दाना-पानी रोकने के बाद इजरायल ने काटी गाजा की बिजली, रमजान के पाक महीने में अंधेरे में डूबे 21 लाख फिलिस्तीनी
इजराइल ने कहा कि वह पिछले सप्ताह हमास के साथ युद्ध विराम समाप्त होने के बीच गाजा को अपनी बिजली आपूर्ति काट रहा है। इसके पूर्ण प्रभाव अभी स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन क्षेत्र के विलवणीकरण संयंत्रों को पेयजल उत्पादन के लिए बिजली मिलती है। रविवार की घोषणा इजराइल द्वारा 2 मिलियन से अधिक लोगों को क्षेत्र में सभी प्रकार की वस्तुओं की आपूर्ति काट दिए जाने के एक सप्ताह बाद हुई है। इसने हमास पर अपने युद्ध विराम के पहले चरण के विस्तार को स्वीकार करने के लिए दबाव डालने की कोशिश की है। वह चरण पिछले सप्ताहांत समाप्त हो गया। हमास ने युद्ध विराम के अधिक कठिन दूसरे चरण पर बातचीत शुरू करने के लिए दबाव डाला है। इसे भी पढ़ें: भारत की जीत पर पत्थरबाजों को Israel का तगड़ा जवाब, हिल गई दुनियाउग्रवादी समूह ने रविवार को कहा कि उसने मिस्र के मध्यस्थों के साथ युद्ध विराम वार्ता के नवीनतम दौर को अपनी स्थिति में बदलाव किए बिना पूरा कर लिया है, तथा युद्ध विराम के दूसरे चरण को तत्काल शुरू करने का आह्वान किया है। गाजा बिजली आपूर्ति के लिए सौर पैनलों और जनरेटर का उपयोग कर रहा है इजराइल के ऊर्जा मंत्री द्वारा इजराइल इलेक्ट्रिक कॉरपोरेशन को लिखे गए नए पत्र में उसे गाजा को बिजली बेचना बंद करने के लिए कहा गया है। युद्ध के कारण गाजा काफी हद तक तबाह हो गया है, तथा बिजली आपूर्ति के लिए जनरेटर और सौर पैनलों का उपयोग किया जाता है। युद्ध विराम ने इजरायल और हमास के बीच अब तक की सबसे घातक और विनाशकारी लड़ाई को रोक दिया है, जो 7 अक्टूबर 2023 को दक्षिणी इजरायल पर हमास के नेतृत्व वाले हमले से शुरू हुई थी।इसे भी पढ़ें: Shaurya Path: US Tariff War, Russia-Ukraine War, Israel-Hamas, China और NATO आदि मुद्दों पर Brigadier Tripathi से वार्तापहले चरण में लगभग 2,000 फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई के बदले में 25 जीवित बंधकों और आठ अन्य के अवशेषों को वापस लौटाया गया। इज़राइली सेना गाजा के अंदर बफर ज़ोन में वापस चली गई है, युद्ध की शुरुआत के बाद से पहली बार सैकड़ों हज़ारों विस्थापित फिलिस्तीनी उत्तरी गाजा में वापस आ गए हैं और इज़राइल द्वारा आपूर्ति निलंबित किए जाने तक प्रतिदिन सैकड़ों ट्रक सहायता के साथ आते थे।

दाना-पानी रोकने के बाद इजरायल ने काटी गाजा की बिजली, रमजान के पाक महीने में अंधेरे में डूबे 21 लाख फिलिस्तीनी
The Odd Naari
लेखक: प्रियंका शर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच लंबे समय से चल रहे संघर्ष ने एक बार फिर गहरा संकट पैदा कर दिया है। हाल ही में इजरायल ने गाजा पट्टी में दाना-पानी और बिजली सप्लाई को रोक दिया है, जिससे 21 लाख फिलिस्तीनी लोग रमजान के पाक महीने में अंधेरे में रहने को मजबूर हो गए हैं। यह कदम वैश्विक समुदाय की चिंता को और बढ़ा रहा है।
बिजली और पानी की किल्लत
इजरायल की ओर से गाजा के खिलाफ उठाए गए इस कदम ने वहां की जनता के जीवन को कठिन बना दिया है। रमजान के महीने में, जब मुस्लिम समुदाय रोजा रखता है, ऐसे में पानी और बिजली की अनुपलब्धता गंभीर समस्या बन चुकी है। गाजा में बिजली सप्लाई पहले ही बेहद सीमित थी, लेकिन अब इसे पूरी तरह से काटने से लोगों को दैनिक जीवन में मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस संकट पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रियाएं तेजी से आ रही हैं। अनेक मानवाधिकार संगठनों ने इस कार्रवाई की निंदा की है और इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया है। कई देशों ने इजरायल से इस स्थिति को सामान्य करने की मांग की है। इसके अलावा, रमजान के समय में इस तरह की कार्रवाई से धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंची है।
गाजा की स्थिति
गाजा पट्टी, जो कि एक संकुचित क्षेत्र है, वहां की बुनियादी स्थिति पहले से ही कमजोर है। बिजली और पानी की किल्लत से न केवल आम लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। अस्पतालों और चिकित्सा केन्द्रों में उपकरणों का काम करना मुश्किल हो गया है, जिससे मरीजों को स्वास्थ्य देखभाल में अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
स्थायी समाधान की आवश्यकता
गाजा के लोग दशकों से संघर्ष और आपसी मतभेदों का सामना कर रहे हैं। ऐसे में इस संकट का स्थायी समाधान निकालना अत्यंत आवश्यक है। वैश्विक समुदाय को इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए ताकि इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता को स्थापित किया जा सके।
निष्कर्ष
अंत में, इजरायल की इस कार्रवाई से गाजा की जनता को होने वाली कठिनाईयाँ न केवल चिंताजनक हैं, बल्कि हमें मानवीयता के आधार पर भी विचार करने की आवश्यकता है। रमजान के पाक महीने में इस तरह की स्थिति न केवल गैर-मानवीय है, बल्कि यह हमारे समाज के लिए भी एक चुनौती है। देश, समुदाय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को मिलकर इस स्थिति का समाधान खोजने की दिशा में एकजुट होना चाहिए।
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