प्रयागराज महाकुंभ के हृदयविदारक हादसे के लिए जिम्मेदार कौन?
प्रयागराज महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या ब्रह्ममुहूर्त स्नान से ठीक पहले संगम नोज पर जुटी बेकाबू भीड़ की आपाधापी से जो भगदड़ मची और हृदय विदारक घटना घटी, उससे सनातन धर्म पुनः कलंकित हुआ है। इस अप्रत्याशित हादसे से एक बार फिर हमारा 'धर्म अनुशासन' सवालों के घेरे में आ चुका है। साथ ही साथ भीड़ प्रबंधन सम्बन्धी प्रशासनिक तैयारियां भी, जिसको लेकर लाख प्रशासनिक दावे होते रहे हैं, जबकि एकाध घटनाएं ही उसकी तैयारियों की पूरी पोल खोल देती हैं। इसलिए सुलगता सवाल है कि प्रयागराज महाकुंभ में भीड़ प्रबंधन की विफलता से हुए हृदयविदारक हादसे के लिए जवाबदेह कौन है? जिम्मेदार कौन है? आखिर ब्रेक के बाद जहां-तहां होते रहने वाली ऐसी रूह कंपा देने वाली घटनाओं को रोकने में हमारा प्रशासन अबतक नाकाम क्यों है और वह कबतक सक्षम हो पाएगा? या फिर कभी नहीं हो पाएगा, क्योंकि ऐसे मामलों में उसका ट्रैक रिकॉर्ड हमेशा खराब प्रतीत हुआ है। फिलवक्त योगी सरकार ने प्रयागराज महाकुंभ हादसे की न्यायिक जांच करवाने के आदेश दे दिए हैं, ताकि यह पता चल सके कि इतनी बड़ी प्रशासनिक चूक कैसे हुई और उसके लिए कौन-कौन लोग जिम्मेदार है? क्योंकि इतने महत्वपूर्ण वैश्विक आयोजन में पहले हुईं अग्निकांड की घटनाएं और फिर अनियंत्रित भीड़ से मची भगदड़ के चलते वहां की पूरी प्रशासनिक तैयारी भी एक बार पुनः सवालों के घेरे में आ चुकी है। इसे भी पढ़ें: महाकुंभ हादसे पर भावुक हुए CM योगी, दिए न्यायिक जांच के आदेश, मृतकों के परिजनों को 25 लाख की आर्थिक सहायता का ऐलानकहना न होगा कि वहां जो कुछ भी हुआ, वह भीड़ प्रबंधन सम्बन्धी प्रशासनिक विवेक के अकाल का परिचायक तो है ही, साथ ही साथ उसके त्वरित निर्णय लेने की क्षमता की अक्षमता को भी उजागर कर चुका है। जबकि वहां सीसीटीवी कैमरे, ड्रोन और हेलीकॉप्टर तक से निगहबानी हो रही है, ताकि त्वरित निर्णय लेते हुए स्थिति पर काबू पाया जा सके। वहीं, सवाल यह भी है कि इस हादसे के बाद आवागमन व वीआईपी व्यवस्था सम्बन्धी जो नीतिगत बदलाव किए गए, वह पहले ही क्यों नहीं किए गए? चूंकि महाकुंभ सम्बन्धी तैयारियां महीनों पहले से चल रही थीं और करोड़ों लोगों के जुटने के पूर्वानुमान भी लगाए जा चुके थे। फिर भी वहां हुई प्रशासनिक तैयारी तो नाकाफी लगी ही, साथ ही साथ श्रद्धालुओं के लिए कष्ट प्रदायक भी महसूस हुई। क्योंकि उनमें बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों और विकलांग लोगों की सहूलियत का कोई ख्याल नहीं रखा गया था। इसलिए हताहतों व घायलों की सूची में उनकी संख्या ज्यादा है।स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, इस घटना में जहां लगभग 30 श्रद्धालुओं को 'अमरत्व' यानी देवलोक प्राप्त हो गया, वहीं लगभग 100 लोग कुचल जाने के कारण घायल हो गए, जिनका इलाज स्थानीय अस्पताल में किया जा रहा है। वहीं, मृतकों के शवों को पाने में भी परिजनों को काफी तकलीफें उठानी पड़ी हैं। जबकि इस भगदड़ में बिछुड़े हुए परिजनों की जो व्यथा-कथा दिखाई सुनाई पड़ी, वह भी विचलित करने वाली है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दुःखद घटना ने जहां यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हृदय को द्रवित कर दिया, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भावुक नजर आए। हालांकि, योगी सरकार ने पीड़ितों के दु:खों को कम करने के लिए कतिपय राहत उपाय भी घोषित किये हैं, जिसके मुताबिक मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये प्रदान किये जायेंगे और घायलों को समुचित इलाज प्रदान किया जाएगा। इससे पीड़ित परिवारों को कुछ राहत भी मिली है।हालांकि, इस पूरे महाआयोजन की रिपोर्टिंग करने वहां पहुंचे पत्रकारों ने भी यदि श्रद्धालुओं की आवागमन सम्बन्धी बैरिकेटिंग, संगम नोज पर ठहरने और स्नान स्थल की कमी तथा रहन-सहन सम्बन्धी कमियों को पहले ही उजागर कर दिया होता तो प्रशासन को भी संभलने का मौका मिल जाता। लेकिन इस विषय को नजरअंदाज करना लोगों पर भारी पड़ गया। इस नजरिए से प्रशासनिक खुफिया तंत्र को भी आप विफल मान सकते हैं।