बिहार में बड़े भाई की भूमिका में चुनाव लड़ेगी भाजपा- एनडीए गठबंधन का फॉर्मूला तय हो गया

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दिलचस्प दौर जारी है। नीतीश कुमार जहां एक बार फिर अपने पुराने रूप में आते हुए लालू यादव और राबड़ी देवी पर तीखा हमला बोल रहे हैं। नीतीश तेजस्वी यादव पर निशाना साधने के साथ ही बिहार के मतदाताओं को 2005 से पहले के बिहार की भी लगातर याद दिला रहे हैं।लेकिन नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की लड़ाई के बीच प्रशांत किशोर के एक बयान ने बिहार की राजनीति को पूरी तरह से गरमा दिया है। जन सुराज पार्टी के बैनर तले बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे प्रशांत किशोर ने यह बयान देकर सनसनी पैदा कर दी है कि नीतीश कुमार बीजेपी के साथ मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे लेकिन नतीजों के बाद वे फिर से पाला बदल सकते हैं। प्रशांत किशोर ने इसके साथ ही अपने कई पुराने बयानों को दोहराते हुए नीतीश कुमार के स्वास्थ्य पर भी कई तरह के गंभीर सवाल उठाए। इसे भी पढ़ें: तो क्या निशांत कुमार की सियासी लॉन्चिंग से वंशवादी लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी?भाजपा के रणनीतिकारों को भी नीतीश कुमार की राजनीतिक शैली का बखूबी अंदाजा है। इसलिए पार्टी के रणनीतिकारों ने पहले ही इसे ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति बना ली है। बताया जा रहा है कि भाजपा इस बार बिहार के विधानसभा चुनाव में बड़े भाई की भूमिका में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। वर्ष 2020 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन में जेडीयू और भाजपा के बीच 122-121 के फॉर्मूले पर सीटों का बंटवारा हुआ था। जेडीयू को मिले 122 सीटों में से 115 पर नीतीश कुमार ने अपने उम्मीदवार खड़े किए थे और 7 सीटें जीतन राम मांझी की पार्टी को दिया था। वहीं भाजपा ने अपने कोटे की 121 सीटों में से 110 पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे और 11 सीटें मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को दे दी थी। पिछले विधानसभा चुनाव में 110 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा को 74 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जबकि भाजपा से ज्यादा यानी 115 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद नीतीश कुमार की पार्टी सिर्फ 43 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई थी। इस बार भाजपा ने बिहार में जेडीयू से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति तैयार कर ली है। इस रणनीति के तहत भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव के 122-121 के फॉर्मूले को दरकिनार करते हुए 139-104 का नया फॉर्मूला तैयार कर लिया है। इस फॉर्मूले के हिसाब से 2020 के विधानसभा चुनाव में 115 सीटों पर लड़ने वाले नीतीश कुमार की पार्टी को इस बार सिर्फ 104 सीटों पर ही संतुष्ट होना पड़ेगा। भाजपा इस फॉर्मूले के तहत 139 सीटें अपने कोटे में रखने की तैयारी कर रही है। भाजपा के आला नेताओं ने नीतीश कुमार को इस फॉर्मूले के बारे में बताते हुए यह भी साफ कर दिया है कि पार्टी अपने कोटे में से ही गठबंधन में शामिल अन्य दलों को सीटें देंगी।  बताया जा रहा है कि 139 सीटों के अपने कोटे में से भाजपा 20 सीट चिराग पासवान की पार्टी को देगी और 7-7 सीट जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को देगी। बाकी बची 105 सीटों पर भाजपा अपने उम्मीदवार खड़े करेगी। इस हिसाब से भाजपा नीतीश कुमार की पार्टी से एक सीट ज्यादा पर चुनाव लड़कर बिहार एनडीए गठबंधन की राजनीति में न केवल बड़े भाई की भूमिका में चुनाव लड़ेगी बल्कि इसके साथ ही चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के उम्मीदवारों के चयन में भी अपना दखल बनाए रखेगी। भाजपा की यह पूरी कोशिश होगी कि 139 के अपने कोटे वाली सीटों पर ही शानदार प्रदर्शन करते हुए बहुमत के लिए जरूरी 122 सीटें हासिल कर ली जाए। अगर पार्टी अपनी रणनीति में कामयाब हो जाती है तो फिर नीतीश कुमार की मोलभाव करने की राजनीतिक क्षमता खत्म हो जाएगी। भाजपा बड़े आराम से चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की मदद से बिहार में अपना मुख्यमंत्री बना लेगी। बिहार की राजनीति के बारे में एक बात तो शीशे की तरह साफ है कि नीतीश कुमार से लेकर लालू यादव और तेजस्वी तक, चिराग पासवान से लेकर भाजपा तक, सब एक दूसरे की मंशा से वाकिफ है। सब बेहतर मौके का इंतजार कर रहे हैं और बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे ही यह बताएंगे कि चुनाव के बाद कौन किसके साथ रहेगा और राज्य में किसकी सरकार बनेगी ? -संतोष पाठक(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।)

