हिंदी दिवस पर लेखक गांव में साहित्यकारों का अद्भुत संगम

The post हिंदी दिवस-लेखक गांव में साहित्यकारों का जुटान appeared first on Avikal Uttarakhand. मेरे देश की पहचान है हिन्दी: निशंक हिंदी दिवस के अवसर पर ‘राष्ट्रीय एकता और हिंदी’ पर संवाद अविक्ल उत्तराखण्ड थानो।  हिंदी दिवस पर भारत के पहले लेखक गांव थानो… The post हिंदी दिवस-लेखक गांव में साहित्यकारों का जुटान appeared first on Avikal Uttarakhand.

हिंदी दिवस पर लेखक गांव में साहित्यकारों का अद्भुत संगम
हिंदी दिवस पर लेखक गांव में साहित्यकारों का अद्भुत संगम

हिंदी दिवस पर लेखक गांव में साहित्यकारों का अद्भुत संगम

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कम शब्दों में कहें तो: हिंदी दिवस पर थानो में आयोजित कार्यक्रम में साहित्यकारों ने हिंदी के महत्व को रेखांकित किया और राष्ट्रीय एकता की भावना को प्रगाढ़ करने की दिशा में संवाद किया।

हिंदी दिवस के अवसर पर, भारत के पहले लेखक गांव, थानो में “राष्ट्रीय एकता और हिंदी” का संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर विभिन्न साहित्यकार, कवि और हिंदी शोधार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रमुख साहित्यकार डॉ. जयंती प्रसाद नौटियाल, पूर्व उच्च शिक्षा निदेशिका प्रो. सविता मोहन और स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय की उपाध्यक्ष विदुषी निशंक ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया।

इस संवाद कार्यक्रम में, लेखक गांव के संरक्षक, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में भारत सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने अपने विचार रखते हुए कहा, “हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि हमारे सांस्कृतिक और सामाजिक सामंजस्य का प्रतीक है। हमें इस भाषा को और भी सशक्त बनाना होगा ताकि यह हर भारतीय के दिल में घर कर सके और राष्ट्रीय एकता को मजबूत कर सके।” उन्होंने आगे कहा कि हर वर्ष 14 सितंबर का हिंदी दिवस हमें याद दिलाता है कि हिंदी केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारी आत्मा का संगीत है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, डॉ. जयंती प्रसाद नौटियाल ने कहा, “हिंदी भाषा में न केवल भारतीयता की भावनाएं समाहित हैं, बल्कि यह एकता का संदेश भी देती है। हमें इसे केवल भाषा के रूप में नहीं, बल्कि एक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के रूप में देखना चाहिए।” इस बात को ध्यान में रखते हुए, सभी उपस्थित साहित्यकारों ने हिंदी की सांस्कृतिक गहराईयों को उजागर किया।

पूर्व उच्च शिक्षा निदेशिका प्रो. सविता मोहन ने इस बात पर जोर दिया कि “हिंदी का महत्व शिक्षा और साहित्य दोनों में अत्यधिक है। यह हमारे विचारों को व्यक्त करने का सबसे प्रभावी साधन है, और इसे सशक्त बनाने की जिम्मेदारी हम सभी की है।” उनके द्वारा उठाए गए इस मुद्दे ने उपस्थित सभी लोगों को विचार करने पर मजबूर किया।

इसके अतिरिक्त, इस कार्यक्रम में एक काव्य पाठ का आयोजन भी किया गया, जिसमें प्रसिद्ध कवियों ने अपनी रचनाओं द्वारा हिंदी के प्रति अपने प्रेम और समर्पण को प्रदर्शित किया। इस तरह के काव्य पाठ ने उपस्थित जनसमुदाय को काफी प्रेरित किया और इसका माहौल बहुत ही आनंदमय बन गया।

इस कार्यक्रम ने हिंदी भाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए, राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। इस अवसर पर साहित्य जगत की अनेक प्रमुख हस्तियां मौजूद थीं, जिन्होंने इस संवाद कार्यक्रम को समृद्ध किया।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ. मनोरमा नौटियाल, वीरेंद्र डंगवाल, पार्थ, ममता गुप्ता, डॉ. क्षमा कौशिक, मोनिका शर्मा, रचना शर्मा, डॉ. नूतन स्मृति, कविता बिष्ट, मणिक अग्रवाल, मनमोहन सकलानी, तनुजा सिंह, डॉ. मुकेश नौटियाल, कुसुम रावत, बीना बेंजवाल आदि उपस्थित थे। इस आयोजन का संचालन डॉ. भारती मिश्रा ने किया।

इस कार्यक्रम ने हिंदी भाषा के महत्व को फिर से प्रकट किया और हमें यह समझाने में मदद की कि यह केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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यह लेख टीम द ओड नारी की ओर से, सीमा शर्मा द्वारा प्रस्तुत किया गया है।