बिहार चुनाव: नीतीश कुमार की योजनाओं से महिला वोटर बनेंगी असली 'गेमचेंजर'?
भारत में चुनाव सिर्फ़ राजनीतिक रैलियों, घोषणापत्रों और सोशल मीडिया पर चर्चाओं में ही नहीं जीते या हारे जाते। घरों, रसोई और दफ़्तरों में, एक खामोश मतदाता वर्ग मतदान के दिन से पहले अपनी पसंद और प्राथमिकताओं पर चर्चा करता है। यह वर्ग कोई और नहीं, बल्कि महिला वर्ग है। इस साल बिहार में चुनाव होने है। ऐसे में महिला मतदाता वहां हमेशा की तरह इस बार भी अहम भूमिका निभाने वाली हैं। चुनाव दर चुनाव, महिला मतदाता राजनीतिक दिग्गजों की जीत और हार में एक अहम कारक बनकर उभरी हैं। और यह बात बिहार में सबसे ज़्यादा सच है, जहाँ मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी के कदम ने उन्हें महिला मतदाताओं का समर्थन दिलाया और सत्ता में उनकी लंबी दौड़ सुनिश्चित की। इसे भी पढ़ें: मुख्यमंत्री ने गयाजी में पितृपक्ष मेला महासंगम-2025 की तैयारियों की समीक्षा की, अधिकारियों को दिये आवश्यक निर्देशवर्तमान में देखें तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनावी प्रचार से ज्यादा अपनी योजनाओं को जमीन पर उतारने में व्यस्त नजर आ रहे हैं। विपक्ष जहां बयानबाजी और प्रचार में लगा है, वहीं नीतीश कुमार "काम बोलता है" के सिद्धांत पर चलते हुए लगातार महिलाओं को केंद्र में रखकर नई सौगातें दे रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सीएम ने पहले ही अपनी रणनीति तय कर ली थी। यही वजह है कि अब वो उन योजनाओं को लागू कर रहे हैं, जिन्हें उन्होंने महिला संवाद यात्रा के दौरान महसूस किया था। माना जा रहा है कि आने वाले चुनाव में महिला मतदाता ही असली गेमचेंजर साबित होंगी।सीएम नीतीश ने की 7 बड़ी घोषणाएं बीते दो महीनों के दौरान सीएम नतीश कुमार ने ऐसी 7 बड़ी घोषणाएं की हैं, जो महिलाओं को सीधे लाभ पहुंचाने वाली हैं। इन योजनाओं के जरिए नीतीश कुमार ने रोजगार, आर्थिक सशक्तिकरण, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य सहित महिलाओं के हर पहलू को छूने की कोशिश की है। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह रणनीति बेहद सोच-समझकर बनाई गई है। जिसमें सीधे तौर पर महिला वोट बैंक को साधने की कोशिश माना जा रहा है।जीविका दीदियों को राहत और प्रोत्साहनमुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनावी साल में ग्रामीण महिलाओं को साधने के लिए बड़ा कदम उठाया है। इस कदम के तहत 1.40 लाख जीविका कर्मियों का मानदेय दोगुना कर दिया है। इसके अलावा बैंक ऋण पर ब्याज दर 10 फीसद से घटाकर 7 फीसद कर दिया है। जो महिलाओं के बड़े समूह को लाभांवित करने वाला है। इस फैसले को ग्रामीण महिलाओं के लिए सीएम नीतीश कुमार का चुनावी मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।मुख्यमंत्री कन्या विवाह मंडप योजनाराज्य सरकार की ओर से 8,053 ग्राम पंचायतों में विवाह मंडप के निर्माण के लिए 50 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई। इन मंडपों के संचालन और देखरेख की जिम्मेदारी ग्रामीण महिलाओं को ही सौंपी जाएगी। जिससे उन्हें आर्थिक लाभ तो होगा ही महिलाओं में नेतृत्व क्षमता बढ़ेगी और सामाजिक जरूरतों में उनकी भागीदारी भी मजबूत होगी। रणनीतिकारों की माने तो ये महिला सशक्तिकरण का अहम कदम माना जा रहा है। साथ ही चुनाव के लिहाज से भी अहम है।