ट्रंप को खुश करने के लिए भारत उठाने जा रहा है बड़ा कदम, 1 अप्रैल से खत्म हो जाएगा यह टैक्स!
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल से भारत समेत कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है। लेकिन उससे पहले भारत सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। सरकार दोनों देशों के बीच चल रहे व्यापार समझौते के तहत 23 बिलियन डॉलर मूल्य के आधे से अधिक अमेरिकी आयातों पर टैरिफ में कटौती करने के लिए तैयार है। यह वर्षों में सबसे बड़ी टैरिफ कटौतियों में से एक होगी, जिसका उद्देश्य पारस्परिक टैरिफ को रोकना है जो निर्यात को नुकसान पहुंचा सकते हैं। सरकार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के वैश्विक रिसिप्रोकल टैरिफ के प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रही है, जो 2 अप्रैल से प्रभावी होने वाले हैं। भारत सरकार ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर लगने वाले 6% की इक्वलाइजेशन लेवी को हटाने का प्रस्ताव कर रही है। यह लेवी गूगल और मेटा जैसी कंपनियों पर लगती है। इसे आमतौर पर 'गूगल टैक्स ' के नाम से जाना जाता है। सरकार इसे 1 अप्रैल से हटाने की सोच रही है।इसे भी पढ़ें: Trump ने कैसे तेल का बिगाड़ा खेल, भारत में बेतहाशा बढ़ेगी पेट्रोल-डीजल की कीमत?भारत द्वारा किए गए एक आंतरिक विश्लेषण के अनुसार, नए अमेरिकी टैरिफ से अमेरिका को भारत से किए जाने वाले 87% निर्यात पर असर पड़ सकता है, जिसकी कीमत करीब 66 बिलियन डॉलर है। सूत्रों के अनुसार, इस प्रभाव से बचने के लिए, भारत 55% अमेरिकी आयातों पर टैरिफ कम करने के लिए तैयार है, जिन पर वर्तमान में 5% से 30% के बीच कर लगाया जाता है। कुछ टैरिफ में काफी कमी की जा सकती है, जबकि अन्य को पूरी तरह से हटाया जा सकता है। प्रस्ताव पर अभी भी चर्चा चल रही है और भारत सरकार के अधिकारियों ने अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। अन्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है जिसमें व्यापक टैरिफ कटौती के बजाय विशिष्ट क्षेत्रों के लिए टैरिफ समायोजित करना और कई उद्योगों में टैरिफ कम करने के बजाय चुनिंदा उत्पादों के लिए कटौती पर बातचीत करना शामिल है।इसे भी पढ़ें: पहले चक्रवात, फिर आग! अमेरिका के जंगलों में फिर भड़की आग, लगानी पड़ गई इमरजेंसीदक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल मंगलवार से शुरू होने वाली व्यापार वार्ता के लिए भारत आने वाला है। भारत सरकार अमेरिकी पारस्परिक टैरिफ लागू होने से पहले एक समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रही है। अमेरिका और भारत के बीच व्यापार वार्ता का लंबा इतिहास रहा है। विश्व व्यापार संगठन के आंकड़ों से पता चलता है कि अमेरिका का औसत व्यापार-भारित टैरिफ 2.2% है, जबकि भारत का 12% है। अमेरिका का भारत के साथ 45.6 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा है।

ट्रंप को खुश करने के लिए भारत उठाने जा रहा है बड़ा कदम, 1 अप्रैल से खत्म हो जाएगा यह टैक्स!
The Odd Naari - लेखक: प्रिया शर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
भारत ने हाल ही में एक ऐसा कदम उठाने की योजना बनाई है जो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को खुश कर सकता है। 1 अप्रैल से एक महत्वपूर्ण टैक्स को हटाने का ऐलान किया गया है, जिसका प्रभाव केवल घरेलू नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर भी पड़ेगा। यह निर्णय कई आर्थिक और राजनीतिक मोर्चों पर महत्वपूर्ण जानकारी देता है।
क्या है यह टैक्स?
टैक्स का नाम है 'डिजिटल सर्विस टैक्स' (DST), जो ऑनलाइन सेवा प्रदाताओं पर लगाया जाता है। भारत ने यह टैक्स अंतरराष्ट्रीय बड़ी टेक कंपनियों के खिलाफ अपने बाजार की रक्षा के लिए लगाया था। लेकिन अब इसे हटाने का निर्णय लिया गया है ताकि अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंध मजबूत हों।
इस कदम के पीछे का उद्देश्य
भारत सरकार का मानना है कि इस टैक्स को समाप्त करने से अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों को एक नया मोड़ मिलेगा। साथ ही, इससे भारतीय बाजार में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। इस कदम को भारत और अमेरिका के बीच 'व्यापार समझौते' की दिशा में एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
संभावित प्रभाव
इस निर्णय का प्रभाव भारतीय कंपनियों पर भी पड़ेगा। यह कदम उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा। डिजिटल सर्विस टैक्स हटाने से विदेशी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में प्रवेश सरल होगा, जिससे नई नौकरियों का सृजन हो सकता है।
आर्थिक विश्लेषण
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत की आर्थिक नीति में एक सकारात्मक बदलाव की ओर इशारा करता है। यदि अन्य देश भी इस तरह के कदम उठाते हैं, तो वैश्विक व्यापार में एक नई प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है। भारत की इस पहल को अमेरिका द्वारा अपनाए जाने वाले 'पारस्परिक संबंधों' को समझने में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष
भारत का यह निर्णय न केवल ट्रंप को खुश करने का प्रयास है, बल्कि एक मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण कदम भी है। इससे निश्चित रूप से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में मजबूती आएगी। आगे चलकर, यदि अन्य देशों ने भी इसी तरह के कदम उठाए, तो यह वैश्विक व्यापार में अद्वितीय परिवर्तन ला सकता है।
आखिरकार, यह निर्णय भारत के लिए एक ऐतिहासिक मौका साबित हो सकता है। पूरी दुनिया की नजरें इस फैसले पर लगी हुई हैं। यदि आप इस विषय पर और अपडेट चाहते हैं, तो theoddnaari.com पर जाएँ।