पूर्णिया में पूर्वोत्तर राज्यों के साहित्यकारों और रंगकर्मियों का भव्य जमघट
सब हिमालयन रिसर्च इंस्टीट्यूट (श्री) की बैठक में रूपरेखा पर चर्चा The post पूर्वोत्तर राज्यों के साहित्यकारों व रंगकर्मियों का यहां लगेगा जमघट appeared first on Prabhat Khabar.

पूर्णिया में पूर्वोत्तर राज्यों के साहित्यकारों और रंगकर्मियों का भव्य जमघट
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नई दिल्ली: सब हिमालयन रिसर्च इंस्टीट्यूट (श्री) की बैठक में पूर्वोत्तर भारत के साहित्यकारों और रंगकर्मियों को एक स्थान पर लाने के लिए एक खास योजना पर चर्चा की गई है। इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पूर्णिया में एक विशाल साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें केवल भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लेखकों को ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देशों के रंगकर्मियों को भी आमंत्रित किया जाएगा। यह एक ऐसा अवसर है जो न केवल कला और संस्कृति का जश्न मनाएगा, बल्कि क्षेत्र की पहचान को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने का एक माध्यम भी बनेगा।
बैठक की मुख्य बातें
यह बैठक नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में सम्पन्न हुई। यहां संस्थान के अध्यक्ष प्रोफेसर रत्नेश्वर मिश्रा और ट्रस्टी प्रोफेसर मणीन्द्र नाथ ठाकुर के नेतृत्व में प्रतिभागियों ने कार्यक्रम की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की। बंगाल के पूर्व डीजीपी और प्रमुख साहित्यकार मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा कि पूर्णिया का यह आयोजन विभिन्न संस्कृतियों को एक मंच पर लाने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से पूर्णिया की सांस्कृतिक पहचान और भी मजबूत होगी।
साहित्यिक संवाद का महत्व
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की प्राध्यापिका और नारीवादी कवयित्री प्रोफेसर सविता सिंह ने पूर्णिया को इस महोत्सव के आयोजन के लिए उपयुक्त स्थल बताया। उन्होंने कहा, "यह भूमि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, और ऐसे आयोजनों से हमारी सांस्कृतिक धरोहर को जीवन मिलता है।"
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अख़लाक़ अहमद ने भी इस बात पर जोर दिया कि फ़ारसी और उर्दू साहित्यिक परंपरा को इस महोत्सव में प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने इसे एक ऐसा महत्वपूर्ण अवसर बताया, जहां पूर्वोत्तर राज्यों की साहित्यिक समृद्धियाँ साझा की जा सकेंगी।
संस्थान और नागरिक समाज की भूमिका
बैठक में इस बात पर भी चर्चा की गई कि विभिन्न संस्थानों के सहयोग से इस कार्यक्रम को सुचारु रूप से संचालित किया जाएगा और पूर्णिया के नागरिक समाज को इसमें सक्रिय रूप से शामिल किया जाएगा। विद्या विहार ग्रुप ऑफ़ इंस्टीटूशन्स के संचालक इंजीनियर राजेश चंद्र मिश्रा से इस संदर्भ में विस्तार से बात की गई। नागरिक समाज के वरिष्ठ सदस्य विजय श्रीवास्तव के साथ भी चर्चा हुई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह आयोजन सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देगा।
निष्कर्ष
पूर्णिया में आयोजित होने वाला यह साहित्यिक और सांस्कृतिक महोत्सव न केवल पूर्वोत्तर राज्यों के साहित्यकारों के लिए बल्कि भारत के पूरे सांस्कृतिक परिदृश्य का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। यह आयोजन हमारे सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और विकास को बढ़ावा देने का एक बड़ा प्रयास है, जिसे हमें हर तरीके से सहयोग देना चाहिए।
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लेखिका: प्रिया शर्मा, साक्षी मेहता, और मीरा नंदन
टीम The Odd Naari