आशा और ममता कार्यकर्ताओं को लाभबताते चलें कि आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय 1,000 रुपये से बढ़ाकर 3,000 रुपये किया गया। ममता कार्यकर्ताओं का मानदेय 300 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये कर दिया गया। आशा फैसिलिटेटर के मानदेय में भी बढ़ोतरी की गई है। इस बढ़ोतरी के जरिए सीधे तौर पर 1 लाख 20 महिलाओं को लाभांवित किया गया। बताते चलें वर्तमान में बिहार में 91,094 आशा कार्यकर्ता, 4,364 आशा फैसिलिटेटर और 4,600 ममता कार्यकर्ता कार्यरत हैं। इसके अलावा, 29,000 नई आशा कार्यकर्ताओं की बहाली प्रक्रिया में है। इन सभी को मिलाकर राज्य का यह नेटवर्क करीब 1.20 लाख महिलाओं का होता है। आंगनबाड़ी सेविकाओं को डिजिटल सहयोगसरकार की ओर से आंगनबाड़ी सेविकाओं को मोबाइल खरीदने के लिए 11,000 रुपये की सहायता दी जा रही है। यह कदम डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाने और महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है। जानकारों की मानें तो महिला संवाद के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने इस जरूरत को महसूस की। जो अब अहम दांव साबित हो रहा है।मुख्यमंत्री महिला स्वरोजगार योजनासीएम नीतीश कुमार के फोकस सीधे तौर पर महिलाएं हैं। मुख्यमंत्री महिला स्वरोजगार योजना के तहत भी बिहार के सभी परिवार की एक महिला को साधने का प्रयास किया गया। इस योजना के तहत 20,000 करोड़ रुपये का फंड बना दिया गया है। ताकि हर परिवार से एक महिला को 10,000 का अनुदान दिया जा सके। जिसे लौटाना भी नहीं होगा। यदि महिलाएं सफलतापूर्वक अपना व्यवसाय करने में सफल हुईं तो 6 महीने बाद 2 लाख रुपये का ऋण भी प्राप्त कर सकेंगी। ऐसे में ये योजना राजनीतिक और सामाजिक रूप से भी काफी अहम मानी जा रही है। अब देखने वाली बात होगी, ये योजना महिलाओं को वोट बैंक के रूप में कितना प्रभावित कर पातीं हैं।रसोइयों का मानदेय किया दोगुनाइधर, महिलाओं को ही फोकस कर विद्यालयों में कार्यरत रसोइयों का मानदेय 1,600 से बढ़ाकर 3,300 रुपये कर दिया गया है। चूंकि इस काम में ज्यादातर महिलाएं ही जुड़ी हैं, इसलिए यह फैसला भी महिला वोटरों को सीधे प्रभावित करेगा। ऐसे में ये माना जा रहा है। सीएम नीतीश कुमार की ओर से हाल में लिए गए फैसले आगामी चुनाव पर बड़ा असर डालेंगे।महिला आरक्षण और महिला डोमिसाइल नीतिनीतीश कुमार पहले से ही महिला आरक्षण 50 फीसद आरक्षण की बात कर रहे हैं। लिहाजा पंचायतों और नगर निकायों में 50 फीसद का आरक्षण पहले से था। सरकारी नौकरियों में 35 फीसद का आरक्षण भी तय है। लेकिन अब सीएम नीतीश कुमार ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35 फीसद का आरक्षण का प्रावधान भी कर दिया। इसके अलावा शिक्षक बहाली में डोमिसाइल नीति को भी लागू कर दिया। जो महिलाओं को सीधे तौर पर महिलाओं को रोजगार और आत्मनिर्भरता की गारंटी देता है। इसे भी पढ़ें: बिहार विधानसभा चुना

बिहार चुनाव: नीतीश कुमार की योजनाओं से महिला वोटर बनेंगी असली 'गेमचेंजर'?
Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - The Odd Naari
कम शब्दों में कहें तो बिहार में होने वाले आगामी चुनावों में महिला वोटर्स का योगदान निर्णायक साबित होने वाला है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस समूह को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा की है।
भारतीय चुनाव केवल राजनीतिक रैलियों, घोषणापत्रों और सोशल मीडिया की चर्चाओं में ही नहीं जीते जाते। घरों, रसोई और दफ्तरों में एक खामोश मतदाता वर्ग मतदान के दिन से पहले अपनी पसंद और प्राथमिकताओं पर चर्चा करता है। इस वर्ग में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका महिलाओं की है। इस बार के चुनावों में बिहार में महिला मतदाता अधिक सक्रियता से भाग लेंगी, जो पिछले चुनावों में राजनीतिक दिग्गजों की जीत और हार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं। बिहार में नीतीश कुमार की शराबबंदी की नीति ने उनके लिए महिला वोटरों का समर्थन हासिल किया, जिससे उनकी सत्ता में बागडोर और भी मजबूत हुई है।
मुख्यमंत्री की नई योजनाएँ - महिला सशक्तिकरण के लिए कदम
इस साल नीतीश कुमार अपनी योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए विशेष रूप से सक्रिय हैं, विपरीत स्थिति में, विपक्ष केवल बयानबाजी और प्रचार में मशगूल है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि नीतीश कुमार ने पहले से ही अपनी रणनीति निर्धारित कर ली थी, जो अब चुनावों के करीब आकर स्पष्ट हो रही है।
नए घोषणापत्र की प्रमुख बातें
बीते दो महीनों में नीतीश कुमार ने 7 अहम घोषणाएँ की हैं, जो विशेष रूप से महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई हैं। ये योजनाएँ रोजगार, आर्थिक सशक्तिकरण, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे पहलुओं को छूती हैं। इस प्रयास से स्पष्ट है कि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महिलाओं के वोट बैंक को साधने का प्रयास किया गया है।
1. जीविका दीदियों को राहत
मुख्यमंत्री ने 1.40 लाख जीविका कर्मियों के मानदेय को दोगुना किया है और बैंक ऋण पर ब्याज दर 10% से घटाकर 7% कर दी है, ताकि ग्रामीण महिलाओं को लाभ हो सके। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनाने का काम करेगा।
2. कन्या विवाह मंडप योजना
राज्य सरकार ने 8,053 ग्राम पंचायतों में विवाह मंडप बनाने के लिए 50 लाख रुपये की स्वीकृति दी है। इन मंडपों का संचालन ग्रामीण महिलाओं द्वारा किया जाएगा, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ और नेतृत्व क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
3. आशा और ममता कार्यकर्ताओं के लिए मानदेय वृद्धि
आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय 1,000 रुपये से 3,000 रुपये और ममता कार्यकर्ताओं का मानदेय 300 रुपये से 600 रुपये किया गया है। यह स्पष्ट रूप से 1,20,000 से अधिक महिलाओं को सीधे लाभ पहुँचाएगा।
4. आंगनबाड़ी सेविकाओं को सहारा
इन सेविकाओं को मोबाइल खरीदने के लिए 11,000 रुपये की सहायता दी जा रही है, जिससे डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ेगी। यह दर्द की पहचान कर बहुत सकारात्मक कदम साबित हो रहा है।
5. महिला स्वरोजगार योजना
नीतीश कुमार की महिला स्वरोजगार योजना के अंतर्गत 20,000 करोड़ रुपये का फंड तैयार किया गया है। हर परिवार से एक महिला को 10,000 रुपये का अनुदान दिया जाएगा, जिसे लौटाना नहीं होगा। ये महिलाएं अगर अपना व्यवसाय शुरू करती हैं, तो उन्हें 6 महीने बाद 2 लाख रुपये का ऋण भी मिल सकता है।
6. रसोइयों का मानदेय बढ़ाना
विद्यालयों में रसोइयों का मानदेय बढ़ाकर 3,300 रुपये कर दिया गया है, जिससे महिलाएं भी इस अभियान का सीधा फायदा उठाएंगी।
7. महिला आरक्षण और डोमिसाइल नीति
सीएम नीतीश ने सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35% आरक्षण की घोषणा की है। इसका लक्ष्य महिलाओं की नौकरी और आत्मनिर्भरता को सुनिश्चित करना है।
महिलाएँ क्यों हैं नीतीश की रणनीति में केंद्रीय भूमिका में?
आंकड़ों के अनुसार, बिहार में 3.39 करोड़ से अधिक महिला मतदाता हैं। यह स्पष्ट है कि मतदान में उनकी भागीदारी पुरुषों की तुलना में 6% अधिक है। महिलाओं की बढ़ती संख्या यह संकेत करती है कि आगामी चुनावों में उनका प्रभाव बढ़ने वाला है।
मोदी की भावुक अपील
इस पृष्ठभूमि में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भावुक अपील की है, जो महिला मतदाताओं को बीजेपी के साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है। उन्होंने महिलाओं का अपमान करते हुए विपक्षी दलों को चुनौती दी है।
इस समय जब बिहार का राजनीतिक तापमान बढ़ रहा है, यह देखना होगा कि महिला मतदाता किस प्रकार मतदान केंद्र पर अपनी किस्मत तय करेंगी।
For more updates, visit The Odd Naari
Team The Odd Naari - प्रियंका शर्मा