखंड प्रांत के प्रांत प्रचारक डॉ शैलेंद्र ने कहा कि यूकॉस्ट द्वारा राज्य के सीमांत भागों तक विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार एवं पर्यावरणीय कार्यक्रमों का सफल आयोजन अत्यंत सराहनीय है । डॉ शैलेंद्र ने कहा कि यूकॉस्ट द्वारा हिमालयी क्षेत्र में अवस्थित सीमांत भाग के विद्यार्थियों को विज्ञान से जोड़ने की पहल राष्ट्र निर्माण की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि हम सभी को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में स्वदेशी तकनीक एवं ज्ञान विज्ञान परंपराओं के साथ आगे बढ़ना है । उन्होंने कहा कि संघ शताब्दी वर्ष, पर्यावरणविद् श्रीमती गौरा देवी जी के जन्म शताब्दी वर्ष एवं उत्तराखंड राज्य के रजत जयंती वर्ष में हम सभी को “पंच परिवर्तन” के संकल्प के साथ आगे बढ़ना है और ‘पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों’ एवं “मां धरा नमन कार्यक्रम” के उद्देश्यों को लेकर सामाजिक सहयोग से कार्य करना है।

कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर यूकास्ट के महानिदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए अपने संबोधन में कहा कि यूकॉस्ट द्वारा राज्य के 100 जल स्रोतों की स्वच्छता, संरक्षण एवं संवर्धन ; 100 पर्यावरण युक्त विद्यालय; राज्य में 100 स्टेम प्रयोगशालाओं का सफल संचालन; राज्य के विभिन्न शिक्षण संस्थानों से 100 बाल वैज्ञानिकों का चयन एवं उनकी मेंटरिंग, तथा 100 भारतीय ज्ञान विज्ञान नवाचार परंपरा विषयक व्याख्यान कार्यक्रमों का आयोजन किए जाने का संकल्प लिया गया है। प्रोफेसर पंत ने कहा कि यूकॉस्ट निरंतर राज्य के विद्यार्थियों को विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार आधारित गतिविधियों से जोड़ने का कार्य कर रहा है। प्रो. दुर्गेश पंत ने कहा कि हम हिमालय में हैं और हिमालय के बिना हमारा अस्तित्व संभव नहीं है। धरा, जल, वायु और प्रकृति के संरक्षण हेतु हम सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ‘आरो वैली आश्रम’ रायवाला, हरिद्वार के पूज्य स्वामी ब्रह्मदेव जी ने अपने संबोधन में कहा कि हम सभी को प्रकृति के अनुरूप अपने दैनिक व्यवहार व विचारों में परिवर्तन लाना है और प्रकृति की अनुकूल ही समस्त क्रियाकलापों को संपादित करना है । उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति पर्यावरण संरक्षण की संस्कृति रही है। प्रकृति का संरक्षण ही भगवान की पूजा है।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित पर्यावरणविद् पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ‘मैती’ ने हिमालय के प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर कार्य करने का आह्वान किया। पर्यावरण गतिविधि के प्रांत संयोजक एवं विशिष्ट अतिथि पर्यावरणविद् श्री सच्चिदानंद भारती ने मां धरा नमन कार्यक्रम से पूरे प्रदेश में विद्यार्थियों एवं आम जनमानस को जोड़ने का आह्वान किया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित श्री सुरेंद्र मित्तल ने अपने संबोधन में भारतीय संस्कृति की ज्ञान विज्ञान परंपरा, प्राचीन पर्यावरण आधारित जीवन शैली पर फोकस करते हुए, प्लास्टिक की समस्या से निजात पाने के लिए अन्य विकल्पों के साथ ही सभी को मिलकर कार्य करने का आह्वान किया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी अतिथियों द्वारा साइंस सिटी के अंतर्गत निर्माण कार्यों का भ्रमण तथा बायोडायवर्सिटी पार्क में विभिन्न फलदार एवं औषधीय पौधों का रोपण भी किया गया।

कार्यक्रम में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि व अन्य संस्थाओं के सहयोग से जुलाई माह में आयोजित की गई “नेशनल स्टूडेंट पर्यावरण कंपटीशन (NSPC) प्रतियोगिता में देहरादून जनपद में शत प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले 20 विद्यार्थियों , प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह तथा इस प्रतियोगिता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले विभिन्न शिक्षण संस्थानों के 20 एजुकेशन नोडल ऑफिसर शिक्षकों को प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह अतिथियों द्वारा प्रदान किए गए।

संपूर्ण कार्यक्रम में 15 शिक्षण संस्थाओं से लगभग 200 विद्यार्थियों, शिक्षकों, एवं पर्यावरण प्रहरियों द्वारा प्रतिभाग किया गया । कार्यक्रम का संचालन यूकास्ट के वैज्ञानिक एवं कार्यक्रम समन्वयक डॉ भवतोष शर्मा द्वारा एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर मंजू सुंदरियाल वैज्ञानिक यूकास्ट द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से यूकास्ट के वैज्ञानिक व केंद्र प्रभारी डॉ ओमप्रकाश नौटियाल, डॉ राजेंद्र सिंह राणा, विकास नौटियाल, संतोष रावत, शिक्षाविद डॉ रीमा पंत, प्रो गुलशन कुमार ढींगरा, प्रो विजय पांडे, एमिरेट्स वैज्ञानिक विनोद ओझा, डॉ पीयूष गोयल, दीपक जोशी, अनुराग त्रिपाठी, स्वामी चंद्रा, नीरज उनियाल तथा आंचलिक विज्ञान केंद्र के समस्त वैज्ञानिक एवं टेक्निकल स्टाफ आदि उपस्थित रहे।

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