रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की शस्त्र पूजा पर जोरदार बयान: 'भारत पाकिस्तान को देगा मुंहतोड़ जवाब'
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को विजयादशमी के अवसर पर भुज सैन्य अड्डे पर शस्त्र पूजा की। इस अवसर पर सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और दक्षिणी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ भी उपस्थित थे। ऑपरेशन सिंदूर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली एल-70 एयर डिफेंस (एडी) तोप भी समारोह के दौरान रक्षा मंत्री को विशेष रूप से भेंट की गई।ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, एल-70 एयर डिफेंस तोप ने असाधारण प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया। यह तोप, जो प्रति मिनट 300 राउंड फायर कर सकती थी और 3,500 मीटर दूर तक के लक्ष्यों को भेद सकती थी, पाकिस्तानी ड्रोनों को मार गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसे भी पढ़ें: राजनाथ सिंह की पाकिस्तान को दो टूक: 'दुस्साहस किया तो बदल जाएगा इतिहास-भूगोल'ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का उल्लेख करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, "चाहे वह आतंकवाद हो या किसी भी अन्य प्रकार की समस्या, आज हमारे पास इससे निपटने और इसे हराने की क्षमता है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, पाकिस्तान ने लेह से लेकर सर क्रीक के इस क्षेत्र तक भारत की रक्षा प्रणाली में सेंध लगाने का असफल प्रयास किया था। भारत के सशस्त्र बलों ने पाकिस्तानी वायु रक्षा प्रणाली को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया और दुनिया को यह संदेश दिया कि भारत के सशस्त्र बल जब चाहें, जहां चाहें और जैसे चाहें, पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं।"रक्षा मंत्री भुज सैन्य अड्डे पर शस्त्र पूजा से पहले सैनिकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि, "जब हम किसी शस्त्र की पूजा करते हैं, तो हम उस शक्ति का उपयोग केवल धर्म और न्याय की रक्षा के लिए करने का संकल्प भी लेते हैं। भगवान राम ने अपने जीवन में इसी संकल्प का परिचय दिया। जब उन्होंने रावण के विरुद्ध युद्ध किया, तो उनके लिए वह युद्ध केवल विजय का साधन नहीं, बल्कि धर्म की स्थापना का साधन था।" इसे भी पढ़ें: राजनाथ सिंह बोले- रक्षा विभाग ने सुनिश्चित की सैन्य शक्ति की वित्तीय रीढ़, ऑपरेशन सिंदूर में अहम भूमिकारक्षा मंत्री ने कहा, "जब महाभारत का युद्ध भगवान कृष्ण के मार्गदर्शन में लड़ा गया था, तब भी उसका उद्देश्य पांडवों की विजय सुनिश्चित करना नहीं, बल्कि धर्म की स्थापना करना था। शस्त्र पूजा इस बात का प्रतीक है कि भारत न केवल शस्त्रों की पूजा करता है, बल्कि समय आने पर उनका उपयोग करना भी जानता है।"

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की शस्त्र पूजा पर जोरदार बयान
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कम शब्दों में कहें तो, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विजयादशमी के अवसर पर भुज सैन्य अड्डे पर भव्य शस्त्र पूजा का आयोजन किया। इस दैरान उन्होंने हथियारों का सम्मान करते हुए स्पष्ट किया कि भारत पाकिस्तान को जब चाहे मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है।
गुरुवार को आयोजित इस शस्त्र पूजा में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और दक्षिणी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ भी मौजूद थे। इस अवसर पर उन्हें ऑपरेशन सिंदूर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली एल-70 एयर डिफेंस (एडी) तोप भेंट की गई। यह तोप प्रति मिनट 300 राउंड फायर कर सकती है और 3,500 मीटर दूर तक के लक्ष्यों को सफलतापूर्वक भेद सकती है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस तोप ने पाकिस्तान के ड्रोनों को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
ऑपरेशन सिंदूर: एक सफलता की कहानी
राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में कहा, "चाहे वह आतंकवाद हो या किसी और प्रकार की समस्या, आज हमारे पास उसे निपटने की पूरी क्षमता है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने भारत की रक्षा प्रणाली में सेंध लगाने का प्रयास किया, लेकिन सशस्त्र बलों ने उसे किसी भी प्रकार की घुसपैठ से रोक दिया।" इस सफलता का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान को यह बताना था कि भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत, जब चाहेंगे, तब उसे भारी नुकसान पहुँचा सकते हैं।
पाकिस्तान को ऐतिहासिक याद दिलाते हुए राजनाथ सिंह का बयान
राजनाथ सिंह ने इस मौके पर पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा, "यदि पाकिस्तान ने दुर्व्यवहार किया, तो इतिहास और भूगोल दोनों बदल सकते हैं।" यह बयान न केवल पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी है, बल्कि विश्व को भी भारत की सैन्य शक्ति का अहसास कराने का एक प्रयास है।
शस्त्र पूजा: पारंपरिक संस्कृति का प्रतीक
रक्षा मंत्री ने अपनी स्पीच में शस्त्र पूजा के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि जब हम शस्त्रों की पूजा करते हैं, तो हम यह संकल्प लेते हैं कि उनका उपयोग केवल धर्म और न्याय की रक्षा के लिए किया जाएगा। उन्होंने भगवान राम का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने रावण के विरुद्ध युद्ध केवल विजय के लिए नहीं, बल्कि धर्म की स्थापना के लिए किया।
महाभारत का संदर्भ और उसकी स्पष्टता
इसके अलावा, उन्होंने महाभारत का संदर्भ देते हुए कहा, "महाभारत के युद्ध का उद्देश्य केवल पांडवों की विजय नहीं था, बल्कि धर्म की स्थापना था।" इस प्रकार, शस्त्र पूजा सिर्फ शस्त्रों की पूजा का नाम नहीं है, बल्कि यह उस संकल्प का प्रतीक है कि जब भी आवश्यकता पड़े, हम उनका सही उपयोग कर सकते हैं।
इस आयोजन ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अपनी सैन्य शक्ति को गंभीरता से ले रहा है और अपने दुश्मनों को एक सशक्त संदेश दे रहा है। भारत कभी भी अपने रक्षात्मक संकल्प से पीछे नहीं हटेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का यह बयान भारतीय राजनीति और सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
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टीम द ओड नारी