‘आवारा कदम अनजान रास्ते’ पुस्तक का भव्य लोकार्पण: हिमालय की कहानियों का अद्भुत सफर

The post ‘आवारा कदम अनजान रास्ते’ पुस्तक का लोकार्पण appeared first on Avikal Uttarakhand. हिमालयी यात्राओं का सांस्कृतिक व साहित्यिक दस्तावेज अविकल उत्तराखण्ड देहरादून।  ‘दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र’ एक बार फिर एक साहित्यिक और बौद्धिक चेतना के उत्सव का साक्षी बना।  शनिवार की… The post ‘आवारा कदम अनजान रास्ते’ पुस्तक का लोकार्पण appeared first on Avikal Uttarakhand.

‘आवारा कदम अनजान रास्ते’ पुस्तक का भव्य लोकार्पण: हिमालय की कहानियों का अद्भुत सफर
‘आवारा कदम अनजान रास्ते’ पुस्तक का भव्य लोकार्पण: हिमालय की कहानियों का अद्भुत सफर

‘आवारा कदम अनजान रास्ते’ पुस्तक का भव्य लोकार्पण: हिमालय की कहानियों का अद्भुत सफर

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कम शब्दों में कहें तो, शनिवार को देहरादून के ‘दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र’ में लेखक शूरवीर रावत की पुस्तक “आवारा कदम अनजान रास्ते” का लोकार्पण किया गया। यह न केवल एक पुस्तक का प्रकाशन था, बल्कि हिमालय की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक गहराई को समझने का अनूठा अवसर भी था।

हिमालयी यात्राओं का सांस्कृतिक व साहित्यिक दस्तावेज

देहरादून में ‘दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र’ ने एक बार फिर साहित्यिक और बौद्धिक चेतना का उत्सव मनाया। शनिवार की सायं, इस कायान्वयन में लेखक शूरवीर रावत की नवीनतम कृति “आवारा कदम अनजान रास्ते” का लोकार्पण हुआ। यह पुस्तक लेखक की बीस यात्राओं की कहानी को प्रस्तुत करती है, जिसमें वे हिमालय की दुर्गम चोटियों, बर्फीली पथों, और स्थानीय समुदायों की यात्रा का अनुभव साझा करते हैं।

इस पुस्तक में लेखक ने इतिहास, भूगोल, और साहित्य के अद्भुत सम्मिलन के साथ, हिमालय की संस्कृति, ऐतिहासिकता, और पर्यावरणीय चुनौतियों का वर्णन किया है। इसे पढ़कर ऐसा लगता है कि पाठक अपने आप उन पथों पर चल रहा है जहां पर रहेगा समुदायों के साथ।

सीख और संवेदनशीलता का एक नया दृष्टिकोण

यह पुस्तक न केवल हिमालय के प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक जागरूकता पर भी ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम में वक्ताओं ने पुस्तक के विभिन्न आयामों पर विस्तार से चर्चा की। वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने कहा, “यह पुस्तक हिमालय को एक नए दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा देती है।”

संस्कृतिविद डॉ. नंदकिशोर हटवाल ने पुस्तक में पर्यावरणीय संवेदनशीलता की सराहना करते हुए कहा, “हिमालय आज पर्यावरणीय संकट का सामना कर रहा है, और यह पुस्तक हमें प्रकृति के साथ संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देती है।”

विशिष्ट टिप्पणियां और गहन चर्चा

कार्यक्रम में शिक्षाविद शिव प्रसाद सेमवाल ने शूरवीर रावत की लेखन शैली की प्रशंसा करते हुए कहा, “उनकी काव्यात्मक प्रवाह पाठकों को बांधे रखता है, और उनकी पुस्तक हमें अंतर्मन के गहरे स्तर तक ले जाती है।” वहीं, पत्रकार शीशपाल गुसाईं ने हिमालय की लोक संस्कृति पर जोर देते हुए कहा, “यह पुस्तक उन छोटे-छोटे गांवों और समुदायों की कहानियों को उजागर करती है जो अक्सर मुख्यधारा के साहित्य में अनदेखी रह जाती हैं।”

आयोजन का महत्व और लेखक की बातें

चन्द्रशेखर तिवारी, दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के कार्यक्रम प्रमुख ने इसे एक सांस्कृतिक और बौद्धिक आयोजन बताया। उन्होंने कहा, “यह आयोजन केवल एक पुस्तक का लोकार्पण नहीं है, बल्कि हिमालयी सांस्कृतिक धरोहर को साझा करने और उसे संरक्षित करने का प्रयास है।”

लेखक शूरवीर रावत ने कहा कि “दुनिया को देखने और जानने की उत्सुकता हमारे अंदर की मूल भावना है। यह पुस्तक उस विचार का प्रतिनिधित्व करती है।” इसके पहले वे अपनी 12 यात्राओं का संस्करण “आवारा कदमों की बातें” प्रकाशित कर चुके हैं।

“आवारा कदम अनजान रास्ते” का प्रकाशन काव्यांश प्रकाशन, ऋषिकेश द्वारा किया गया है। प्रकाशक प्रबोध उनियाल ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि यह पुस्तक यात्रा साहित्य में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए एक अनमोल योगदान है।

संपूर्ण कार्यक्रम और उपस्थित लोग

कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी देहरादून की उद्घोषक श्रीमती भारती आनंद ने अपनी विशेष शैली में किया। इस अवसर पर शहर के अनेक लेखक, साहित्यकार, और प्रबुद्धजन उपस्थित थे, जिनमें सुंदर सिंह बिष्ट, चंदन सिंह नेगी, डॉ. लालता प्रसाद, मुकेश नौटियाल, सत्यानंद बडोनी, और अन्य शामिल थे।

यह पुस्तक न केवल साहित्य प्रेमियों के लिए, बल्कि इतिहास, भूगोल, और पर्यावरण में रुचि रखने वाले शोधकर्ताओं के लिए भी एक महत्वपूर्ण संसाधन है। इसे प्रमुख पुस्तक विक्रेताओं और ऑनलाइन मंचों पर उपलब्ध कराया गया है।

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Team The Odd Naari, राधिका शर्मा