बिहार में बड़े भाई की भूमिका में चुनाव लड़ेगी भाजपा- एनडीए गठबंधन का फॉर्मूला तय हो गया
बिहार में बड़े भाई की भूमिका में चुनाव लड़ेगी भाजपा- एनडीए गठबंधन का फॉर्मूला तय हो गया

बिहार में बड़े भाई की भूमिका में चुनाव लड़ेगी भाजपा- एनडीए गठबंधन का फॉर्मूला तय हो गया

The Odd Naari द्वारा लिखा गया, टीम नेतागाड़ी

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी जोरों पर है और भाजपा ने अपने रणनीतिक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। भाजपा और एनडीए गठबंधन के बीच चुनावी बिगुल बजने से पहले यह तय हो गया है कि भाजपा इस बार 'बड़े भाई' की भूमिका में चुनावी मैदान में उतरेगी। इस निर्णय ने बिहार की राजनीतिक तापमान को और भी बढ़ा दिया है।

एनडीए का नया फॉर्मूला

भाजपा और एनडीए के अन्य सहयोगियों के बीच हाल ही में हुई बातचीत में यह तय किया गया है कि भाजपा इस बार चुनाव में अपनी प्रमुखता को स्थापित करेगा। सूत्रों के अनुसार, यह गठबंधन पहले की तरह ही मजबूत रहेगा, लेकिन असम की तरह कुछ महत्वपूर्ण बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं। भाजपा के नेता इस बार बेहद आत्मविश्वास से भरे हुए हैं और उन्हें पूरा भरोसा है कि 'बड़े भाई' की छवि उनके पक्ष में मजबूती से काम करेगी।

भाजपा की रणनीति

भाजपा ने अपनी रणनीति में नए तरीके शामिल किए हैं। पार्टी इस बार उन मुद्दों को उठाने की योजना बना रही है, जो सीधे तौर पर जनता से जुड़े हुए हैं। युवाओं की बेरोजगारी, महिलाओं की सुरक्षा और आधारभूत संरचना विकास ऐसे कुछ मुद्दे हैं, जिन्हें भाजपा अपने चुनावी घोषणापत्र में प्रमुखता से पेश करेगी। पार्टी का मानना है कि अगर वह इन मुद्दों पर सही तरीके से ध्यान केंद्रित करती है, तो वह चुनावी जीत सुनिश्चित कर सकती है।

सहयोगियों की भूमिका

भाजपा के साथ अन्य सहयोगियों की भूमिका भी इस बार महत्वपूर्ण है। जदयू और लोजपा जैसे सहयोगियों के साथ मिलकर पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति को और भी मस्बूत बनाया है। इन सहयोगियों की स्थानीय स्तर पर पैठ को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की है और उन्हें अपने पक्ष में शामिल करने का प्रयास किया है।

נिष्कर्ष

इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा का 'बड़े भाई' की भूमिका पर उतरना को ना केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पार्टी की गहन रणनीति का हिस्सा भी है। अगर भाजपा अपने रिश्तेदारियों को सही से निभाती है और जनता के मुद्दों को प्राथमिकता देती है, तो वह चुनावी परीक्षा में सफल हो सकती है। आने वाले महीनों में, सबकी नज़रें इस गठबंधन पर रहने वाली हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा किस तरह से अपनी प्लानिंग को अमलीजामा पहनाती है।

इस खबर पर और अपडेट्स के लिए, theoddnaari.com पर जाएं।

Keywords

Bihar elections, NDA alliance, BJP role, political news, Bihar Assembly, electoral strategy, Nitish Kumar, JDU, LJP, election updates