दवाओं के साइड इफेक्ट्स की पहचान के लिए फार्माकोविजिलेंस का महत्व

The post दवाओं के साइड इफेक्ट्स जानने के लिए फार्माकोविजिलेंस जरूरी appeared first on Avikal Uttarakhand. नेशनल फार्माकोविजिलेंस वीक 2025 सम्पन्न पोस्टर प्रतियोगिता और विशेषज्ञ व्याख्यान से जनजागरूकता डोईवाला -हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एचआईएमएस), जौलीग्रांट में नेशनल फार्माकोविजिलेंस सप्ताह- 2025 का सफल आयोजन किया गया।… The post दवाओं के साइड इफेक्ट्स जानने के लिए फार्माकोविजिलेंस जरूरी appeared first on Avikal Uttarakhand.

दवाओं के साइड इफेक्ट्स की पहचान के लिए फार्माकोविजिलेंस का महत्व
दवाओं के साइड इफेक्ट्स की पहचान के लिए फार्माकोविजिलेंस का महत्व

दवाओं के साइड इफेक्ट्स की पहचान के लिए फार्माकोविजिलेंस का महत्व

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कम शब्दों में कहें तो, फार्माकोविजिलेंस सप्ताह 2025 में दवाओं के हानिकारक प्रभावों की जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

डोईवाला - हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एचआईएमएस), जौलीग्रांट में नेशनल फार्माकोविजिलेंस सप्ताह 2025 का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता और विशेषज्ञ व्याख्यान ने जनता के बीच दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के सुरक्षित उपयोग के प्रति जागरूकता पैदा की।

विषय-विशेषज्ञों की बात

इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रोफेसर डॉ. मनीषा बिष्ट ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के प्रयोग से स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हुई हैं, लेकिन इसके साथ ही नई सुरक्षा चुनौतियाँ भी उत्पन्न हो रही हैं। उन्होंने इस बात को प्रमुखता से बताया कि दवाओं के प्रतिकूल प्रभावों और उपकरणों से जुड़े साइड इफेक्ट्स की रिपोर्टिंग में वृद्धि आवश्यक है ताकि मरीजों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।

फार्माकोविजिलेंस सप्ताह का संदेश

कार्यक्रम संयोजक डॉ. तरुणा शर्मा ने बताया कि यह सप्ताह 17 से 23 सितम्बर तक इंडियन फार्माकोपिया कमीशन और नेशनल कोऑर्डिनेशन सेंटर की पहल पर मनाया जाता है। इस वर्ष का संदेश है— “आपकी सुरक्षा बस एक क्लिक की दूरी पर है।” यह विशेष दिशा-निर्देश ऑनलाइन पंजीकरण के माध्यम से दवाओं की सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

छात्रों की भागीदारी और पुरस्कार वितरण

इससे पहले, एचआईएमएस में आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता में एमबीबीएस, पैरामेडिकल और एलाइड साइंस के विद्यार्थियों ने भाग लिया। निर्णायक मंडल में डॉ. सुशांत खंडुरी, डॉ. वाई. एस. बिष्ट और डॉ. रेशमा कौशिक शामिल थे। प्रतियोगिता में श्रेया जोशी ने प्रथम, अनन्या बिंदलिश ने द्वितीय और गौरांगी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

अनुसंधान और नवाचार की दिशा में कदम

एसआरएचयू के प्रति कुलपति डॉ. अशोक कुमार देवराड़ी ने कहा कि ऐसे आयोजन छात्रों और चिकित्सकों को जागरूक करने के साथ-साथ अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करते हैं। इस दौरान डॉ. दलजीत सिंह और डॉ. रेनू धस्माना ने दवा संबंधित दुष्प्रभाव रिपोर्टिंग और उनके महत्व पर विशेष जोर दिया।

निष्कर्ष

दवाओं के साइड इफेक्ट्स की सही पहचान और रिपोर्टिंग मरीजों की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। फार्माकोविजिलेंस की मदद से हम न केवल दवाओं के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति सतर्क रह सकते हैं, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं को भी बेहतर बना सकते हैं। फार्माकोविजिलेंस सप्ताह 2025 ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने का अवसर प्रदान किया है।

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टीम द ओड नारी, प्रियंका शर्मा