UNSC में फ्रांस की तरफ से भारत को वीटो! सदस्यता के लिए अब चीन से भी भिड़ने की तैयारी में मोदी के दोस्त मैक्रों!
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता के लिए केवल भारत ही नहीं बल्कि कई और देश और साझेदार परमानेंट मेंबर के तौर पर देखना चाहते हैं। यही कारण है कि कई देश इसका समर्थन करते हैं। संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्य रूस, फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन तक ने भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन समय समय पर किया है। वहीं दूसरी ओर चीन हर बार इसमें पेंच फंसाता नजर आया है। अब भारत के पक्के दोस्त फ्रांस की तरफ से एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता का समर्थन किया गया है। इसे भी पढ़ें: फ्रांस में नए भारतीय वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन, जानें इससे भारतीय समुदाय को क्या होगा फायदाभारत और फ्रांस के एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया और यूएनएससी मामलों सहित बहुपक्षीय मंचों पर निकट समन्वय पर सहमति व्यक्त की। फ्रांस ने यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अपना दृढ़ समर्थन दोहराया है। इससे पहले पेरिस में एआई एक्शन समिट का उद्घाटन भाषण देने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ मार्सिले पहुंचे। हाई-प्रोफाइल एआई शिखर सम्मेलन में यूरोपीय संघ आयोग के अध्यक्ष उरुसुला वॉन डेर लेयेन, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई और संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस भी उपस्थित थे। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) संचालित भविष्य के लिए लोगों को कौशल और पुन: कौशल प्रदान करने में निवेश का आह्वान किया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि शासन का मतलब हर किसी तक पहुंच सुनिश्चित करना है। पीएम मोदी द्वारा रुचि व्यक्त करने के बाद फ्रांस ने पुष्टि की कि भारत अगले एआई शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। भारत ने फ्रांस को एआई पर उसकी पहल के लिए पूर्ण समर्थन का आश्वासन भी दिया। प्रधानमंत्री ने पेरिस में भारत-फ्रांस सीईओएस फोरम में भी बात की, जहां उन्होंने दोनों देशों के व्यवसायों के बीच साझेदारी को प्रोत्साहित किया। कई क्षेत्रों में विनिर्माण, बुनियादी ढांचे और उत्पादन में प्रगति पर प्रकाश डालते हुए, मोदी ने व्यवसायों से भारतीय बाजार में शामिल होने का आह्वान किया क्योंकि देश 2047 तक 'विकित भारत' के लक्ष्य की दिशा में काम कर रहा है।इसे भी पढ़ें: 14वीं CEO बैठक में बोले जयशंकर, डिजिटल युग करता है विश्वास और पारदर्शिता की मांगयूएनएससी सदस्यता कैसे तय की जाती है?कई वर्षों से भारत अक्सर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी स्थान के लिए तर्क देता रहा है, यह तर्क देते हुए कि वर्तमान निकाय प्रतिनिधित्व के मामले में सीमित है। यूएनएससी का 'स्थायी' सदस्य बनने के लिए, किसी देश को संयुक्त राष्ट्र महासभा के दो-तिहाई सदस्यों और सभी P5 देशों के समर्थन की आवश्यकता होगी। जहां पहली आवश्यकता को हासिल करना अपेक्षाकृत आसान है, वहीं दूसरी कठिन है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सभी पांच स्थायी सदस्यों के पास वीटो शक्ति है। इस प्रकार, यदि एक देश किसी प्रस्ताव के विरुद्ध निर्णय लेता है, तो अन्य चार देशों के आम सहमति पर पहुंचने पर भी इसे पारित नहीं किया जाएगा। हालाँकि, इन सब से पहले 1945 में हस्ताक्षरित मूल संयुक्त राष्ट्र चार्टर में भी UNSC की स्थायी सीटों के विस्तार को बताते हुए संशोधन की आवश्यकता है।Stay updated with International News in Hindi on Prabhasakshi

UNSC में फ्रांस की तरफ से भारत को वीटो! सदस्यता के लिए अब चीन से भी भिड़ने की तैयारी में मोदी के दोस्त मैक्रों!
The Odd Naari
लेखक: साक्षी कुमारी, टीम नीतानागरी
परिचय
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए लंबे समय से चल रही चर्चा में एक नया मोड़ आया है। हाल ही में, फ्रांस ने भारत को वीटो अधिकार देने की पेशकश की है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत की सांकेतिक भूमिका को मान्यता दी जा रही है। इस बीच, चीन के साथ चल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा में, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों सक्रियता से भारत का समर्थन कर रहे हैं।
फ्रांस का भारत का समर्थन
फ्रांस ने हमेशा भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का प्रयास किया है। हाल ही में हुई बैठकों में, मैक्रों ने UNSC में भारत की सदस्यता का समर्थन किया है। यह प्रस्ताव भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका को मान्यता देता है और साथ ही चीन के प्रभाव को सीमित करने का भी एक रास्ता है।
चीन के साथ प्रतिस्पर्धा
चीन के UNSC में स्थायी सदस्यता का सवाल हमेशा उठता रहा है। अब, जब भारत और फ्रांस एकजुट होकर अगले कदम उठाने की योजना बना रहे हैं, भारत को चीन की गतिविधियों से सतर्क रहना होगा। मैक्रों चीन के साथ जुड़ाव को कम करने के लिए भारत के साथ मजबूती से खड़े होने का निश्चय कर चुके हैं।
भारत-फ्रांस संबंधों की मज़बूती
भारत और फ्रांस के बीच आर्थिक, सामरिक, और सांस्कृतिक सहयोग बढ़ रहा है। विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाते हुए, दोनों देश अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक साथ खड़े हो रहे हैं। यह कदम न केवल भारत की स्थिति को मजबूत करता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक नई धारा का निर्माण भी करता है।
निष्कर्ष
फ्रांस का भारत की UNSC में सदस्यता को समर्थन देना न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि यह चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए एक सकारात्म कदम भी है। इस समय, जब वैश्विक राजनीति में टकराव बढ़ रहा है, मोदी और मैक्रों का यह सहयोग महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है।
भारत-फ्रांस संबंधों से युक्त इस नई दिशा का पूरा लाभ उठाने के लिए, हमें वैश्विक स्तर पर एकजुटता और स्थिरता की आवश्यकता है। हम आशा करते हैं कि इस सहयोग से भारत को भविष्य के सुधारों में सफलता प्राप्त होगी।