आरटीआई का चौंकाने वाला खुलासा: जौनसार में क्या ब्राह्मण और क्षत्रिय कानून का उल्लंघन कर रहे हैं एसटी सर्टिफिकेट लेने में!

देहरादून। आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने दावा किया है कि जौनसार अनुसूचित जनजाति क्षेत्र नहीं है। इस क्षेत्र को कोई एसटी का दर्जा नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में महज पांच ही जनजातियां हैं। ऐसे में जौनसार के ब्राह्मण, राजपूत और खस्याओं को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। इन जातियों […] The post आरटीआई खुलासा : क्या जौनसार में ब्राह्मण और क्षत्रिय गैर कानूनी तरीके से ले रहे हैं एसटी सर्टिफिकेट !! appeared first on पर्वतजन.

आरटीआई का चौंकाने वाला खुलासा: जौनसार में क्या ब्राह्मण और क्षत्रिय कानून का उल्लंघन कर रहे हैं एसटी सर्टिफिकेट लेने में!
आरटीआई का चौंकाने वाला खुलासा: जौनसार में क्या ब्राह्मण और क्षत्रिय कानून का उल्लंघन कर रहे हैं एसटी सर्टिफिकेट लेने में!

आरटीआई का खुलासा: जौनसार में ब्राह्मण और क्षत्रिय के एसटी सर्टिफिकेट पर सवाल उठे

Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - The Odd Naari

कम शब्दों में कहें तो, आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने जौनसार क्षेत्र में ब्राह्मण, राजपूत, और खस्याओं के एसटी सर्टिफिकेट लेने की वैधता पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

देहरादून: हाल ही में आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने जौनसार क्षेत्र को लेकर विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि जौनसार क्षेत्र अनुसूचित जनजाति (एसटी) का हिस्सा नहीं है और यहां किसी भी जाति को एसटी का दर्जा नहीं दिया गया है।.

क्या है मामला?

वतर्मान में उत्तराखंड राज्य में महज 5 ही जनजातियां अधिकृत तौर पर हैं। एडवोकेट नेगी के अनुसार जौनसार में रहने वाले ब्राह्मण, राजपूत और खस्याओं को एसटी के आरक्षण के लाभ से वंचित रहना चाहिए। उनका यह बयान न केवल समाज में विवाद पैदा कर सकता है, बल्कि जौनसार के इन जातियों को मिली एसटी सर्टिफिकेट की वैधता पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।

आरटीआई का महत्व

आरटीआई (सूचना का अधिकार) कानून ने भारतीय समाज में पारदर्शिता लाने का प्रयास किया है। इसके तहत नागरिक सरकारी संस्थाओं से जानकारी मांग सकते हैं। विकेश नेगी द्वारा उठाए गए सवाल इस कानून का सही प्रयोग साबित करते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हर व्यक्ति को उसके अधिकारों के बारे में जागरूक होना चाहिए।

सीधे आंकड़ों की बात करें तो

उत्तराखंड में एसटी के लिए अधिकृत जनजातियों की स्थिति बेहद स्पष्ट है। इसके तहत, जौनसार क्षेत्र में गैर-संवैधानिक तरीके से एसटी सर्टिफिकेट लेने की समस्या गंभीर है और यह अन्य समाजों के साथ अन्याय कर सकती है। हकदार जनजातियों के अधिकारों का रक्षा करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

समाज में प्रभाव

यदि जौनसार क्षेत्र में ऐसे सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं, तो इससे सामाजिक असंतुलन पैदा हो सकता है। लोग आगे आकर इस समस्या को हल करने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता महसूस कर रहे हैं। विधायकों और स्थानीय निकायों को इस मुद्दे पर सही दिशा में काम करना चाहिए।

निष्कर्ष

समाज के लिए यह आवश्यक है कि हम अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का भी पालन करें। जौनसार जैसे मामलों में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना अनिवार्य है। पहले से स्थापित नियमों और कानूनों का सम्मान करना ही सही समाज की पहचान है।

आप इस विषय पर अपने विचार हमें यहां साझा कर सकते हैं

सभी पाठकों से निवेदन है कि इस मुद्दे पर ध्यान दें और अपने समाज को जागरूक बनाएं।

सादर,
टीम द ओड नारी