भारत को अमेरिका से मिलने वाला है घातक F-35, ट्रंप और मोदी के बीच फरवरी में क्या होने वाली है बड़ी Weapon Deal?
आज दुनियाभर के कई देश अमेरिका के एफ-35 को खरीदने का सपना देख रहे हैं। लेकिन बहुत कम ऐसे देश हैं जिन्हें पांचवी जेनरेशन के एफ 35 लड़ाकू विमान नसीब हुआ हो। अमेरिका इस खास फाइटर जेट को उन्हीं देशों को देता है जो नाटो के सदस्य हो। बड़ी बात ये है कि अमेरिकी एफ 35 को पाने वालों में एक नाम तुर्की का भी है। भारत भी एफ 35 को खरीदना चाहता है। लेकिन अमेरिका के साथ इसे लेकर अबतक कोई पुख्ता बात नहीं बन पा रही थी। हालांकि अमेरिका में ट्रंप के आने के बाद उम्मीज फिर बढ़ गई है। ट्रंप को कई मौकों पर भारत की प्रशंसा करते देखा गया है। वो खुद भी उम्मीजद जताते हैं कि भारत अमेरिका मिलकर रक्षा के क्षेत्र में बड़ा कारनामा कर सकते हैं। इसे भी पढ़ें: आजादी की लड़ाई, Brics में स्थायी सदस्यता का समर्थन...सामने खड़े थे मोदी, इंडोनेशियाई राष्ट्रपति एक लाइन से गिनाने लगे भारत के एहसानट्रंप ने बीते दिनों भारत के प्रधानमंत्री के साथ फोन पर बातचीत की थी। इसके तुरंत बाद डोनाल्ड ट्रंप ने तुरंत एक प्रेस स्टेटमेंट जारी की और भारत अमेरिका के रक्षा साझेदारी पर बड़ा बयान दिया। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत द्वारा अमेरिकी निर्मित रक्षा उपकरणों की खरीद बढ़ाने और द्विपक्षीय व्यापार की दिशा में आगे बढ़ने के महत्व पर जोर दिया। ट्रंप के इसी बयान ने भारत की उम्मीदों को फिर बढ़ा दिया है। बता दें कि भारत के पास इस वक्त कोई भी पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट नहीं है। ये बात अलग है कि भारत खुद का पांचवी पीढ़ी का फाइटर जेट बनाने की कोशिशों में जुटा है। इसे भी पढ़ें: यूपी में एयरोस्पेस और डिफेंस सेक्टर का बड़ा विस्तार, पैदा होंगी 1 लाख नौकरियांभारत की फिफ्थ जेनरेशन जेट पाने की हसरतयह बिल्कुल स्पष्ट है कि भारत का 5वीं पीढ़ी के विमान और स्टील्थ लड़ाकू विमान का सपना एक दशक से अधिक समय तक पूरा नहीं होगा। हाल ही में एक मार्केटिंग ब्लिट्ज सामने आया है। पश्चिमी मीडिया में इस बारे में कई लेख छपे हैं कि भारत को लॉकहीड मार्टिन का F-21 या मैकडॉनेल डगलस का F-15EX कैसे और क्यों खरीदना चाहिए। ऐसे कुछ लेख भी हैं जिनमें अमेरिकी प्रशासन से भारत को F-35 स्टील्थ लड़ाकू विमान बेचने की अपील की गई है। अमेरिका ने रूसी एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली रखने वाले देशों को एफ-35 खरीदने से रोक दिया है। इसमें भारत और तुर्की शामिल हैं। जबकि F-21, F-16 के 1970 के दशक के मध्य के डिज़ाइन पर आधारित है, पहला F-15 1972 में बनाया गया था। दोनों विमान बहुत सक्षम हैं, हालाँकि, इन आवश्यकताओं को चल रहे तेजस Mk-2 कार्यक्रम द्वारा पूरा किया जा सकता है। . और Su-30MKI. इसलिए भारत को F-35 ज्वाइंट स्ट्राइक फाइटर के अलावा किसी अन्य अमेरिकी लड़ाकू विमान पर विचार नहीं करना चाहिए।

भारत को अमेरिका से मिलने वाला है घातक F-35, ट्रंप और मोदी के बीच फरवरी में क्या होने वाली है बड़ी Weapon Deal?
द अड नारी, लिखी गई by सुनीता वर्मा, टीम नेटानागरी
भारत और अमेरिका के बीच सैन्य संबंधों में एक नया अध्याय जुड़ने वाला है। दोनों देशों के नेताओं के बीच महत्वपूर्ण चर्चा होने जा रही है, जिसमें भारत को अमेरिका से आधुनिक F-35 लड़ाकू विमानों की डील पर बातचीत की संभावना है। इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि यह डील क्यों महत्वपूर्ण है और इससे भारत की रक्षा व्यवस्था को कैसे सशक्त किया जा सकता है।
F-35 लड़ाकू विमानों का महत्व
F-35 एक अत्याधुनिक स्टेल्थ लड़ाकू विमान है, जिसे अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने बनाया है। यह विमान अपनी छिपने की क्षमताओं और उन्नत तकनीकी क्षमताओं के लिए जाना जाता है। भारत के लिए यह विमानों की बढ़ती नवीनतम टेक्नोलॉजी को अपनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इससे भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ेगी और भविष्य में संभावित चुनौतियों का सामना करने की क्षमता में सुधार होगा।
ट्रंप और मोदी के बीच फरवरी की बैठक
फरवरी में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच एक उच्चस्तरीय वार्ता होने की योजना है। इस बैठक में मंत्री स्तर पर बातचीत की जाएगी, जिसमें सुरक्षा सहयोग और नई तकनीक के क्षेत्र में सहयोग को लेकर चर्चा की जाएगी। यह वार्ता भारतीय-अमेरिकी संबंधों के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।
बड़ी Weapons Deal की उम्मीदें
विशेषज्ञों का मानना है कि इस वार्ता के दौरान F-35 विमानों की खरीद के लिए एक बड़ा करार हो सकता है। यह डील भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में भी सहायक होगी। भारतीय वायुसेना के लिए F-35 की खरीद एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है, क्योंकि यह विमानों की क्षमता को कई गुना बढ़ा सकती है।
भारतीय रक्षा उद्योग में बदलाव
यदि यह डील सफल होती है, तो इससे भारतीय रक्षा उद्योग में भी बड़ा बदलाव आने की संभावना है। फाइटर जेट्स की नई तकनीक भारत के स्थानीय विनिर्माण को भी प्रेरित करेगी, जो 'मेक इन इंडिया' मुहिम का हिस्सा है।
निष्कर्ष
भारत और अमेरिका के बीच होने والی संभावित F-35 डील वास्तव में दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। यह न केवल भारत की रक्षा शक्ति को बढ़ाएगा बल्कि भारत और अमेरिका के बीच दोस्ताना और सहयोगात्मक संबंधों को भी मजबूत करेगा। ट्रंप और मोदी की फरवरी में होने वाली चर्चा पर दुनिया की नज़रें टिकी हुई हैं, जो भविष्य में क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा मोड़ साबित हो सकती हैं।
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