टिहरी के क्यारदा गांव ने किया चुनाव बहिष्कार, सड़क मांग पर अड़े ग्रामीण
“रोड नहीं तो वोट नहीं”: टिहरी के क्यारदा गांव ने पंचायत चुनाव के बहिष्कार का किया ऐलान घनसाली (टिहरी गढ़वाल)। टिहरी जनपद के भिलंगना विकासखंड अंतर्गत ग्राम क्यारदा (नैलचामी) के ग्रामीणों ने वर्षों से लंबित सड़क निर्माण की मांग पूरी न होने पर पंचायत चुनाव के पूर्ण बहिष्कार का निर्णय लिया है। ग्रामीणों ने शनिवार, […] The post बड़ी खबर: टिहरी के इस गांव में चुनाव बहिष्कार का बिगुल।सड़क की मांग पर अड़े ग्रामीण appeared first on पर्वतजन.

टिहरी के क्यारदा गांव ने किया चुनाव बहिष्कार, सड़क मांग पर अड़े ग्रामीण
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घनसाली (टिहरी गढ़वाल): टिहरी जनपद के भिलंगना विकासखंड में स्थित ग्राम क्यारदा (नैलचामी) के निवासियों ने पंचायत चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया है। ग्रामीणों ने कहा है कि जब तक उनकी कई वर्षों से लंबित सड़क निर्माण की मांग पूरी नहीं होती, तब तक वे चुनाव में भाग नहीं लेंगे। स्थानीय निवासियों की निराशा और संबंधित अधिकारियों की असंवेदनशीलता ने इस स्थिति को काफी गंभीर बना दिया है।
सड़क की मांग: गांव की प्राथमिकता
ग्राम क्यारदा के ग्रामीणों ने शनिवार को एकत्र होकर इस अहम फैसले को लिया और “रोड नहीं तो वोट नहीं” का नारा बुलंद किया। उनका कहना है कि सालों से सड़क निर्माण की आवश्यकता को नजरअंदाज किया जा रहा है। बारिश के मौसम में स्थिति और भी खराब हो जाती है, जिससे ग्रामीणों को गांव से बाहर निकलना और सामुदायिक कार्यक्रम आयोजित करना काफी मुश्किल हो जाता है।
स्थानीय निवासियों ने गांव के मुखिया के साथ मिलकर यह निर्णय लिया है कि तब तक चुनाव में भाग लेना संभव नहीं है, जब तक उनकी मूलभूत आवश्यकताओं का सम्मान नहीं किया जाता। यह सत्याग्रह केवल चुनाव बहिष्कार नहीं है, बल्कि यह उनके विकास के लिए एक सशक्त आवाज है।
स्थानीय राजनीति पर असर
इस निर्णय का स्थानीय राजनीति पर गहरा असर पड़ सकता है। ग्राम क्यारदा जैसी समस्याएं कई अन्य छोटे गांवों में भी देखी जा सकती हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन को ऐसे मामलों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। ग्रामीणों की यह कार्रवाई नेताओं के समक्ष एक चुनौती पेश कर रही है कि क्या वे केवल चुनाव कैम्पेन करने के बजाय गांव के विकास के मुद्दों पर ध्यान देंगे।
सरकार की भूमिका
राज्य सरकार को इस मुद्दे को गम्भीरता से लेना चाहिए और ग्रामीणों की चिंता सुननी चाहिए। सड़क निर्माण की मांग को स्थानीय विकास योजनाओं के तहत प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि यह न केवल मतदान को प्रभावित कर रहा है, बल्कि स्थानीय निवासियों की जीवनधारा पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।
इस प्रदर्शन के बाद, सरकार को जल्दी से जल्दी इस मुद्दे का समाधान निकालना होगा, नहीं तो चुनावी प्रक्रिया में और भी बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार ग्रामीणों की इस आवाज को अनसुना करती है या उनके मुद्दे का समाधान करती है।
निष्कर्ष
ग्राम क्यारदा का यह चुनाव बहिष्कार एक स्पष्ट संकेत है कि ग्रामीणों की जरूरतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह समय है जब सरकार को अपने नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि वे अपने अधिकारों का सही तरीके से उपयोग कर सकें। यदि यह मामला सही दिशा में आगे बढ़ता है, तो यह भविष्य में अन्य गांवों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है।
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हम सभी का इस विषय पर क्या कहना है, यह देखना अब बाकी है।
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टीम द ओड नारी - अंजली शarma