उत्तर प्रदेश में BJP की नई कमान: क्या केशव मौर्य बनेंगे अगले अध्यक्ष? अमित शाह के संकेतों पर विचार

लंबे इंतजार के बाद, भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष की घोषणा होने की उम्मीद है। नए अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया पिछले साल अक्टूबर में शुरू हुई थी और सभी खातों के अनुसार, जनवरी तक इसे अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद थी। हालांकि, विभिन्न दबावों और राजनीतिक विचारों के कारण एक के बाद एक स्थगन होता गया। रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लखनऊ दौरे और उसके बाद पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिल्ली स्थित उनके आवास पर उनसे मुलाकात ने नए अध्यक्ष की किस्मत तय कर दी है।  इसे भी पढ़ें: BJP के साथ गए अवसरवादियों के लिए NCP में कोई जगह नहीं… भतीजे अजित के साथ गठबंधन पर बोले शरद पवार सूत्रों का कहना है कि शाह नवनियुक्त पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र वितरित करने के लिए लखनऊ में थे, लेकिन इसके अलावा अन्य मामलों को भी अंतिम रूप दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि जब आदित्यनाथ ने पिछले हफ़्ते गृह मंत्री को लखनऊ आमंत्रित करने के लिए शाह से उनके नई दिल्ली स्थित आवास पर मुलाकात की, तो मामले को अंतिम रूप दे दिया गया। अब, अटकलें इस बात पर हैं कि 2027 के महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों में पार्टी का नेतृत्व करने वाला नया चेहरा कौन होगा।शाह की शुरुआती टिप्पणी में डिप्टी सीएम केशव मौर्य को "मेरा दोस्त" कहने से अटकलें फिर से शुरू हो गई हैं कि यह मौर्य हो सकते हैं। राज्य भाजपा के सबसे प्रमुख ओबीसी चेहरे के रूप में मौर्य पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रिय हैं। वह वरिष्ठता का भी सम्मान करते हैं, इससे पहले 2017 में जब भाजपा ने दो दशक के अंतराल के बाद यूपी जीता था, तब वह राज्य अध्यक्ष थे और तब से लगातार दो बार यूपी के डिप्टी सीएम के रूप में कार्य किया है। पार्टी नए अध्यक्ष के रूप में या तो ओबीसी या दलित को चुनने की ओर अग्रसर थी, क्योंकि दोनों समुदायों को 2024 के संसदीय चुनावों में विपक्षी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के साथ तालमेल बिठाते देखा गया था। इसे भी पढ़ें: कांग्रेस का 'खटा खट' मॉडल देश के विकास के लिए बड़ी चुनौती, विपक्षी पार्टी पर भाजपा का तंजपिछले साल के संसदीय चुनावों में भाजपा की सीटों की संख्या में गिरावट देखी गई थी, जबकि सपा और कांग्रेस ने प्रभावशाली प्रदर्शन करके सबको चौंका दिया था। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि समाजवादी पार्टी की बढ़ती राजनीतिक गतिविधियों और केंद्र सरकार द्वारा घोषित जाति जनगणना को देखते हुए, ओबीसी को प्राथमिकता दी जा सकती है। केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा और पंकज चौधरी (दोनों महत्वपूर्ण कुर्मी जाति से) और राज्य के पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह (लोध राजपूत) जैसे ओबीसी नेताओं के नाम भी चर्चा में हैं। दलित नेताओं में मंत्री बेबी रानी मौर्य, असीम अरुण, पूर्व केंद्रीय मंत्री राम शंकर कठेरिया और विद्या सागर सोनकर सबसे आगे चल रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में BJP की नई कमान: क्या केशव मौर्य बनेंगे अगले अध्यक्ष? अमित शाह के संकेतों पर विचार
UP में किसे मिलेगी BJP की कमान? अमित शाह ने केशव मौर्य को ‘मेरे मित्र’ बोलकर क्या संदेश दिया है?

उत्तर प्रदेश में BJP की नई कमान: क्या केशव मौर्य बनेंगे अगले अध्यक्ष? अमित शाह के संकेतों पर विचार

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कम शब्दों में कहें तो, भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के नए अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लखनऊ दौरे के बाद, सभी की नजर अब इस बात पर है कि क्या केशव मौर्य को पार्टी का नया मुखिया बनाया जाएगा।

अमित शाह का लखनऊ दौरा और उसके परिणाम

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का हालिया लखनऊ दौरा भाजपा के लिए महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। इस दौरे के दौरान, उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की, जिससे नए अध्यक्ष की नियुक्ति की स्थिति स्पष्ट हुई। सूत्रों के अनुसार, शाह नवनियुक्त पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र वितरित करने के लिए लखनऊ में थे, लेकिन इस दौरान अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर भी चर्चा की गई। इस प्रकार, इस दौरे ने नए अध्यक्ष की किस्मत को संवारने में अहम भूमिका निभाई।

राजनीतिक विश्लेषकों का मत

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शाह द्वारा केशव मौर्य को "मेरे मित्र" कहने की टिप्पणी ने यह संकेत दिया है कि मौर्य को पार्टी का नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है। वे पार्टी के एक प्रमुख ओबीसी चेहरे हैं और उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनकी अनुदान की बहुत अच्छी स्थिति है।

केशव मौर्य का राजनीतिक सफर

केशव मौर्य का भाजपा के प्रति वफादारी का इतिहास बहुत पुराना है। 2017 में, जब भाजपा ने उत्तर प्रदेश में बड़ी विजय प्राप्त की, तब वे राज्य के अध्यक्ष थे। इसके बाद से वे लगातार दो बार यूपी के डिप्टी सीएम के रूप में कार्य कर रहे हैं। भाजपा इस समय एक ऐसे अध्यक्ष की तलाश कर रही है जो ओबीसी या दलित समुदाय से हो, जिनका वोट अगामी 2024 के संसदीय चुनावों में महत्वपूर्ण हो सकता है।

समर्थन और लोकप्रियता

मौर्य की लोकप्रियता का एक और कारण उनके समर्थकों का बड़ा आधार है। उनके अलावा, पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि समाजवादी पार्टी की राजनीतिक गतिविधियों के मद्देनजर ओबीसी को प्राथमिकता दी जा सकती है। अभी प्रमुख रूप से चर्चा में रहने वाले अन्य ओबीसी नेता केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा और पंकज चौधरी हैं, जबकि दलित नेताओं में बेबी रानी मौर्य, असीम अरुण और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम शंकर कठेरिया जैसे नाम शामिल हैं।

अंतिम विचार

उत्तर प्रदेश भाजपा का अगला अध्यक्ष कौन होगा, यह प्रश्न अभी भी अनुत्तरित है। लेकिन अमित शाह द्वारा केशव मौर्य को "मेरे मित्र" कहने का संकेत स्पष्ट है कि भाजपा के अंतर्गत आगामी चुनावों में एक मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता होगी। आगे बढ़ते हुए, यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी की अगली कार्रवाई क्या होगी और कैसे यह उत्तर प्रदेश की राजनीतिक स्थिति को प्रभावित करेगी।

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इस विषय पर आने वाले बदलावों पर ध्यान देना जरूरी होगा, क्योंकि यह तय करेगा कि भाजपा का अगला नेतृत्व किस दिशा में बढ़ेगा।

टीम द ओड नारी, प्रिया शर्मा