उदित राज ने राहुल गांधी को बताया 'दूसरा अंबेडकर', BJP ने किया तीखा विरोध

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता उदित राज द्वारा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की तुलना डॉ. बीआर अंबेडकर से करने वाले बयान को लेकर शनिवार को कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक घमासान छिड़ गया। भाजपा ने कहा कि इस तरह की टिप्पणी दलितों के साथ-साथ समाज सुधारक का भी अपमान है। भागीदारी न्याय सम्मेलन में कल राहुल गांधी के भाषण से प्रेरित होकर कांग्रेस नेता ने दावा किया कि अगर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोग उनकी बातों पर ध्यान दें, तो ओबीसी उनके लिए "दूसरे अंबेडकर" साबित होंगे। उन्होंने आगे कहा कि ओबीसी को लोकसभा में विपक्ष के नेता के बयानों का समर्थन करना चाहिए। इसे भी पढ़ें: OBC सियासत में गरमाई दिल्ली: भाजपा ने कांग्रेस को बताया 'सबसे भ्रष्ट', राहुल गांधी पर बड़ा हमलाशनिवार को एक्स पर एक पोस्ट में राज ने कहा कि ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) को यह सोचना होगा कि इतिहास बार-बार प्रगति के अवसर नहीं देता। उन्हें तालकटोरा स्टेडियम सम्मेलन में राहुल गांधी द्वारा कही गई बातों का पालन और समर्थन करना चाहिए। अगर वे ऐसा करते हैं, तो राहुल गांधी उनके लिए दूसरे अंबेडकर साबित होंगे। उदित राज के पोस्ट के बाद, भाजपा ने बाबासाहेब आंबेडकर का कथित रूप से अपमान करने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधा। भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कांग्रेस पर आंबेडकर की विरासत को कम करने की साजिश रचने का आरोप लगाया।मालवीय ने कहा, "कांग्रेस अब एक और अंबेडकर को खोजने की चिंता में है। लेकिन देश जानता है कि कैसे कांग्रेस ने डॉ. अंबेडकर के साथ विश्वासघात किया और उनका बार-बार अपमान किया, जो इतिहास में दर्ज है।" उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह ऐतिहासिक विफलता के अलावा कुछ नहीं बन सकते। सवाल यह है कि कांग्रेस दूसरा नेहरू क्यों नहीं खोज रही? क्योंकि यह कोशिश डॉ. अंबेडकर की विरासत और महानता को कम करने की एक साजिश है। और जहाँ तक राहुल गांधी की बात है, तो वह ऐतिहासिक विफलता के अलावा कुछ नहीं बन सकते। इसे भी पढ़ें: 'अंपायर पक्षपाती था, इसलिए हारी कांग्रेस' - राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को ठहराया जिम्मेदारभाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस दूसरे बीआर अंबेडकर की बात कर रही है, जबकि उसने कभी असली अंबेडकर का सम्मान नहीं किया। पूनावाला ने कहा कि दलितों और बीआर अंबेडकर का अपमान करना कांग्रेस की पहचान बन गई है... "असली" अंबेडकर का अपमान किसने किया? उन्हें भारत रत्न किसने नहीं दिया? उनके संविधान को जम्मू-कश्मीर में किसने लागू नहीं होने दिया? मुस्लिम आरक्षण की बात किसने की? किसने कहा कि आरक्षण बुरा है... जवाहरलाल नेहरू ने।"

उदित राज ने राहुल गांधी को बताया 'दूसरा अंबेडकर', BJP ने किया तीखा विरोध
उदित राज ने राहुल को बताया 'दूसरा अंबेडकर', भाजपा बोली- यह बाबा साहेब का अपमान

उदित राज ने राहुल गांधी को बताया 'दूसरा अंबेडकर', BJP ने किया तीखा विरोध

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कम शब्दों में कहें तो, भाजपा के नेता उदित राज के राहुल गांधी को 'दूसरा अंबेडकर' कहने के बाद भारतीय राजनीति में तूफान मच गया है। भाजपा ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, इसे दलितों और डॉ. आंबेडकर का अपमान बताकर कांग्रेस पर हमला किया है।

राजनीतिक तकरार का कारण

उदित राज द्वारा यह बयान तब दिया गया जब उन्होंने भागीदारी न्याय सम्मेलन के दौरान राहुल गांधी के भाषण को संदर्भित किया। उन्होंने कहा कि यदि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोग गांधी के विचारों का समर्थन करें, तो राहुल गांधी उनके लिए 'दूसरे अंबेडकर' साबित हो सकते हैं। यह बयान भाजपा के नेताओं के लिए नाराजगी का कारण बन गया है। उन्होंने इसे डॉ. आंबेडकर की विरासत का अपमान कहा है, जो भारतीय दलित समुदाय के प्रतीक हैं।

BJP की प्रतिक्रिया

भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि कांग्रेस का यह बयान प्रदर्शित करता है कि वे आंबेडकर की विरासत को कमजोर करने की असफल कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के नेताओं ने हमेशा आंबेडकर का अपमान किया है और पार्टी की मंशा को संदिग्ध बताया।

कांग्रेस की दलील

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ओबीसी के लोगों से आह्वान किया कि वे राजनीति में अपनी पहचान बनाएं। उन्होंने यह भी कहा कि समय और मौका हमेशा एक सा नहीं रहते। उदित राज के बयान के समर्थन में कांग्रेस ने कहा कि यह एक नया राजनीतिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

समाज में राजनीति की संवेदनशीलता

इस विवाद ने यह साबित कर दिया है कि भारत में दलितों के मुद्दों पर राजनीति कितना संवेदनशील है। डॉ. आंबेडकर की विचारधारा पर बढ़ती बहसें ये दर्शाती हैं कि सामाजिक न्याय की मांगें आज भी जिंदा हैं। यह स्थिति राजनीतिक दलों के भीतर भी एक नई चर्चा को जन्म देती है।

निष्कर्ष

उदित राज का बयान और भाजपा का विरोध दर्शाता है कि राजनीति में जातिगत और सामाजिक मुद्दों पर मतभेद कितने गहरे हो सकते हैं। इस प्रकार की बहसें न केवल चुनावी राजनीति को प्रभावित करती हैं, बल्कि ओबीसी समुदाय की सियासी ताकत को भी दिखाती हैं। अब देखना यह है कि यह राजनीतिक लड़ाई किस दिशा में जाती है।

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सादर,

टीम द ओड नारी

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