नेपाल में पूर्व पीएम ओली का पासपोर्ट रद्द, मनी लॉन्ड्रिंग मामले की नई जांच शुरू
नेपाल की सुशीला कार्की सरकार ने पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली और 4 अन्य के पासपोर्ट निलंबित कर दिए हैं। यह कदम जेन-जी आंदोलन के दौरान दमन की जांच कर रही। आयोग की सिफारिश के बाद उठाया गया। सूची में पूर्व गृहमंत्री रमेश लेखक, गृह सचिव गोकरणमणि दुवाड़ी, खुफिया विभाग प्रमुख हुत्राज थापा और काठमांडू के पूर्व मुख्य जिला अधिकारी छबी रिजाल शामिल हैं। उन्हें काठमांडू छोड़ने के लिए पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। 8-9 सितंबर को हुए आंदोलन में पुलिस फायरिंग से 19 लोगों की मौत हुई थी। मनी लॉन्ड्रिंग विभाग ने ओली, शेर बहादुर देउबा, पुष्पकमल दहल 'प्रचंड' और ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का समेत नेताओं के घरों से मिले जले हुए नोटों की जांच शुरू कर दी है।इसे भी पढ़ें: मैं तालिबानी हूं...America में बैठकर भारत पर झूठ बोलते रहे युनूस, लगाए कई गंभीर इल्जामभ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ व्यापक आक्रोश के बीच 8 सितंबर को जेन-जेड का विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। उसी दिन, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 19 लोग मारे गए और और भी अशांति फैल गई। दो दिनों के विरोध प्रदर्शन के अंत तक, मृतकों की संख्या 75 तक पहुँच गई थी। इस हिंसक दमन ने ओली को प्रधानमंत्री पद से हटाने में प्रत्यक्ष भूमिका निभाई, जिसके तुरंत बाद सुशीला कार्की ने अंतरिम सरकार का नेतृत्व किया। नए मंत्रिमंडल ने सुरक्षा एजेंसियों द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग की जाँच के लिए 21 सितंबर को एक जाँच आयोग का गठन किया।इसे भी पढ़ें: Nepal New Ministers: नेपाल की अंतरिम सरकार में चार नए मंत्री, मिनिस्टर्स की संख्या बढ़कर हुई आठपद से हटने के बाद अपने पहले के बयान में, ओली ने इस्तेमाल किए गए हथियारों के प्रकार पर सवाल उठाया था। प्रदर्शनकारियों पर स्वचालित बंदूकों से गोलियां चलाई गईं जो पुलिस के पास नहीं थीं और उन्होंने मामले की जाँच की माँग की। ये खंडन विरोध प्रदर्शनों के दौरान सरकार और पुलिस नेताओं द्वारा की गई कार्रवाइयों की बढ़ती जाँच के बीच आए हैं।

नेपाल में पूर्व पीएम ओली का पासपोर्ट रद्द, मनी लॉन्ड्रिंग मामले की नई जांच शुरू
Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - The Odd Naari
कम शब्दों में कहें तो, नेपाल की सरकार ने पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली और चार अन्य नेताओं के पासपोर्ट निलंबित कर दिए हैं, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की गहराई से जांच की जाएगी। यह कदम जेन-जी आंदोलन के दमन की जांच के तहत उठाया गया है।
नेपाल की सुशीला कार्की सरकार ने हाल ही में केपी शर्मा ओली के पासपोर्ट को निलंबित करने का निर्णय लिया है। साथ ही, पूर्व गृहमंत्री रमेश लेखक, गृह सचिव गोकरणमणि दुवाड़ी, खुफिया विभाग के प्रमुख हुत्राज थापा, और काठमांडू के पूर्व मुख्य जिला अधिकारी छबी रिजाल के पासपोर्ट भी निलंबित किए गए हैं। इन सभी को काठमांडू छोड़ने के लिए पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। इस कदम का उद्देश्य 8-9 सितंबर को हुए जेन-जी आंदोलन में पुलिस के द्वारा की गई गोलीबारी की जांच करना है, जिसमें कम से कम 19 लोग मारे गए थे।
मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच
नेपाल में मनी लॉन्ड्रिंग विभाग ने ओली समेत अन्य प्रमुख नेताओं के आवास से जले हुए नोटों की बरामदगी के बाद मामले की जांच शुरू की है। आगे चलकर, शेर बहादुर देउबा, पुष्पकमल दहल 'प्रचंड', और ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का भी इस जांच का हिस्सा हैं। इन घटनाओं ने सरकार के खिलाफ बढ़ते आक्रोश को और भी उत्तेजित किया है।
जेन-जी आंदोलन का कारण भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंधों के खिलाफ व्यापक विरोध था। आंदोलन के दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं, जो बड़ी त्रासदी का कारण बनीं। एक ही दिन में हुई पुलिस फायरिंग के परिणामस्वरूप मौतों की संख्या की बढ़ती हुई संख्या ने सरकार के फैसले को सवालों में डाल दिया।
नए मंत्रिमंडल की गठन
इस घटना के बाद, सुशीला कार्की ने अंतरिम सरकार का नेतृत्व किया और नए मंत्रिमंडल ने सुरक्षा एजेंसियों द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग की जांच के लिए 21 सितंबर को एक आयोग का गठन किया। यह उत्सुकता का विषय है कि क्या इस आयोग के निष्कर्षों से किसी भी नेता के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाएगी।
ओली के बयान और विवाद
राजनीतिक अस्थिरता के बीच, ओली ने अपने बयान में सवाल उठाया कि प्रदर्शनकारियों पर स्वचालित हथियारों से गोलीबारी की गई, जबकि पुलिस के पास ऐसे हथियार नहीं थे। उनके इस बयान ने सरकार और पुलिस की कार्यवाही पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है। यह घटनाक्रम सरकार के खिलाफ विपक्ष के बढ़ते आरोपों को और मजबूत करने का काम करेंगे।
नेपाल में बढ़ते राजनीतिक तनाव और मनी लॉन्ड्रिंग जांच के बीच नागरिकों का सरकार पर बढ़ता हताशा स्पष्ट है। क्या ये जांच वाकई प्रभावी होंगी? क्या यह विरोध प्रदर्शन कहीं और उग्र होंगे? इसे देखकर प्रतीत होता है कि नेपाल का भविष्य किसी ठोस दिशा में जाने में कठिनाइयों का सामना कर रहा है।
अंत में, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि नेपाल की अंतरिम सरकार इन संवेदनशील मामलों का समुचित समाधान कैसे करती है। क्या यह स्थिति शांत होगी या फिर नए विवादों का जन्म होगा? नागरिकों की नजरें अब इस पर रहेंगी।
आगे के अपडेट के लिए, यहां क्लिक करें.
सादर, टीम द ओड नारी