Pakistan On Nagpur Violence: औरंगजेब का विरोध...पूरे भारत को डरा देगी नागपुर की ये सच्चाई
क्रूर, हिंसक और अत्याचारी औरंगजेब को लेकर नागपुर में जो विवाद चल रहा है। उसकी चर्चा पाकिस्तान में होने लगी है। पाकिस्तान की मीडिया औरंगजेब का विरोध करने वालों को एक्सट्रिमिस्ट बोल रही है। आतंकवादियों को पालने वाले देश की मीडिया औरंगजेब का विरोध करने वालों को चरमपंथी बोल रही है। लेकिन पाकिस्तानी शायद भूल गए हैं कि उनके पूर्वज हिंदू थे जिन्हें औरंगजेब ने तलवार के दम पर हिंदू बनाया था। 2011 की जनगणना के हिसाब से नागपुर वो जगह है जहां हिंदू जनसंख्या 75 प्रतिशत है। वहीं मुस्लिम आबादी 9 प्रतिशत है। अब इसी नागपुर में कर्फ्यू तल लगाना पड़ गया है। औरंगजेब की कब्र का विरोध करने से धार्मिक उन्माद हो गया है। कुछ लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो गई हैं। इसे भी पढ़ें: VHP-बजरंग दल के 8 कार्यकर्ताओं का सरेंडर, मास्टराइंड फहीम की गिरफ्तारी, RSS का बयान, CM का वादा, नागपुर हिंसा का पूरा अपडेटमशहूर वकील अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि जिन हिंदुओं को जबरन मुस्लिम बना दिया गया था। आज उन्हीं कन्वर्टेडों के वंशज औरंगजेब के लिए लड़ने को तैयार हैं। नागपुर में शाम को एक अफवाह ने तूल पकड़ लिया, जिसमें यह कहा गया था कि एक प्रतीकात्मक कब्र पर रखी गई चादर पर धार्मिक चिन्ह था। इसी अफवाह के कारण मामला गरमाया और हिंसा की घटनाएं हुईं। इस हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री ने बताया कि इस हिंसा में 12 दोपहिया वाहन क्षतिग्रस्त हो गए और घटना स्थल पर 80 से 100 लोगों का जमावड़ा था। हिंसा की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक क्रेन और दो जेसीबी समेत चार पहिया वाहनों को जलाया गया। इसके अलावा कुछ लोगों पर तलवार से भी हमला किया गया। इसे भी पढ़ें: Nagpur violence: दोषियों को कब्र से भी खोद निकालेंगे, सीएम फडणवीस ने सख्त कार्रवाई का किया वादाअलग अलग रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि चुन चुन कर हिंदुओं की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। अश्विनी उपाध्याय ने सवाल उठाया कि हमला उस नागपुर में हुआ है जो दुनिया के सबसे बड़े स्वयं सेवी संगठन का मुख्यालय है। ये हमला उस नागपुर में हुआ है जो शिवाजी महाराज और संभाजी की कर्मभूमि है। पाकिस्तान के बच्चों को जो किताबें पढ़ाई जा रही हैं उनमें औरंगजेब की जमकर तारीफ की गई है। जिस औरंगजेब ने लाखों हिंदुओं को मारा, लाखों लोगों का धर्म परिवर्तन करा उन्हें मुस्लिम बना दिया। आज उसी पाकिस्तान में कन्वर्टेड हिंदुओं के वंशज औरंगजेब की तारफें कर रहे हैं। पाकिस्तान की किताबों में औरंगजेब को इसलिए महान बताया गया है क्योंकि उसने अपने धर्म को सबसे ऊपर रखा है।

Pakistan On Nagpur Violence: औरंगजेब का विरोध...पूरे भारत को डरा देगी नागपुर की ये सच्चाई
The Odd Naari
लेखिका: पूजा शर्मा, टीम न्यतानागरी
नागपुर में हाल ही में हुए हिंसक घटनाक्रम ने एक बार फिर पूरे देश का ध्यान खींचा है। यह घटना, जो कि औरंगजेब के विरोध के चलते हुई, केवल एक स्थानिक मुद्दा नहीं है बल्कि इसके पीछे के सामाजिक-राजनीतिक दृष्टिकोण देश के अन्य हिस्सों में भी सतही रूप से देखे जा रहे हैं। क्या नागपुर की ये सच्चाई वाकई पूरे भारत को डरा देगी? आइए, हम इस पर चर्चा करते हैं।
घटनाक्रम का सारांश
नागपुर में हाल ही में हिंसा का एक बड़ा मामला सामने आया था जिसमें कुछ स्थानीय लोगों ने औरंगजेब के प्रति आपत्ति जताई। यह विरोध धीरे-धीरे बड़े पैमाने पर फैल गया और इसके परिणामस्वरूप कुछ अराजकता भी पैदा हुई। स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को काबू करने के लिए त्वरित कार्रवाई की, लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसा घटना भविष्य में फिर से दोहराई जा सकती है?
सोशल मीडिया का प्रभाव
आजकल सोशल मीडिया एक ऐसा मंच बन गया है जहां विचारों का तात्कालिक आदान-प्रदान संभव हो गया है। नागपुर की इस घटना पर भी विभिन्न प्रवृत्तियों का प्रभाव देखा गया। कुछ लोगों ने इस घटना का समर्थन किया जबकि अन्य ने इसकी निंदा की। ऐसे में सवाल उठता है कि ये विचार केवल एक क्षेत्र में क्यों सीमित रहेंगे? क्या देश की सामाजिक एकता को खतरा नहीं हो सकता?
राजनीतिक निहितार्थ
जब हिंसा होती है, तो उसके पीछे केवल तात्कालिक कारण नहीं होते, बल्कि इसके राजनीतिक निहितार्थ भी गहरे होते हैं। इस प्रकार की घटनाओं का इस्तेमाल राजनीतिक नेताओं द्वारा अपने लाभ के लिए किया जा सकता है। इस प्रकार के हालात में, क्या न्यायालयों या अपील के अधिकारों का उपयोग सही होगा या फिर इसे एक राजनीतिक मुद्दे के रूप में लिया जाएगा? यह भविष्य में देखने योग्य स्थिति होगी।
समाज की भूमिका
समाज को इस प्रकार की स्थिति में क्या करना चाहिए? क्या हमें इस पर चुप रहना चाहिए या इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए? समुदायों को अपने अंदर एकजुटता लाने की जरुरत है। केवल एक समूह द्वारा अशांति फैलाने से पूरे समाज को उसका परिणाम भुगतना पड़ सकता है। ऐसे हालात में सामूहिक संवाद और सहिष्णुता की आवश्यकता अधिक है।
निष्कर्ष
नागपुर की यह घटना केवल एक वस्तु इसकी वास्तविकता को प्रतिबिंबित करती है, यह दर्शाती है कि कैसे कुछ लोग समाज को विभाजित करने के लिए भड़काने वाले तत्व का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस मामले से सबक लेना होगा कि हमें समरसता और भाईचारा बनाए रखना है। न केवल नागपुर, बल्कि पूरे भारत को इस दिशा में विचार करने की आवश्यकता है।
कुल मिलाकर, पीड़ितों, प्रदर्शनकारियों और समाज के बीच संवाद को बढ़ावा देना ही भविष्य की ओर सही कदम हो सकता है। इस प्रकार की घटनाएं हमें एक नई संजीवनी देंगी कि कैसे हमें अपने मतभेदों को सुलझाना है और एकजुट होकर आगे बढ़ना है।
हमेशा की तरह, नवीनतम अपडेट के लिए theoddnaari.com पर विजिट करें।