सबूत नहीं दिखाएंगे... उप प्रधानमंत्री डार, डीजी आईएसपीआर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारत पर लगाया गंदा आरोप
उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार और महानिदेशक (डीजी) इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी भारत के जम्मू और कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में पर्यटकों पर हमले को लेकर पाकिस्तान और भारत के बीच बढ़ते तनाव के बीच प्रेस कॉन्फ्रेंस किया है। पाकिस्तान की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस दोनों देशों के बीच पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की तरफ से कड़े और बड़े एक्शन लिए जाने के खौफ के बीच हुई है। पाकिस्तान की तरफ से कहा गया है कि नई दिल्ली ने बिना कोई सबूत पेश किए हमले से इस्लामाबाद को जोड़ा और सिंधु जल संधि को निलंबित करने, पाकिस्तानियों के वीजा रद्द करने और वाघा-अटारी सीमा क्रॉसिंग को बंद करने सहित संबंधों को कम करने के लिए कई दंडात्मक कदम उठाए। इसे भी पढ़ें: India-Pakistan Tension: भारत की आक्रमक एक्शन को देख घबराया पाकिस्तान, PoK से गुजरने वाली सभी उड़ानें कर दी रद्दएक दिन पहले मीडिया को जानकारी देते हुए डीजी आईएसपीआर ने उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाले कहावत की तर्ज पर भारत पर ही खुद प्रायोजित आतंकवाद के सबूत पेश किए। इससे कुछ दिन पहले नई दिल्ली ने इस्लामाबाद पर आईआईओजेके में पहलगाम हमले का आरोप लगाया था। लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद में शामिल है। पहलगाम हमले को सात दिन हो चुके हैं, फिर भी पाकिस्तान के खिलाफ लगाए गए बेबुनियाद आरोपों को साबित करने के लिए एक भी सबूत पेश नहीं किया गया है। इसे भी पढ़ें: Pakistan में घुसकर आतंकी को मारने का प्लान बना रहा भारत? मिल गई हाफिज सईद की लोकेशनडीजी आईएसपीआर ने कहा कि भारत पाकिस्तान के अंदर आतंकी नेटवर्क संचालित करता पाया गया है, जिसमें न केवल सुरक्षा बलों बल्कि निर्दोष नागरिकों को भी निशाना बनाने के इरादे से आतंकवादियों को विस्फोटक, आईईडी और अन्य घातक सामग्री की आपूर्ति की जा रही है। यह अकाट्य सबूत भारत द्वारा संचालित राज्य प्रायोजित आतंकवाद के व्यापक पैटर्न का एक छोटा सा हिस्सा मात्र है।

सबूत नहीं दिखाएंगे... उप प्रधानमंत्री डार, डीजी आईएसपीआर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारत पर लगाया गंदा आरोप
लेखिका: सुमिता रानी, टीम नेतानागरी
The Odd Naari
भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों का एक नया अध्याय तब सामने आया जब पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री 'अहमद डार' और डीजी आईएसपीआर (इंटर-सरविसेज पब्लिक रिलेशंस) मेजर जनरल 'बिपिन रावत' ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। इस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने भारत पर गंभीर आरोप लगाए, मगर बड़े आश्चर्य की बात यह रही कि उन्होंने अपने आरोपों का कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया। यह घटना एक बार फिर से दोनों देशों के बीच के जटिल मुद्दों को उजागर करती है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस का मुख्य बिंदु
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उप प्रधानमंत्री डार ने भारत पर जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन और आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना द्वारा civilians पर हो रहे अत्याचार निंदनीय हैं। वहीं, मेजर जनरल बिपिन रावत ने आरोप लगाया कि भारत विशेष रूप से पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है।
हालांकि, दोनों उच्चाधिकारियों ने अपने आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत दिखाने का वादा नहीं किया, जिससे सवाल उठने लगे कि क्या ये आरोप केवल राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा हैं। यह बयान बताता है कि कैसे राजनीतिक बयानबाजी और मीडिया का इस्तेमाल अक्सर विवादों में घेरने के लिए किया जाता है।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान इस तरह के आरोप लगाकर केवल अपनी अंदरूनी समस्याओं से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है। भारत सरकार ने बार-बार कहा है कि वो आतंकवाद के खिलाफ है और पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवादी गुटों को उसके अधिकृत क्षेत्रों में कार्रवाई के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
भविष्य की राह
भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच, यह स्पष्ट है कि इन आरोपों और प्रेस कॉन्फ्रेंस के चलते दोनों देशों के बीच नीतिगत बातचीत में कोई भी प्रगति करना चुनौतीपूर्ण साबित होगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस स्थिति को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी ताकि दोनों देशों के बीच स्थायी शांति की उम्मीद बनी रह सके।
निष्कर्ष
जबकि उप प्रधानमंत्री डार और मेजर जनरल रावत के द्वारा किए गए आरोप ने मीडिया में हलचल मचा दी है, लेकिन सबूतों के अभाव में ऐसे आरोपों की सत्यता पर सवाल उठना स्वाभाविक है। यही कहानी है राजनीति की, जो कभी-कभी संवेदनशील मुद्दों को नकारात्मक रूप में पेश करती है। हमें उम्मीद रखनी चाहिए कि दोनों देशों के नेतृत्व इस स्थिति को संभालने और शांति की दिशा में आगे बढ़ने के लिए ठोस कदम उठाएंगे।
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