फर्जी बीएड डिग्री धारक शिक्षक को कोर्ट ने सुनाई पांच साल की सजा

The post फर्जी बीएड डिग्री पर नौकरी करने वाले शिक्षक को पांच साल की सजा appeared first on Avikal Uttarakhand. घोटाला- अब तक 28 फर्जी शिक्षक दोषी अविकल उत्तराखंड रुद्रप्रयाग। जिले में फर्जी बीएड डिग्री के आधार पर शिक्षक की नौकरी करने के मामले में जनता इंटर कॉलेज देवनगर के… The post फर्जी बीएड डिग्री पर नौकरी करने वाले शिक्षक को पांच साल की सजा appeared first on Avikal Uttarakhand.

फर्जी बीएड डिग्री धारक शिक्षक को कोर्ट ने सुनाई पांच साल की सजा
फर्जी बीएड डिग्री पर नौकरी करने वाले शिक्षक को पांच साल की सजा

फर्जी बीएड डिग्री धारक शिक्षक को कोर्ट ने सुनाई पांच साल की सजा

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कम शब्दों में कहें तो, रुद्रप्रयाग जिले के एक शिक्षक को फर्जी बीएड डिग्री के आधार पर नौकरी करने के मामले में अदालत ने पांच साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला शिक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार और अनियोजितता को उजागर करता है।

घोटाले का खुलासा

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के जनता इंटर कॉलेज देवनगर के पूर्व शिक्षक लक्ष्मण सिंह रौथाण ने वर्ष 2003 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से एक फर्जी बीएड डिग्री प्राप्त की। इस डिग्री के आधार पर उन्होंने सरकारी नौकरी हासिल की। जब अधिकारियों ने इस मामले की जांच की, तो यह स्पष्ट हुआ कि विश्वविद्यालय के आधिकारिक रिकॉर्ड में उनके नाम से कोई डिग्री जारी नहीं की गई थी। इसके बाद लक्ष्मण सिंह को निलंबित कर दिया गया और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई।

हाल ही में, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की अदालत ने लक्ष्मण सिंह को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत पांच साल की सजा सुनाई, साथ ही 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। इसके अतिरिक्त, धारा 471 के तहत दो साल का अतिरिक्त कारावास और 5 हजार रुपये का जुर्माना और लगाया गया है। यदि वह जुर्माना अदा नहीं करते हैं, तो उन्हें चार महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

शिक्षा विभाग की कमी

सरकारी अभियोजक प्रमोद चंद्र आर्य के अनुसार, इस मामले के बाद अब तक रुद्रप्रयाग जिले में 28 अन्य फर्जी शिक्षकों को भी अदालत ने दोषी पाया है। यह घटना शिक्षा विभाग की लापरवाही को दर्शाती है, जहां बिना दस्तावेजों की जांच के ऐसे शिक्षकों को नौकरी दी गई, स्थायीकरण और प्रोन्नति भी दी गई। अदालत ने शिक्षा विभाग को इस मामले को गंभीरता से लेने और आवश्यक उचित विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है।

समाज पर प्रभाव

यह घटना सिर्फ लक्ष्मण सिंह के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे शिक्षण क्षेत्र के लिए एक चेतावनी है। फर्जी डिग्री के जरिए नौकरी पाने वाले व्यक्तियों ने सरकारी संस्थाओं की विश्वसनीयता को खतरे में डाल दिया है। यह स्पष्ट है कि शिक्षा विभाग को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसे मामले न हों।

समाज में इस घटना के प्रति चिंता बढ़ रही है और लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। इससे हम सभी को यह सोचना होगा कि शिक्षा के स्तर पर पारदर्शिता और ईमानदारी को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

यह मामला केवल फर्जी शिक्षा डिग्री के दुरुपयोग का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक संदेश भी है कि फर्जीवाड़ा करने वालों को कठोर सजा दी जानी चाहिए। हमें अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।

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सादर,

टीम द ऑड नारी