बिहार में मतदाता सूची संशोधन: कांग्रेस का भाजपा पर लगाया गंभीर आरोप
कांग्रेस ने शनिवार को भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा मतदाता सूची के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि यह अभियान बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मदद करने के लिए एक जानबूझकर की गई साजिश है। पार्टी ने इस प्रक्रिया के तहत आवश्यक दस्तावेजीकरण प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया तथा तर्क दिया कि इतने व्यापक सत्यापन कार्य को पूरा करने के लिए दी गई 25 दिनों की समय-सीमा अवास्तविक है। इसे भी पढ़ें: बिहार के लोग कांग्रेस का करेंगे बहिष्कार, ठाकरे ब्रदर्स की रैली पर ऐसा क्यों बोली JDUकांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जिस तरह से आधार कार्ड बनाए गए, उससे लगता था कि यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। अब हम उसी आधार कार्ड को दिखाकर वोट नहीं दे सकते। जिस तरह के दस्तावेज (भारत के चुनाव आयोग द्वारा) मांगे गए हैं, उससे यह संभव है कि मैं एसआईआर में मतदाता सूची से बाहर हो जाऊं। भारत के चुनाव आयोग ने 24 जून को बिहार में एसआईआर की घोषणा की थी, जिसमें तेजी से बढ़ते शहरीकरण, लगातार पलायन, पहली बार वोट देने वाले मतदाताओं की बढ़ती संख्या, मौतों की गैर-रिपोर्टिंग और "विदेशी अवैध प्रवासियों" के बारे में चिंताओं जैसे कारकों के कारण मतदाता सूची को अपडेट करने की आवश्यकता का हवाला दिया गया था। इसे भी पढ़ें: Bihar: गोपाल खेमका हत्याकांड पर बोले प्रशांत किशोर, लालू के जंगल राज और नीतीश के राज में कोई अंतर नहीं इस अभियान में 25 जुलाई तक लगभग 79 मिलियन मतदाताओं से गणना फॉर्म एकत्र करना शामिल है। मसौदा मतदाता सूची 1 अगस्त को और अंतिम सूची 30 सितंबर को जांच के बाद प्रकाशित की जाएगी। कांग्रेस सांसद ने बिहार में बढ़ते अपराध की भी आलोचना की और दावा किया कि जब भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन करते हैं, तो ऐसी घटनाएं बढ़ जाती हैं। उन्होंने कहा, "एक समय था जब पूरा बिहार शांति, सद्भाव, ज्ञान और तप की भूमि के रूप में जाना जाता था, लेकिन आज यहां गुंडों की गोलियां आग उगल रही हैं। एक तरफ एडीजी लॉ एंड ऑर्डर कहते हैं कि पुलिस पर बढ़ते हमले चिंता का विषय हैं। वहीं दूसरी तरफ पटना में तेजस्वी यादव जी के आवास के पास अपराधियों ने गोलियां चलाईं, जो अभी भी फरार हैं।"

बिहार में मतदाता सूची संशोधन: कांग्रेस का भाजपा पर लगाया गंभीर आरोप
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कांग्रेस पार्टी ने बिहार में मतदान प्रक्रिया को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा किया है। शनिवार को, पार्टी के नेता अखिलेश प्रसाद सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग (ईसीआई) पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि हालिया मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) भाजपा की मदद के लिए एक उद्देश्यपूर्ण साजिश के तहत किया जा रहा है।
कांग्रेस के आरोपों की पृष्ठभूमि
कांग्रेस महासचिव अखिलेश प्रसाद सिंह का दावा है कि यह प्रक्रिया जानबूझकर भाजपा को चुनावी लाभ पहुँचाने के लिए बनाई गई है। उन्होंने सवाल उठाया कि आवश्यक दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया और 25 दिन में इतनी व्यापक संख्या की जांच कैसे संभव है। इस समयसीमा को पूरी तरह से अवास्तविक बताते हुए उन्होंने सरकार पर उन मतदाताओं को हाशिए पर डालने का आरोप लगाया है, जो सही दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं।
मतदाता सूची का मौजूदा हाल और प्रभाव
भारत के चुनाव आयोग ने 24 जून को इस सुधार की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य तेजी से बढ़ते शहरीकरण, पलायन, पहली बार वोट देने वालों और mortes की गैर-रिपोर्टिंग जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना है। यह अभियान लगभग 79 मिलियन मतदाताओं से गणना फॉर्म जमा करने की प्रक्रिया को शामिल करता है, जिसमें मसौदा मतदाता सूची 1 अगस्त को और अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी।
सिंह ने कहा, "आज आधार कार्ड जैसी महत्वपूर्ण पहचान को वोटिंग के लिए मान्यता नहीं दी जा रही है, जो इस प्रक्रिया के लिए एक गंभीर समस्या है। अगर केवल आधार कार्ड से वोटिंग से वंचित किया गया, तो यह अनियंत्रित होगा।"
बिहार में अपराध से उपजी चिंताएँ
कांग्रेस ने न केवल चुनावी प्रक्रिया पर चिंता जताई है, बल्कि उन्होंने बिहार में बढ़ते अपराध के मामलों पर भी आक्रोश व्यक्त किया। अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाजपा के साथ गठबंधन के बाद से राज्य में आपराधिक घटनाओं में तेजी आई है।
उन्होंने बताया कि बिहार एक समय में शांति का प्रतीक था, लेकिन अब स्थिति इतनी खराब हो गई है कि अपराधियों के फुटेज और गुंडागर्दी आम बात बन गई है। हाल में ही पटना में तेजस्वी यादव के घर के पास हुई गोलीबारी की घटना ने कानून-व्यवस्था के गंभीर संकट को दर्शाया है।
निष्कर्ष
कांग्रेस का यह आरोप निस्संदेह बिहार विधानसभा चुनावों में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक चर्चा का विषय बन सकता है। यदि मतदाता सूची का संशोधन भाजपा की मदद के लिए किया गया है, तो यह चुनावी राजनीति में बड़ा उलटफेर पैदा कर सकता है। आगे चलकर इस पर और बहस और चर्चाएँ देखने को मिल सकती हैं।
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लेख को लिखा: साक्षी शर्मा और स्वाति चौधरी, टीम The Odd Naari