मुन्स्यारी ईको हट्स घोटाला: उत्तराखंड वन विभाग की नई चुनौती

The post मुन्स्यारी ईको हट्स घोटाला: कॉर्बेट के बाद वन विभाग में एक और घोटाला  appeared first on Avikal Uttarakhand. आईएफएस को शासन ने भेजा नोटिस सीबीआई-ईडी जांच की सिफारिश अविकल थपलियाल देहरादून। घोटालेबाजों का दिल ऐसा है कि मानता ही।नहीं। उत्तराखंड वन विभाग में एक और बड़ा घोटाला सामने… The post मुन्स्यारी ईको हट्स घोटाला: कॉर्बेट के बाद वन विभाग में एक और घोटाला  appeared first on Avikal Uttarakhand.

मुन्स्यारी ईको हट्स घोटाला: उत्तराखंड वन विभाग की नई चुनौती
मुन्स्यारी ईको हट्स घोटाला: कॉर्बेट के बाद वन विभाग में एक और घोटाला 

मुन्स्यारी ईको हट्स घोटाला: उत्तराखंड वन विभाग की नई चुनौती

Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - The Odd Naari

Written by Neha Sharma and Priya Verma, Team The Odd Naari

उत्तराखंड में एक और बड़ा वन घोटाला

कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड वन विभाग में एक और बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसे मुन्स्यारी ईको हट्स घोटाला कहा जा रहा है। यह मामला एक बार फिर से वन विभाग की वित्तीय अनियमितताओं को उजागर कर रहा है। इस घोटाले के तहत मुन्स्यारी में बने ईको हट्स और अन्य कार्यों में गंभीर वित्तीय धोखाधड़ी पाए जाने की सूचना है। इस बार शासन ने वरिष्ठ भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी डॉ. विनय कुमार भार्गव को 15 दिन का नोटिस भेजकर जांच के लिए तलब किया है।

मुख्य आरोप और वित्तीय अनियमितताओं का ब्योरा

जांच में सामने आए आरोपों के अनुसार, मुन्स्यारी में चार्ज किए गए निर्माण कार्यों में अनुबंध की धांधली और कार्यों की शुद्धता को लेकर गंभीर अनियमितताएँ पाई गई हैं। आरोप है कि आरक्षित वन भूमि पर बिना अनुमति के निर्माण कार्य किए गए हैं। डॉ. विनय भार्गव, जिनका पहले से ही विवादित इतिहास रहा है, मुख्य आरोपी के रूप में पहचाने गए हैं। यह भी बताया जा रहा है कि बिना किसी टेंडर प्रक्रिया के करोड़ों रुपये की परियोजना एक निजी संस्था को सुपुर्द कर दी गई, जिसमें से 70% खर्च उसी संस्था को ट्रांसफर किया गया।

जांच की प्रक्रिया और "कॉर्बेट-2" का संदर्भ

इस मामले की जांच का जिम्मा अभी IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को सौंपा गया है, जिन्होंने दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 में विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी। अब यह मामला "कॉर्बेट-2" के नाम से भी जाना जाने लगा है, जिस पर CBI (केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो) और ED (अर्थशास्त्री अनुसंधान निदेशालय) जांच की सिफारिश की गई है।

जांच रिपोर्ट में कुल 700 पृष्ठ हैं, जिनमें गंभीर वित्तीय अनियमितता की प्रकृति उभारी गई है। इसके अलावा, यह भी सामने आया है कि फर्जी फायरलाइन खर्च दिखाकर 90 किमी की वास्तविकता को केवल 14.6 किमी दिखाया गया है, जो वित्तीय धांधली का एक और स्पष्ट उदाहरण है।

डॉ. विनय भार्गव का विवादित इतिहास

डॉ. विनय भार्गव का यह पहला घोटाला नहीं है। इससे पहले, वर्ष 2015 में भी उन्हें वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों का सामना करना पड़ा था। उनके राजनीतिक संबंध भी यह संकेत करते हैं कि उन्हें संरक्षण मिल सकता है, जिनमें एक कैबिनेट मंत्री की भतीजी से उनके संबंध शामिल हैं।

निष्कर्ष: भविष्य की दिशा

जांच की प्रक्रिया अब तेजी से आगे बढ़ रही है, और यह महत्वपूर्ण होगा कि क्या इस घोटाले के असली कर्ताओं को सजा दी जाती है या यह मामला इसी तरह ढकार खा जाता है। यह राज्य में वन विभाग की स्वच्छता और विश्वास को भी प्रभावित करता है।

राज्य सरकार के लिए जरूरी है कि वह इस मामले के निष्कर्षों के आधार पर ठोस कदम उठाए, ताकि भविष्य में ऐसी वित्तीय अनियमितताओं को रोका जा सके।

इस मामले से जुड़ी और अधिक जानकारी के लिए, हमारे न्यूज़ पोर्टल पर जाएँ: theoddnaari

Keywords:

munssiyari eco huts scam, Uttarakhand forest department scandal, CBI investigation, ED probe, Vinay Kumar Bhargav, eco tourism project issues, financial irregularities in forest sector, Corbett 2 scandal, Indian forest service corruption