बांध परियोजनाओं से पानी छोड़ने के प्रभावों की जानकारी अनिवार्य, सचिव द्वारा निर्देशित
The post बांध परियोजनाओं को बताना होगा, पानी छोड़ने का प्रभाव कितना होगा appeared first on Avikal Uttarakhand. पहले सूचना देने व रियल टाइम डाटा साझा करने के निर्देश सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन की अध्यक्षता में बैठक अविकल उत्तराखंड देहरादून। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद… The post बांध परियोजनाओं को बताना होगा, पानी छोड़ने का प्रभाव कितना होगा appeared first on Avikal Uttarakhand.

बांध परियोजनाओं से पानी छोड़ने के प्रभावों की जानकारी अनिवार्य, सचिव द्वारा निर्देशित
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लेखिका: नंदिनी शर्मा, सृष्टि अग्रवाल, प्रियंका वाधवा
देहरादून। हाल ही में उत्तराखंड के सचिव आपदा प्रबंधन, विनोद कुमार सुमन की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई जिसमें राज्य की सभी बांध परियोजनाओं से संबंधित अधिकारियों ने भाग लिया। इस बैठक में यह तय किया गया कि जल छोड़ने के मामले में तत्काल और सटीक जानकारी संबंधित जनपद प्रशासन और राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) को प्रदान की जानी चाहिए।
जल छोड़ने का प्रभाव: क्षेत्र विशेष में जानकारी आवश्यक
बैठक में सचिव ने स्पष्ट किया कि जब भी जल छोड़ने का निर्णय लिया जाएगा, तो यह जानना अनिवार्य है कि यह पानी किस क्षेत्र में पहुंचेगा और उससे संबंधित क्षेत्र पर इसके क्या प्रभाव होंगे। यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि जन सामान्य को समय पर खतरे की चेतावनी मिल सके और वे इसकी तैयारी कर सकें। यह न केवल आपदा प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे प्रभावित क्षेत्रों की जनसंख्या को भी जागरूक करने में सहायता मिलेगी।
रियल टाइम डेटा साझा करने का महत्व
बैठक में विनोद कुमार सुमन ने बताया कि जल छोड़ने की प्रक्रिया के दौरान, सेंसर से प्राप्त डेटा को रियल टाइम में साझा करना आवश्यक होगा। यह जानकारी यूट्रान स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (USDMA) के साथ साझा की जाएगी। यह तकनीक जल स्तर की निगरानी में सहायता करेगी और आपातकालीन स्थिति में त्वरित कार्रवाई को संभव बनाएगी।
आपातकालीन कार्य योजनाएं: समुचित प्रबंधन की दिशा में कदम
इस बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि सभी बांध परियोजनाएं जल्द से जल्द आपातकालीन कार्य योजना और मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार कर यूएसडीएमए के साथ साझा करें। ये योजनाएं संबंधित वेब पोर्टल पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे आम लोग भी इनसे अवगत हो सकें।
मॉक ड्रिल का आयोजन: तैयारियों की समीक्षा
सचिव सुमन ने यह भी साझा किया कि अगस्त से सितंबर 2025 के बीच राजकीय स्तर पर सभी बांध परियोजनाओं के लिए एक मॉक ड्रिल आयोजित किया जाएगा। इसका उद्देश्य विभागीय तैयारियों का मूल्यांकन करना है, ताकि वास्तविक आपदा की स्थिति में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके।
आपातकालीन उपायों की उच्च प्राथमिकता
विनोद कुमार सुमन ने सभी संबंधित एजेंसियों को निर्देशित किया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी तकनीकी प्रणालियां सुचारु रूप से कार्य कर रही हों और जानकारी समय पर साझा की जा रही हो। यह महत्वपूर्ण है कि सभी अधिकारी एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करें जो आवश्यक सूचना का आदान-प्रदान सुनिश्चित कर सके।
निष्कर्ष: उत्तराखंड की भविष्य की तैयारियां
इस बैठक के माध्यम से उत्तराखंड में जल संसाधनों के प्रबंधन को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान किए गए हैं। इसके माध्यम से न केवल बांध परियोजनाओं का प्रभावी प्रबंधन होगा, बल्कि स्थानीय निवासियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी। प्रभावी प्रबंधन प्रणाली और अवकाशीय नीतियों के साथ, उत्तराखंड एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ सकता है।
कम शब्दों में कहें तो, यह बैठक उत्तराखंड में बांध परियोजनाओं से संबंधित जल प्रबंधन प्रणाली को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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Team The Odd Naari