भारतीय संस्कृति और विज्ञान का अनूठा संगम: नई शुरुआत

आईजीएनसीए का समझौता ज्ञापन विज्ञान और भारतीय संस्कृति का एकीकृत मंच का आईजीएनसीए में पीजी डिप्लोमा कार्यक्रम शुरू, अनुभवात्मक शिक्षा पर जोर आपका अखबार ब्यूरो। केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय के स्वायत्त संस्थान इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र न्यास (आईजीएनसीए) ने लखनऊ स्थित विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के स्वायत्त संस्थान बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज (बीएसआईपी) के साथ […] The post भारतीय संस्कृति को विज्ञान से जोड़ने की अनूठी पहल first appeared on Apka Akhbar.

भारतीय संस्कृति और विज्ञान का अनूठा संगम: नई शुरुआत
भारतीय संस्कृति को विज्ञान से जोड़ने की अनूठी पहल

भारतीय संस्कृति और विज्ञान का अनूठा संगम: नई शुरुआत

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कम शब्दों में कहें तो, भारतीय संस्कृति और विज्ञान को एकता के सूत्र में बांधने की दिशा में एक महत्वाकांक्षी पहल की गई है। इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र न्यास (आईजीएनसीए) और बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज (बीएसआईपी) के बीच हाल ही में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन से भारतीय संस्कृति को विज्ञान के माध्यम से एकीकृत करने हेतु एक नई शुरुआत हो रही है।

समझौता ज्ञापन का महत्व

यह समझौता ज्ञापन आईजीएनसीए में एक नई पीजी डिप्लोमा कार्यक्रम का उद्घाटन करेगा, जो अनुभवात्मक शिक्षा पर जोर देगा। यह महत्वपूर्ण पहल विद्यार्थियों को विज्ञान और भारतीय संस्कृति के अंतर्संबंध को समझने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगी। इस कार्यक्रम के तहत छात्रों को भारतीय संस्कृति में विद्यमान विज्ञान के मूलभूत तत्वों को समझने के लिए शोध और व्यावहारिक अनुभव का सहारा मिलेगा।

अनुभवात्मक शिक्षा का महत्व

अनुभवात्मक शिक्षा की प्रक्रिया छात्रों में ज्ञान को समृद्ध करने के साथ-साथ उन्हें वास्तविक जीवन के अनुभव भी प्रदान करती है। यह विधि विद्यार्थियों को उनके आस-पास की दुनिया को गहराई से समझने में सहायता करती है। आगामी शैक्षणिक सत्र में, अध्ययन केवल थ्योरी पर निर्भर नहीं करेगा, बल्कि एक प्रायोगिक दृष्टिकोण से भी किया जाएगा, जिससे छात्रों की आलोचनात्मक सोच विकसित होगी।

संस्कृति और विज्ञान का संगम

भारतीय संस्कृति और विज्ञान का संगम न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संवारता है, बल्कि यह युवा पीढ़ी को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने और अपने सांस्कृतिक मूल्यों को समझने में भी मदद करता है। इस कार्यक्रम के माध्यम से आईजीएनसीए का लक्ष्य है कि विद्यार्थी अपनी सांस्कृतिक पहचान के साथ-साथ विज्ञान के प्रति भी जागरूक हों।

समाज पर प्रभाव

यह पहल न केवल शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि समाज में वैज्ञानिक चिंतन और सांस्कृतिक जागरूकता को भी बढ़ावा देने का कार्य करेगी। इससे भारतीय संस्कृति में एक नई ऊर्जा का संचार होगा। इस प्रकार की पहलों से न केवल शैक्षणिक संस्थानों को बल्कि समग्र समुदाय को भी लाभ पहुंचेगा।

निष्कर्ष

आईजीएनसीए और बीएसआईपी के बीच इस समझौते का लक्ष्य संवाद को बढ़ावा देना और भारतीय संस्कृति तथा विज्ञान के बीच एक समन्वय स्थापित करना है। यह संयुक्त प्रयास शोध एवं विकास को गति देने में सहायक बनेगा, जो आगे चलकर छात्रों और विद्वानों के बीच विचारों के आदान-प्रदान का सृजन करेगा।

इस प्रकार, भारतीय संस्कृति और विज्ञान के संबंध में यह अनूठी पहल हमारे समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को विज्ञान के आधुनिक दृष्टिकोण से जोड़ने का एक प्रेरणादायक उदाहरण है। इसे संचालित करते हुए, आने वाली पीढ़ियों को अपने सांस्कृतिक मूल्यों को समझते हुए, विज्ञान के क्षेत्र में भी अपने योगदान के लिए प्रेरित किया जाएगा।

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सादर, टीम द ओड नारी