Anxiety Symptoms: बच्चे के अंदर दिखें ये बदलाव तो पेरेंट्स न करें नजरअंदाज, हो सकते हैं एंग्जायटी के लक्षण
अगर बच्चा किसी काम को करने से पहले घबराता है, हथेलियों पर पसीना आए या फिर लोगों से मिलने-जुलने से कतराने लगे। तो पेरेंट्स को अपने बच्चे के इस बदलते व्यवहार के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। कई बार बच्चे एंग्जायटी को लेकर बात करना चाहते हैं, लेकिन माता-पिता उनकी बातों को अनसुना कर देते हैं। ऐसे में अगर समय पर एंग्जायटी के लक्षणों पर ध्यान न दिया जाए और इलाज न किया जाए, तो आगे चलकर इसके गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको एंग्जायटी के लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं।बच्चे का गुस्सैल होनाअगर बच्चे में एंग्जायटी की समस्या की समय रहते पहचान न की जाए, तो इसका सीधा असर बच्चे के लिए बिहेवियर पर देखने को मिलता है। बच्चा गुस्सैल हो जाता है किसी भी काम को करने से पहले झुंझलाते या फिर घबराते हैं।इसे भी पढ़ें: Health Tips: चाय-कॉफी की जगह इन पौष्टिक चीजों से करें दिन की शुरूआत, सेहत को मिलेंगे कई लाभतैयारी के बाद भी एग्जाम में जाने से डरनाएंग्जायटी की समस्या से गुजरने वाले बच्चों के अंदर एग्जाम को लेकर डर बैठ जाता है। अच्छी तैयारी होने के बाद भी उनको लगता है कि वह अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाएंगे। कई बार वह परीक्षा न देने के लिए बहाने ढूंढते हैं या फिर उससे बचने का प्रयास करते हैं। अच्छी तैयारी होने के बाद भी वह खुद पर भरोसा नहीं कर पाते हैं।घर से बाहर जाने में घबराहटअगर बच्चा घर से बाहर जाने में कतराता है या किसी पार्टी व रिश्तेदार के यहां जाने से बचता है या फिर कई बार शॉपिंग पर जाने से मना करना। बच्चे का स्कूल जाने की इच्छा नहीं होना और न अपने दोस्तों से मिलना।भूख और नींद कम होनाबता दें कि एंग्जायटी का असर बच्चे की नींद और भूख पर भी देखने को मिलता है। पहले जिन खेलों या एक्टिविटी में हिस्सा लेने के लिए बच्चा आगे रहता था, अब उसमें वह हिस्सा लेने से पीछे हट जाता है। या फिर डांसिंग, सिंगिंग या ड्राइंग जैसी मनपसंद एक्टिविटी में मन नहीं लगना।एंग्जायटी के लक्षणपेट दर्द या सिरदर्द की शिकायतजी घबराना या उल्टी होनासांस लेने में तकलीफज्यादा पसीना आनाऐसे पहचानें पेरेंट्सपहले जिन कामों को करने में बच्चा दिलचस्पी दिखाता था, अब उन्हीं कामों को वह बोझ समझने लगा है।बच्चा अगर किसी काम को करने से पहले ही यह कह दे कि वह मुझसे नहीं होगा।बच्चे का बार-बार बीमार पड़ना और रात में नींद कम आना।बच्चे का बाहर जाने से मना करना।किसी से मिलने-जुलने में कंफर्टेबल फील नहीं करना।काम को न करने के लिए बच्चे द्वारा नए-नए बहाने बनाना।जानिए क्या करें पेरेंट्सबच्चे के व्यवहार में बदलाव देखने के बाद पेरेंट्स उनसे ज्यादा से ज्यादा बात करने का प्रयास करें। साथ ही यह भी प्रयास करें कि आखिर बच्चा किस बात को लेकर परेशान हो रहा है। इसलिए बच्चे की बात को बेफिजूल मानकर नहीं टालना चाहिए। बच्चे को ऐसे फील कराएं कि आप उनका साथ हर स्थिति में देंगे। बच्चे के आसपास रहें और उनको कंफर्टेबल फील कराने का प्रयास करें। उनकी डाइट का ध्यान रखें। बच्चे की सेहत पर यदि एंग्जायटी का ज्यादा असर नजर आने लगा है तो किसी अच्छे साइकोलॉजिस्ट या काउंसलर से बात करने में बिल्कुल भी देर नहीं करें।

अनजानी चिंता के लक्षण: बच्चे के अंदर दिखें ये बदलाव तो पेरेंट्स न करें नजरअंदाज, हो सकते हैं एंग्जायटी के लक्षण
The Odd Naari द्वारा लिखित: Neha Sharma, Team Netaanagari
आज के तेज़ रफ्तार जीवन में, बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना उचित है। कई पेरेंट्स यह नहीं समझ पाते कि उनके बच्चों में क्या हो रहा है। अगर आप अपने बच्चे में कुछ अजीब बदलाव देख रहे हैं, तो ये चिंता के लक्षण हो सकते हैं।
बचपन में चिंता के लक्षण
बच्चों में एंग्जायटी के लक्षण अक्सर नजर नहीं आते हैं, लेकिन पेरेंट्स को इनकी पहचान करना बेहद जरूरी है। बच्चों में चिंता पैदा करने वाले कारक भिन्न हो सकते हैं जैसे कि स्कूल का तनाव, सामाजिक दबाव, या पारिवारिक समस्याएँ।
मूड में अचानक बदलाव
अगर आपका बच्चा अचानक से चुप हो गया है या उसका व्यवहार पहले की तरह खुशमिजाज नहीं रहा, तो यह चिंता का संकेत हो सकता है। ऐसे बच्चे आमतौर पर किसी गहरी चिंता को महसूस करते हैं।
सोने में असुविधा
यदि आपका बच्चा रात में सोने में कठिनाई महसूस कर रहा है या डरावने सपने देख रहा है, तो यह भी चिंता का एक लक्षण हो सकता है। बच्चों की नींद में बदलाव उनके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बहुत कुछ कहता है।
शारीरिक लक्षण
कभी-कभी, चिंता की समस्या शारीरिक लक्षणों के रूप में भी प्रकट होती है। बच्चों में पेट दर्द, सिरदर्द, या थकान जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
अत्यधिक तकलीफ या घबराहट
कई बार बच्चे बिना किसी स्पष्ट कारण के अत्यधिक घबराहट का अनुभव करते हैं। यह एक संकेत है कि उन्हें किसी न किसी चीज़ से डर लग रहा है।
पेरेंट्स को क्या करना चाहिए?
अगर आपको अपने बच्चे में कोई चिंता का लक्षण नजर आता है, तो सबसे पहले उसे सुनें और उसके विचारों को समझने की कोशिश करें। पेरेंट्स के लिए यह जरूरी है कि वे बच्चे को मानसिक सहारा दें और उपाय तय करें।
यदि आवश्यकता महसूस हो, तो विशेषज्ञ की सलाह लेने से न हिचकिचाएँ। मानसिक स्वास्थ्य हमेशा प्राथमिकता होनी चाहिए।
निष्कर्ष
बच्चों की चिंता पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। उन्हें प्यार और समर्थन देने से न सिर्फ उनके तनाव को कम किया जा सकता है, बल्कि उनके विकास को भी सुगम बनाया जा सकता है।
अंततः, मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करने से भविष्य में समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, इसलिए इसे प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। बच्चे के दोषों पर ध्यान दें, उनकी बात सुनें और उन्हें सकारात्मक दिशा में मार्गदर्शन करें।