जानकारों के मुताबिक, वहां मौजूद गड़बड़ी लगभग सबने जरूर देखी-सुनी होगी, लेकिन किसी ने भी उन कमियों को गंभीरता से नहीं लिया। क्योंकि यदि समय पर वहां व्याप्त अव्यवस्था की रिपोर्टिंग हुई होती तो महाकुंभ हादसे की इतनी बड़ी हृदयविदारक घटना नहीं घटती। चश्मदीद लोगों के मुताबिक, वहां समय पर कोई भी काम पूरा नहीं किया गया था। यहां तक कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को फटकार भी लगाई थी और काम जल्द पूरा करने का आदेश दिया था। लेकिन अपने देश के प्रशासन की जो गैरजिम्मेदार और उत्तरदायित्व विहीन शैली रही है, उससे महाकुंभ की तैयारियां भी अछूती नहीं बचीं। लिहाजा, इस अप्रत्याशित घटना से पूरे विश्व में भारत को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है, जबकि इस वृहत आयोजन की प्रारंभिक सफलता को लेकर उसकी तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे। लोगों के मुताबिक, जो कमियां पहले बताई जानी चाहिए थी, वह नहीं बताई गईं। जैसे- पहला, जब से महाकुम्भ की शुरुआत हुई तबसे श्रद्धालुओं को 10-15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा था, जिससे बच्चे, बुजुर्गों और महिलाओं की परेशानी देखते ही बनती थी। इतना दूर चलने के दौरान उन पर गर्म कपड़ों व अन्य जरूरी सामानों का बोझ भी होता था। दूसरा, वीआईपी विजिट के चक्कर में अधिकतर पूल और मार्ग बंद रखे जाते थे, जिससे आमलोगों को आवागमन में काफी तकलीफें हो रही थीं। तीसरा, आमलोगों के लिए टॉयलेट, पीने योग्य पानी, जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उचित संख्या में उपलब्ध नहीं है।चतुर्थ, स्थानीय रेलवे जंक्शन, बस स्टैंड से मेला क्षेत्र में जाने के लिए भीषण ट्रैफिक और व्याप्त अव्यवस्था से भी आमलोगों को काफी परेशानी होती है। पंचम, वहां आम लोगों के लिए ठहरने की कोई माकूल व्यवस्था नहीं की गई है, और जो कुछ व्यवस्थाएं वहां की गई हैं, वो काफी महंगी हैं। जबकि सस्ते होटल या सस्ती व्यवस्था काफी दूर है। जबकि लोग-बाग एक रात संगम घाट पर किसी तरह से बिताना चाहते हैं। इन बातों के मद्देनजर यह समझा जा सकता है कि प्रयागराज महाकुंभ हादसा एक अनहोनी थी,

प्रयागराज महाकुंभ के हृदयविदारक हादसे के लिए जिम्मेदार कौन?
The Odd Naari द्वारा रिपोर्ट, टीम नेतानागरी
प्रयागराज महाकुंभ, जिसे प्रत्येक 12 वर्ष में आयोजित किया जाता है, भारत के सबसे बड़े धार्मिक मेलों में से एक है। लेकिन इस बार, इस ऐतिहासिक अवसर पर एक हृदयविदारक हादसा हुआ, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। आयुष्मान कार्ड से लेकर श्रद्धालुओं की सुरक्षा तक, कई सवाल उठ रहे हैं कि इस घटना के पीछे असली जिम्मेदार कौन है।
हादसे का विवरण
हादसा तब घटित हुआ जब एक बड़ी भीड़ एक ही समय में संगम की ओर बढ़ रही थी। इस दौरान एक पुल पर दबाव बढ़ गया, जिससे वहां भगदड़ मच गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुरक्षा इंतजाम में कमी और अव्यवस्था ने स्थिति को और भी भयावह बना दिया। हालांकि, इस हादसे में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की जानें चली गईं, जोकि एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हो गया।
सरकारी रिपोर्ट और जांच
बाद में जिला प्रशासन ने एक उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया है। अब यह देखने वाली बात होगी कि क्या वास्तविक जिम्मेदार लोगों को सजा दी जाएगी या फिर यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा। इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन परिस्थितियों में सुधार की उम्मीदें हर बार टूटी हैं।
इस हादसे के लिए जिम्मेदार कारक
इस हादसे के लिए मुख्यतः कुछ कारक जिम्मेदार माने जा रहे हैं:
- सुरक्षा इंतजाम की कमी: लाखों की भीड़ को देखते हुए, सुरक्षा इंतजाम पूरी तरह से अप्रत्याशित थे।
- अव्यवस्थित ट्रैफिक प्रबंधन: मेला क्षेत्र में ट्रैफिक का प्रबंधन सही तरीके से नहीं किया गया।
- संवेदनहीनता: पिछले कुंभ मेले के अनुभवों के बाद भी प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा में सुधार के उपाय
इस प्रकार के हादसों से बचने के लिए प्रशासन को कई कदम उठाने की आवश्यकता है। सुरक्षा इंतजाम, तकनीकी उपकरणों का उपयोग तथा सचेतन उच्च अधिकारियों की तैनाती कुछ महत्वपूर्ण उपाय हो सकते हैं। इसके अलावा, व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए सभी श्रद्धालुओं को भी सजग रहने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
प्रयागराज महाकुंभ में हुई इस दिल दहला देने वाली घटना ने एक बार फिर से हमें याद दिलाया है कि सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। हमें यह समझना होगा कि अगर हम हर साल ऐसी वारदातों को रोकना चाहते हैं, तो हमें सुरक्षा इंतजामों में सुधार लाना होगा और जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी।
हम सबको सुरक्षा के महत्व को समझते हुए इस दिशा में एकजुट होना चाहिए। आने वाले महाकुंभ में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
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