Sunita Williams Is Back: अंतरिक्ष यात्रा के दौरान मानव शरीर में होते हैं कई बदलाव, रिकवरी में लगता है लंबा समय
नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर नौ महीने अंतरिक्ष में रहने के बाद बुधवार सुबह धरती पर लौट आए। वे दोनों दो अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ धरती पर लौटे हैं। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से लौटे विलियम्स और विल्मोर की धरती पर लैंडिंग तो ठीक रही, लेकिन उनके शरीर और दिमाग को यहां ढलने में थोड़ा समय लगेगा।ऐसे में आइए जानते हैं कि अंतरिक्ष में रहने के दौरान विलियम्स और विल्मोर के शरीर में क्या बदलाव आए होंगे और अब उनका शरीर पृथ्वी के हिसाब से खुद को कैसे ढालेगा?अंतरिक्ष यात्रा के दौरान मानव शरीर पर होने वाले प्रभावमाइक्रोग्रैविटी में महीनों बिताना शरीर के लिए बहुत बुरा होता है। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के बिना, मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं, हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और शारीरिक तरल पदार्थ बदल जाते हैं।अंतरिक्ष यात्री तेजी से मांसपेशियों को खो देते हैं क्योंकि वे अपने वजन को सहारा देने के लिए अपने पैरों का उपयोग नहीं करते हैं। उनकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और वे हर महीने अपने अस्थि द्रव्यमान (बोन मास) का 1 प्रतिशत खो देते हैं।शरीर का द्रव्यमान और तरल पदार्थ: अंतरिक्ष में रहने के दौरान शरीर का लगभग 20 प्रतिशत तरल पदार्थ और 5 प्रतिशत द्रव्यमान कम हो जाता है।मांसपेशियां: सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के कारण मांसपेशियों में शोष होता है, लेकिन नियमित व्यायाम और पूरक आहार से इस नुकसान को कम किया जा सकता है।त्वचा: अंतरिक्ष में त्वचा पतली हो जाती है, आसानी से फट जाती है और अधिक धीरे-धीरे ठीक होती है।आंखें: सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण दृष्टि को खराब करता है, जबकि विकिरण मोतियाबिंद के जोखिम को बढ़ाता है।डीएनए: पृथ्वी पर लौटने के बाद अधिकांश जीन रीसेट हो जाते हैं, लेकिन लगभग 7 प्रतिशत जीन बाधित रहते हैं।मनोदैहिक और अनुभूति: विकिरण मस्तिष्क क्षति और अल्जाइमर रोग की शुरुआत का कारण बन सकता है। अंतरिक्ष अभिविन्यास को बाधित करता है, जिससे मोशन सिकनेस होती है।हृदय प्रणाली: रक्त परिसंचरण धीमा हो जाता है और लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन कम हो जाता है। हृदय अतालता आम है।प्रतिरक्षा प्रणाली: प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। अंतरिक्ष में छह महीने तक विकिरण जोखिम पृथ्वी पर वार्षिक जोखिम से 10 गुना अधिक है।हड्डियां: कंकाल की विकृति और हड्डियों के नुकसान की संभावना है, हर महीने 1 प्रतिशत हड्डी का द्रव्यमान खो जाता है। अंतरिक्ष यात्री लंबे हो जाते हैं क्योंकि कक्षा में रहते हुए उनकी रीढ़ फैल जाती है।इसे भी पढ़ें: Donald Trump ने कहा -वादा किया गया, वादा निभाया गया, क्रू-9 अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी की सराहना की, Elon Musk को दिया धन्यवादपृथ्वी पर वापस आने के बाद शरीर कैसे ठीक होता है?पृथ्वी पर वापस आने से अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर पर महीनों से लगा तनाव तुरंत कम नहीं होता। इसे कम होने में लंबा समय लगता है। जैसे-जैसे उनका शरीर गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल होता है, उन्हें संतुलन की समस्या, चक्कर आना और कमजोर हृदय संबंधी कार्य का अनुभव होता है। लैंडिंग के महीनों बाद भी, सब कुछ ठीक नहीं होता। उन्हें कैंसर, तंत्रिका क्षति और अपक्षयी रोगों सहित दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है।