जेएनयू में नये मराठी शैक्षणिक केंद्रों का ऐतिहासिक उद्घाटन

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कुलगुरु शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने बृहस्पतिवार को दो नये शैक्षणिक केंद्रों के उद्घाटन के बाद विश्वविद्यालय को सबसे राष्ट्रवादी परिसर बताया और सिंधुदुर्ग संवाद नामक एक वार्षिक राष्ट्रीय संवाद मंच शुरू करने की घोषणा की। इन केंद्रों का उद्घाटन ‘जेएनयू कन्वेंशन सेंटर’ में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किया। इस अवसर पर राज्य के मराठी मंत्री उदय सामंत, जेएनयू की कुलगुरु, पूर्ववर्ती तंजौर ‘राजवंश’ के छत्रपति बाबाजीराजे भोसले और विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। अपने संबोधन में पंडित ने इस अवसर को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत समानता, गुणवत्ता और नवाचार के प्रति जेएनयू की प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब बताया। उन्होंने एक नये शैक्षणिक मंच ‘सिंधुदुर्ग संवाद’ की शुरुआत की घोषणा की, जिसकी परिकल्पना विद्वानों, विचारकों और नीति निर्माताओं को एक साथ लाने वाली एक वार्षिक संवाद शृंखला के रूप में की गई है। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध कवि कुसुमाग्रज के नाम पर स्थापित कुसुमाग्रज विशेष केंद्र मराठी भाषा, साहित्य और सांस्कृतिक विरासत में शिक्षण और अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करेगा। श्री छत्रपति शिवाजी महाराज विशेष केंद्र सामरिक अध्ययन के लिए एक विशेष केंद्र के रूप में कार्य करेगा, जिसमें स्वदेशी सैन्य परंपराओं और मराठा साम्राज्य की विरासत पर विशेष जोर दिया जाएगा। फडणवीस ने इस शैक्षणिक पहल का स्वागत करते हुए इसे गर्व की बात बताया कि शिवाजी महाराज की रणनीतिक विरासत का अध्ययन अब जेएनयू जैसे प्रमुख संस्थान में किया जाएगा।

जेएनयू में नये मराठी शैक्षणिक केंद्रों का ऐतिहासिक उद्घाटन
जेएनयू में दो मराठी केंद्रों का उद्घाटन

जेएनयू में नये मराठी शैक्षणिक केंद्रों का ऐतिहासिक उद्घाटन

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कम शब्दों में कहें तो, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने हाल ही में दो नए शैक्षणिक केंद्रों का उद्घाटन करते हुए न केवल शिक्षा के क्षेत्र में नया अध्याय शुरू किया है, बल्कि राष्ट्रवाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी दर्शाया है। इस उदघाटन समारोह में कुलगुरु शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मौजूद थे।

जेएनयू की एक नई पहचान

जेएनयू में दो नए शैक्षणिक केंद्रों, कुसुमाग्रज विशेष केंद्र और श्री छत्रपति शिवाजी महाराज विशेष केंद्र, का उद्घाटन समपर्ण समारोह में किया गया। कुलगुरु पंडित ने उद्घाटन के बाद जेएनयू को "सबसे राष्ट्रवादी परिसर" बताया और इस अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अंतर्गत समानता, गुणवत्ता और नवाचार के प्रति विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को बताया।

केंद्रों का उद्देश्य

कुसुमाग्रज विशेष केंद्र का उद्देश्य मराठी भाषा और साहित्य का शिक्षण और अनुसंधान करना है। यह केंद्र ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कवि कुसुमाग्रज के नाम पर स्थापित किया गया है, जो मराठी साहित्य को संवर्धित करने के साथ-साथ स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर को भी बढ़ावा देगा।

दूसरी ओर, श्री छत्रपति शिवाजी महाराज विशेष केंद्र सामरिक अध्ययन पर केंद्रित होगा। यह केंद्र भारतीय सैन्य परंपराओं और मराठा साम्राज्य के गौरवमयी इतिहास का अध्ययन करेगा। इस प्रकार, ये दोनों केंद्र अपने-अपने क्षेत्र में महत्वपूर्ण अनुसंधान कार्य का वादा करते हैं जो राष्ट्रीय व सांस्कृतिक उन्नति को प्रेरित करेगा।

सिंधुदुर्ग संवाद की शुरुआत

इस उद्घाटन समारोह में 'सिंधुदुर्ग संवाद' नामक एक वार्षिक राष्ट्रीय संवाद मंच की भी शुरुआत की गई। यह संवाद मंच विद्वानों, विचारकों और नीति निर्माताओं के बीच विचारों का आदान-प्रदान करने में सहायक होगा, जिससे सामाजिक सुधार के लिए समग्र ज्ञान का प्रयोग किया जा सकेगा। यह पहल छात्रों और शिक्षकों के लिए भी एक नया सीखने का आयाम खोलेगी, जिससे वे सामूहिक रूप से समस्याओं का समाधान ढूंढ सकेंगे।

राज्य और विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पहल को गर्व की बात बताया, और कहा कि यह जेएनयू जैसे प्रमुख संस्थान में शिवाजी महाराज की रणनीतिक विरासत का अध्ययन करना, पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। कार्यक्रम में राज्य के मराठी मंत्री उदय सामंत और विश्वविद्यालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे, जिन्होंने इसे ऐतिहासिक बताया।

निष्कर्ष

जेएनयू में इन केंद्रों का उद्घाटन महाराष्ट्र और पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नई दृष्टि शिक्षा के क्षेत्र में सामरिक और सांस्कृतिक पहलुओं को जोड़ती है। इन केंद्रों से आने वाले समय में नए शोध और परियोजनाओं की अपेक्षा की जा रही है, जो भारतीय संस्कृति और इतिहास को सशक्त बनायेंगे।

इस प्रकार के शैक्षणिक पहल सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए आवश्यक हैं। जेएनयू की यह पहल निश्चित रूप से एक सकारात्मक दिशा में उठाया गया कदम है। आशा है कि ये केंद्र नई पीढ़ी को प्रेरित करेंगे, जो आगे चलकर भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

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