नई विद्यालयी शिक्षा पाठ्यचर्या की रूपरेखा पारित, 240 दिन कक्षाएं चलेंगी
The post विद्यालयी शिक्षा हेतु पाठ्यचर्या की रूपरेख पारित appeared first on Avikal Uttarakhand. शिक्षा मंत्री डॉ. रावत की अध्यक्षता में आयोजित टास्क फोर्स ने दी हरी झंडी अब सूबे के स्कूलों में 240 दिन चलेगी कक्षाएं, परीक्षा के लिये 20 कार्यदिवस तय अविकल… The post विद्यालयी शिक्षा हेतु पाठ्यचर्या की रूपरेख पारित appeared first on Avikal Uttarakhand.

नई विद्यालयी शिक्षा पाठ्यचर्या की रूपरेखा पारित, 240 दिन कक्षाएं चलेंगी
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कम शब्दों में कहें तो, शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स ने नई पाठ्यचर्या की रूपरेखा को पारित कर दिया है। अब उत्तराखंड के स्कूलों में कक्षाएं 240 दिन चलेंगी और परीक्षा के लिए 20 कार्यदिवस निर्धारित किए गए हैं।
देहरादून: राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार तैयार की गई यह पाठ्यचर्या, राज्य स्तरीय टास्क फोर्स द्वारा सर्वसम्मति से पारित की गई है। इस नई रूपरेखा के तहत, अब विद्यालयों में अध्ययन के लिए 240 दिनों का समय निर्धारित किया गया है, और प्रत्येक सप्ताह 32 घंटे के शैक्षणिक समय की अनुमति दी गई है। इसी के साथ-साथ परीक्षा और मूल्यांकन कार्य के लिए 20 दिन और सहशैक्षणिक गतिविधियों के लिए 10-10 दिन आवंटित किए गए हैं।
इस बैठक में, शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि एनईपी-2020 के द्वारा कुल 297 टास्क निर्धारित किए गए हैं, जिनमें से 202 टास्क राज्य स्तर पर लागू किए जाएंगे। इस पाठ्यचर्या की रूपरेखा को पांच प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है:
पाठ्यचर्या के पांच प्रमुख भाग
- प्रथम भाग: विद्यालयी शिक्षा के उद्देश्यों और लक्ष्यों की स्पष्टता, जिसमें मूल्य, स्वभाव, दक्षता, कौशल, और ज्ञान का समावेश है।
- दूसरा भाग: महत्वपूर्ण क्रॉस विषय, मूल्य आधारित शिक्षा, और सहनशीलता के मुद्दों को शामिल किया गया है।
- तीसरा भाग: विषयों का चयन, शिक्षण मानक, और शिक्षा शास्त्र से संबंधित दिशा-निर्देशों का ध्यान रखा गया है।
- चौथा भाग: विद्यालय की संस्कृति, सामाजिक मूल्यों और गतिविधियों का विकास।
- पाँचवां भाग: शिक्षा के पारिस्थितिकी तंत्र, जिसमें शिक्षा क्षमताएं और समुदाय की भूमिका शामिल हैं।
बैठक में मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन, सचिव शिक्षा रविनाथ रमन, सचिव संस्कृति युगल किशोर पंत, और अन्य वरिष्ठ विभागीय अधिकारी भी उपस्थित रहे। सभी ने इस नई रूपरेखा को समर्थन दिया और इसके कार्यान्वयन के लिए अपनी सहमति जाहिर की।
यह नई विद्यालयी शिक्षा की रूपरेखा न केवल कक्षाओं की संख्या को बढ़ाएगी, बल्कि विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए सहशैक्षणिक गतिविधियों को भी महत्वपूर्ण मानेगी।
नई पाठ्यचर्या के तहत, बस्ते के भार को कम करने के लिए भी उपयुक्त कदम उठाए जाएंगे, जिससे बच्चों के मानसिक विकास में सहारानुकूल माहौल तय हो सके।
इस नई व्यवस्था को लागू करने से न केवल शिक्षा का स्तर ऊंचा होगा, बल्कि यह संपूर्ण शिक्षा प्रणाली में सुधार लाएगी। विद्यार्थियों को अधिक बेहतर और प्रभावशाली शिक्षा का लाभ मिलेगा।
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सादर,
टीम द ओड नारी
साक्षी मेहता