पेपर लीक: सरकार की चौखट पर बेरोजगारों के गुटों की दस्तक

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पेपर लीक: सरकार की चौखट पर बेरोजगारों के गुटों की दस्तक
पेपर लीक: सरकार की चौखट पर बेरोजगारों के गुटों की दस्तक

पेपर लीक: सरकार की चौखट पर बेरोजगारों के गुटों की दस्तक

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कम शब्दों में कहें तो: पेपर लीक की घटना ने स्थिति को उलझा दिया है। विभिन्न गुटों के बीच असमंजस के चलते छात्रों के सामने कई दुविधाएं हैं।

देहरादून। उत्तराखंड में जारी पेपर लीक मामले की चर्चा थमने का नाम नहीं ले रही है। बेरोजगार युवाओं के दो विभिन्न गुटों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सचिव शैलेष बगौली से मुलाकात की। हालांकि, उनके बीच की असहमति ने स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया है।

गुटों के बीच टकराव और विभाजन

बेरोजगार संघ के अध्यक्ष राम कंडवाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने परीक्षा को निरस्त करने और सीबीआई जांच की मांग की। वहीं, दूसरी ओर संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा छात्र संघ का मानना है कि परीक्षा निष्पक्ष रही और इसे रद्द नहीं किया जाना चाहिए। इस विवादित स्थिति ने आंदोलन को और सतर्कता के साथ आगे बढ़ने के लिए मजबूर किया।

इसमें यह भी देखने को मिला कि बेरोजगार संघ के आंदोलन में अब कुछ 'लीकेज' भी सामने आए हैं। छात्रों ने परीक्षा परिणाम जल्द जारी करने की मांग की, जबकि दूसरे छात्र संघ ने इसे असामान्य करार दिया।

प्रदर्शन और हिंसा की घटनाएं

हरिद्वार में आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे छात्रों की बसों को भी रोका गया। इस हंगामे में उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के कार्यकर्ताओं का भी नाम आया है। जानकारी के अनुसार, छात्रों ने शैक्षणिक भ्रमण के लिए देहरादून आने का दावा किया, लेकिन उनके बसों को रोका गया।

पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है और कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। साथ ही, पिछले कुछ दिनों से छात्रों के आंदोलन ने प्रदेश में जगह-जगह चर्चा का विषय बना दिया है।

युवाओं की मांगे और उम्मीदें

बेरोजगार संघ ने सीबीआई जांच, परीक्षा रद्दीकरण, और आयोग अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया के इस्तीफे जैसी चार प्रमुख मांगें रखी हैं। आंदोलनकारी युवा मानते हैं कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती, उनका आंदोलन जारी रहेगा। हाल ही में मुख्यमंत्री से हुई मुलाकात में युवाओं को ठोस आश्वासन नहीं मिला।

पेपर लीक की जांच और ताजा जानकारी

यूकेएसएसएससी परीक्षा में पेपर लीक मामले की जांच में नए मोड़ आए हैं। जांच टीम ने पाया कि हरिद्वार के परीक्षा केंद्र में जैमर की अनुपस्थिति थी, जो नकल को रोकने में असमर्थ हो गई। मामले में मुख्य आरोपी खालिद की गिरफ्तारी ने जांच की दिशा को और स्पष्ट किया है।

अब यह भी पता चला है कि खालिद ने अपनी बहन को प्रश्न पत्र भेजा और उससे हल तैयार कराया, जिससे पूरे मामले की गुत्थी और भी जटिल हो गई है। जांच अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में और लोगों की भूमिका की जानकारी मिलेगी।

भाजपा नेताओं का नाम भी आ रहा है

यह भी ध्यान देने योग्य है कि भाजपा के एक नेता का नाम स्कूल के पेपर लीक में शामिल होने को लेकर चर्चा में है। पार्टी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए रिपोर्ट मांगी है ताकि स्थिति को स्पष्ट किया जा सके।

पुनः बताने की आवश्यकता है कि इस पेपर लीक मामले ने राज्य के युवाओं में आक्रोश उत्पन्न कर दिया है और राज्यभर में अन्य प्रदर्शन हुए हैं। यदि सरकार जल्द ही ठोस कार्रवाई नहीं करती, तो यह आंदोलन और भी भयानक हो सकता है।

यह मुद्दा केवल पेपर लीक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह युवा पीढ़ी के भविष्य से भी जुड़ा हुआ है। समय आ गया है कि सरकार इस दिशा में सार्थक कदम उठाए।

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सदस्य: नंदिता पांडे, टीम द ऑड नारी