भ्रष्टाचार पर अंकुश: जिलाधिकारी ने विधवा को लौटाए संपत्ति के कागजात और दिया नो ड्यूज सर्टिफिकेट

देहरादून 20 जून, 2025 : जिलाधिकारी सविन बसंल अपने चिरपरिचित अंदाज में जनहित में निरंतर कड़े निर्णय ले रहे हैं। मा0 मुख्यमंत्री की प्रेरणा से जिलाधिकारी समस्याओं के समाधान के लिए भटक रहे फरियादियों की समस्या निस्तारित कर रहे हैं बल्कि त्वरित रिलिफ भी दे रहे हैं। पति की मृत्यु के उपरान्त अपनी सम्पति के […] The post डीएम सख्त – बैंक पस्त:  विधवा फरियादी की चौखट पर जाकर  डीसीबी ने लौटाये सम्पति के कागज। दिया नो ड्यूज सर्टीफिकेट appeared first on पर्वतजन.

भ्रष्टाचार पर अंकुश: जिलाधिकारी ने विधवा को लौटाए संपत्ति के कागजात और दिया नो ड्यूज सर्टिफिकेट
डीएम सख्त – बैंक पस्त:  विधवा फरियादी की चौखट पर जाकर  डीसीबी ने लौटाये सम्पति के कागज। दिया नो ड्यूज सर्टीफिकेट

भ्रष्टाचार पर अंकुश: जिलाधिकारी ने विधवा को लौटाए संपत्ति के कागजात और दिया नो ड्यूज सर्टिफिकेट

कम शब्दों में कहें तो, देहरादून के जिलाधिकारी सविन बसंल ने मेहनत और सक्रियता के चलते एक विधवा फरियादी की समस्याओं का समाधान किया। उन्होंने स्वयं मौके पर जाकर बैंक की पारदर्शिता को सुनिश्चित किया और विधवा को राहत प्रदान की।

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देहरादून, 20 जून, 2025: जिलाधिकारी सविन बसंल एक बार फिर अपने अनुशासनात्मक और जनहितकारी दृष्टिकोण से गूंज उठे हैं। जिनके प्रशासनिक कदमों से जिले में बदलाव का स्पष्ट रूप से संकेत मिल रहा है। राज्य के माननीय मुख्यमंत्री की प्रेरणा से सविन बसंल ने जनहित में कड़े निर्णय लेने से लेकर समस्याओं के समाधान तक, सभी क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।

डीसीबी की विशेष कार्रवाई से मिली राहत

हाल ही में एक विधवा ने सम्पत्ति के दस्तावेज़ प्राप्त करने में सामर्थ्य की कमी का सामना किया। उनके पति की मृत्यु के बाद, उन्हें आवश्यक कागजातों की आवश्यकता थी, लेकिन डीसीबी (डिस्टिक कोऑपरेटिव बैंक) ने उन्हें अपनी सम्पत्ति के दस्तावेज़ लौटाने में देरी की। इसके परिणामस्वरूप विधवा की आर्थिक स्थिति और भी बिगड़ गई।

जिलाधिकारी सविन बसंल ने इस मामले को गंभीरता से लिया और स्वयं मौके पर चलकर स्थिति की जांच की। इस दौरान उन्होंने बैंक को स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी आवश्यक दस्तावेजों को शीघ्रता से विधवा के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। इसके साथ ही, विधवा को No Dues Certificate भी प्रदान किया गया, जिससे उन्हें वित्तीय मामलों में कुछ राहत मिली।

समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाते हुए

यह कार्रवाई केवल एक व्यक्तिगत मामले का समाधान नहीं थी, बल्कि यह सामाजिक उत्तरदायित्व का भी एक उत्कृष्ट उदाहरण है। खासकर उन वर्गों के लिए, जो अक्सर सरकारी तंत्र की जटिलताओं और अधिकारियों की उदासीनता का सामना करते हैं। जिलाधिकारी का यह कदम विशेषतौर पर यादव समुदाय, विधवाओं और निम्न आय वर्ग के नागरिकों के लिए एक प्रेरणा बन गया है।

सविन बसंल ने स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिकता हमेशा जनहित है। इसलिए उन्होंने यह जानकारी दी कि प्रशासनिक प्रक्रियाएं और राहत संबंधी कदम तेजी से उठाए जाने चाहिए ताकि आम नागरिकों को परेशानियों का सामना न करना पड़े। उनकी इस तत्परता ने साबित किया है कि अधिकारी सक्रियता से कार्य कर सकते हैं।

निष्कर्ष: एक प्रेरक उदाहरण

इस घटनाक्रम ने स्पष्ट रूप से साबित किया है कि संवेदनशीलता और सक्रिय सोच की आवश्यकता हमारे समाज में कितनी महत्वपूर्ण है। जिलाधिकारी सविन बसंल के द्वारा उठाए गए कदमों ने न केवल उस विधवा को राहत पहुंचाई, बल्कि उनके इस प्रयास ने अन्य नागरिकों के लिए भी एक सकारात्मक उदाहरण स्थापित किया।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अन्य अधिकारी भी ऐसे सकारात्मक कदम उठाते हैं, तो हमारा सरकारी तंत्र और भी अधिक प्रबल होगा और जनता की समस्याओं का त्वरित समाधान संभव हो सकेगा।

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