अंतरिक्ष से आगमन: रीढ़ की हड्डी सामान्य आकार में वापस आ जाती है। पेट फूलना अब कोई समस्या नहीं है, और रक्तचाप सामान्य हो जाता है।एक सप्ताह बाद: मोशन सिकनेस, भटकाव और संतुलन संबंधी समस्याएं गायब हो जाती हैं। नींद सामान्य हो जाती है।दो सप्ताह बाद: प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक हो जाती है, और शरीर के खोए हुए तरल पदार्थ वापस आ जाते हैं। लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन सामान्य हो जाता है।एक महीने बाद: मांसपेशियों का पुनर्निर्माण लगभग पूरा हो जाता है और उड़ान से पहले के स्तर के करीब होता है।तीन महीने बाद: त्वचा का पुनर्विकास पूरा हो जाता है। शरीर का द्रव्यमान पृथ्वी के स्तर पर वापस आ जाता है, और दृष्टि संबंधी समस्याएं अब नहीं रहती हैं।छह महीने बाद: हड्डियों के टूटने का जोखिम बना रहता है और साथ ही कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। 93 प्रतिशत जीन सामान्य हो जाते हैं, लेकिन 7 प्रतिशत विकृत रह जाते हैं।

Sunita Williams Is Back: अंतरिक्ष यात्रा के दौरान मानव शरीर में होते हैं कई बदलाव, रिकवरी में लगता है लंबा समय
The Odd Naari द्वारा, लेखिका: साक्षी शर्मा और अपर्णा देसाई, टीम नीतानागरी
अंतरिक्ष यात्रा के बाद जब सनिता विलियम्स धरती पर लौटीं, तो उनके अनुभव को जानने के लिए सभी उत्सुक थे। अंतरिक्ष में बिताए गए समय के दौरान उनके शरीर में कई बदलाव हुए हैं। चलिए, समझते हैं कि ये बदलाव क्या हैं और रिकवरी में कितना समय लगता है।
अंतरिक्ष यात्रा का महत्व
अंतरिक्ष में जाकर मानवता के लिए नए रहस्य खोलने की कोशिशें लगातार बनी हुई हैं। भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री सनिता विलियम्स ने अपनी यात्रा के दौरान न केवल भारत का नाम रोशन किया है, बल्कि यह भी बताया कि अंतरिक्ष में जाने के बाद मानव शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है।
इन बदलावों का क्या है कारण?
जब मानव अंतरिक्ष में होता है, तो उसे ग्रेविटेशनल प्रभाव का सामना नहीं करना पड़ता। इससे हमारे शरीर में कई जैविक परिवर्तन होते हैं।
- पेशियों का नुकसान: अंतरिक्ष में पैसिव रहने के कारण मांसपेशियों में ताकत कम हो जाती है। इसीलिए, अंतरिक्ष यात्री अपनी ताकत बनाए रखने के लिए नियमित व्यायाम करते हैं।
- हड्डियों में कमी: लंबी अवधि तक वजन नहीं होने के कारण हड्डियों की घनत्व में कमी आ सकती है, जिससे fractures का खतरा बढ़ जाता है।
- मुतृता परिवर्तन: अंतरिक्ष में, कई लोग संतुलन और समन्वय की समस्याओं का अनुभव करते हैं, जो कि कारण होता है मस्तिष्क की स्पेस-ओरिएंटेशन क्षमता में बदलाव।
रिकवरी में लगता है लंबा समय
सनिता ने कहा है कि अंतरिक्ष यात्रा के बाद स्वास्थ्य को सामान्य करने में कई हफ्ते लग सकते हैं। शरीर को धीरे-धीरे सामान्य स्थितियों में लाने के लिए विशेष चिकित्सा की आवश्यकता होती है।
उदाहरण के लिए, मांसपेशियों को सामान्य ताकत में लाने के लिए समय और धैर्य की जरूरत होती है। इसी कारण से अंतरिक्ष यात्री अपनी वापसी के बाद कई प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी नियमित कार्यक्रमों का पालन करते हैं।
निष्कर्ष
सनिता विलियम्स की वापसी न केवल एक अद्भुत यात्रा का प्रतीक है, बल्कि यह हमें यह भी समझाती है कि अंतरिक्ष की यात्रा के फायदे के साथ साथ चुनौतियाँ भी होती हैं। मानव शरीर की क्षमता इन यात्रा के दौरान कितना परिवर्तनशील हो सकती है, यह जानकर हम सभी को गर्व महसूस होता है। आगे चलकर, ऐसे प्रयोग और भी होंगे जो मानवता के बारे में नई जानकारियाँ देंगे।
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