“खाराखेत का नमक सत्याग्रह” पुस्तिका का विमोचन: स्वतंत्रता संग्राम की अनकही गाथा
The post “खाराखेत का नमक सत्याग्रह” पुस्तिका का लोकार्पण appeared first on Avikal Uttarakhand. दून के स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को मिली नई पहचान अविकल उत्तराखंड देहरादून। दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र में शुक्रवार को “खाराखेत का नमक सत्याग्रह” नामक पुस्तिका का लोकार्पण एवं… The post “खाराखेत का नमक सत्याग्रह” पुस्तिका का लोकार्पण appeared first on Avikal Uttarakhand.

“खाराखेत का नमक सत्याग्रह” पुस्तिका का विमोचन
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Written by Rani Sharma, Aditi Mehta, and Neeta Joshi | Team The Odd Naari
देहरादून में “खाराखेत का नमक सत्याग्रह” का महत्वपूर्ण विमोचन
देहरादून, 30 जून 2023 - दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र में एक शानदार आयोजन में “खाराखेत का नमक सत्याग्रह” नामक पुस्तिका का विमोचन एवं विमर्श कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर ने स्वतंत्रता संग्राम में देहरादून क्षेत्र की महत्वपूर्ण भागीदारी को नई पहचान दी और स्थानीय नायकों के योगदान को उजागर किया।
कार्यक्रम का उद्देश्य और महत्व
इस पुस्तिका का विमोचन प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. लालता प्रसाद द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. बी.के. जोशी ने की, जिन्होंने इस उद्देश्य को स्पष्ट किया कि कैसे यह पुस्तिका स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण क्षणों और स्थानीय नायकों की भूमिका को संजोए रखती है।
खाराखेत सत्याग्रह का ऐतिहासिक महत्व
20 अप्रैल 1930 को, देहरादून के बुधौली गांव के नजदीक खाराखेत में सत्याग्रहियों ने नून नदी किनारे नमक बनाकर ब्रिटिश औपनिवेशिक कानून का उल्लंघन किया। इस जन आंदोलन में नरदेव शास्त्री, महावीर त्यागी, और नारायण दत्त डंगवाल जैसे स्थानीय नायकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अनेक वक्ताओं ने इस सत्याग्रह की महत्वपूर्णता बताई और इसे इतिहास में उपेक्षित घटना करार दिया।
पुस्तिका की विशेषताएँ और सामग्री
इस नई पुस्तिका में 140 से अधिक सत्याग्रहियों के नाम, उनकी गिरफ्तारी तिथियां, आरोप, सजा और दुर्लभ छायाचित्रों सहित महत्वपूर्ण दस्तावेज शामिल हैं। इसे दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र और समय साक्ष्य द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित किया गया है। यह शोधकर्ताओं और इतिहास प्रेमियों के लिए बहुमूल्य संसाधन साबित होगा।
विशेषज्ञों की राय और सुझाव
प्रमुख न्यायालय के अधिवक्ता अनिल नौरिया, इतिहासकार प्रो. सुनील कुमार सक्सेना, और डॉ. योगेश धस्माना जैसे विद्वानों ने कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने खाराखेत सत्याग्रह को एक स्मारक स्थल का दर्जा देने की मांग की, ताकि आने वाली पीढ़ियों को उस गौरवमयी इतिहास की याद दिलाई जा सके। अंत में, चन्द्रशेखर तिवारी ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया और कार्यक्रम का समापन किया।
निष्कर्ष: स्वतंत्रता संग्राम की जड़ों को फिर से जागरूक करना
“खाराखेत का नमक सत्याग्रह” पुस्तिका का विमोचन न केवल स्वतंत्रता संग्राम के अनकहे नायकों को उजागर करता है, बल्कि हमारे इतिहास को जानने और उसके प्रति जागरूक होने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी प्रदान करता है। इस प्रकार के आयोजनों से नई पीढ़ी को अपने अतीत की गहराई समझने और प्रेरित होने में मदद मिलेगी।
कम शब्दों में कहें तो, यह पुस्तक दीर्धकालिक अनुसंधान के लिए मूल्यवान होने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत भी बनेगी। ऐसे आयोजनों की समय-समय पर आवश्यकता है ताकि हम अपने इतिहास को ना केवल जाने, बल्कि उसकी कीमत को भी समझें।
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