भारत सरकार का रॉयटर्स की बेरोजगारी रिपोर्ट पर कड़ा जवाब: आंकड़ों की वास्तविकता
आपका अखबार ब्यूरो। भारत सरकार ने रॉयटर्स की उस रिपोर्ट का कड़ा खंडन किया है, जिसमें देश के बेरोजगारी आंकड़ों की सटीकता पर सवाल उठाए गए थे। 22 जुलाई 2025 को प्रकाशित रॉयटर्स के लेख में यह दावा किया गया था कि भारत में आधिकारिक बेरोजगारी आंकड़े भरोसेमंद नहीं हैं और यह राय लगभग 50 […] The post रॉयटर्स की बेरोजगारी रिपोर्ट भ्रामक क्यों, सरकार ने तथ्य बताए first appeared on Apka Akhbar.

भारत सरकार का रॉयटर्स की बेरोजगारी रिपोर्ट पर कड़ा जवाब: आंकड़ों की वास्तविकता
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लेखक: साक्षी शर्मा, टीम The Odd Naari
भारत सरकार की स्पष्टता
कम शब्दों में कहें तो, भारत सरकार ने रॉयटर्स की उस विवादास्पद रिपोर्ट पर कड़ा विरोध जताया है, जिसमें देश के बेरोजगारी आंकड़ों की वैधता पर सवाल उठाए गए थे। रॉयटर्स ने 22 जुलाई 2025 को एक लेख प्रकाशित किया था। इस लेख में दावा किया गया था कि भारत के आधिकारिक बेरोजगारी आंकड़े वास्तविकता के अनुरूप नहीं हैं।
रिपोर्ट का संदर्भ और इसके दावे
रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में बेरोजगारी की दर बढ़ रही है, जिसमें विशेष रूप से युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि सरकारी आंकड़े राजनीतिक दबाव के कारण अविश्वसनीय हो सकते हैं। ऐसे दावे न केवल भारत की छवि को प्रभावित कर सकते हैं, बल्कि इससे विदेशों में निवेश के माहौल पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
सरकार की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने तर्क दिया है कि रॉयटर्स की रिपोर्ट गलत और भ्रामक है। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा है कि भारत में बेरोजगारी के आंकड़े अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं और तेजी से बदलती अर्थव्यवस्था को सही ढंग से दर्शाते हैं। सरकार के अनुसार, विशिष्ट आंकड़ों के आधार पर यह स्पष्ट है कि पिछले कुछ वर्षों में रोजगार सृजन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
अर्थव्यवस्था की वास्तविकता
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि बेरोजगारी के आंकड़े कुछ क्षेत्रों में अधिक हो सकते हैं, लेकिन यह केवल एक हिस्सा है। सरकार ने कौशल विकास, रोजगार मेले और स्टार्टअप्स के लिए अनुदान जैसी कई योजनाओं को लागू किया है। इन योजनाओं के माध्यम से लाखों लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं।
स्वास्थ्य और भलाई पर प्रभाव
बेरोजगारी का मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। जब युवा कार्यरत नहीं होते हैं, तो सामाजिक समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। इसलिए, रोजगार के अवसरों का सृजन न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि युवा पीढ़ी के सामाजिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि रॉयटर्स की रिपोर्ट तथ्यों के आधार पर नहीं है। भारत सरकार ने इस विषय पर सूचना प्रदान की है जो बताती है कि बेरोजगारी की स्थिति नियंत्रण में है। यह सभी मीडिया संस्थानों की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने दावों को तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत करें और देश की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डालने से बचें।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि सरकार के प्रयासों से रोजगार के अवसरों का निर्माण किया जा रहा है, जो समाज के सभी वर्गों के लिए लाभकारी होगा। रोजगार के दृश्य पर सटीक जानकारी महत्वपूर्ण है और इसे सभी को साझा करना चाहिए।
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