Russia-Ukraine War: पुतिन को UK ने दिया बड़ा झटका, रूस पर लगाए अब तक के सबसे बड़े प्रतिबंध
लेबर पार्टी के नेतृत्व वाली यूनाइटेड किंगडम सरकार ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के तीन साल पूरे होने के बाद रूस के खिलाफ 100 से अधिक नए प्रतिबंधों के सबसे बड़े प्रतिबंध पैकेज की घोषणा की है। यूके सरकार ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि राष्ट्रपति पुतिन के यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण के तीन साल बाद, ब्रिटेन ने आज उन लोगों को सीधे तौर पर निशाना बनाते हुए 100 से अधिक नए प्रतिबंध लगाए हैं जो आक्रमण में सहायता करना जारी रखते हैं। 107 नए प्रतिबंधों की घोषणा की गई क्योंकि ब्रिटेन ने आक्रमण के शुरुआती दिनों के बाद से अपना सबसे बड़ा प्रतिबंध पैकेज जारी किया है। इसे भी पढ़ें: ट्रंप का हाथ पकड़कर Live PC में मैक्रों ने कर दिया Fact check, यूक्रेन पर हो रही थी बातयूके सरकार ने कहा कि "मील का पत्थर पैकेज" रूसी सैन्य आपूर्ति श्रृंखलाओं, पुतिन के अवैध युद्ध को बढ़ावा देने वाले राजस्व और क्रेमलिन के लिए मुनाफा कमाने वाले क्लेप्टोक्रेट्स को लक्षित करता है। बयान में कहा गया है कि उनका लक्ष्य यूक्रेन के हाथों को मजबूत करना है, जिससे एक सुरक्षित और समृद्ध यूरोप और यूके का निर्माण करने में मदद मिलेगी - जो सरकार की परिवर्तन योजना की नींव है।" इसमें कहा गया है, "आज के उपायों का लक्ष्य पुतिन के युद्ध भंडार में जाने वाले धन और रूस की भ्रष्टाचारी व्यवस्था को बढ़ावा देना होगा।" इसे भी पढ़ें: UN में रूस के साथ खड़ा हुआ America, यूक्रेन पर युद्ध की निंदा वाले प्रस्ताव का किया विरोधब्रिटेन के प्रधान मंत्री ने पिछले हफ्ते कहा था कि वे अपने महाद्वीप की "सामूहिक सुरक्षा के लिए एक पीढ़ी में एक बार आने वाले क्षण" का सामना कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि ब्रिटेन अपने सहयोगियों के साथ ताकत के माध्यम से शांति हासिल करने के लिए यूक्रेन को सर्वोत्तम स्थिति में लाने के लिए काम कर रहा है। इसमें कहा गया है कि प्रतिबंधों में रूस की सैन्य मशीन, इसका समर्थन करने वाले तीसरे देशों की संस्थाओं और उन नाजुक आपूर्ति नेटवर्कों को भी निशाना बनाया जाएगा जिन पर यह निर्भर है। लक्ष्यों में शामिल हैं: रूस की सेना के लिए मशीन टूल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और दोहरे उपयोग वाले सामानों के निर्माता और आपूर्तिकर्ता, जिनमें हथियार प्रणालियों में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोप्रोसेसर भी शामिल हैं। ये मध्य एशियाई राज्यों, तुर्की, थाईलैंड, भारत और चीन सहित कई तीसरे देशों में स्थित हैं, जो रूस की सेना के लिए महत्वपूर्ण वस्तुओं के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता हैं।

Russia-Ukraine War: पुतिन को UK ने दिया बड़ा झटका, रूस पर लगाए अब तक के सबसे बड़े प्रतिबंध
The Odd Naari
लेखक: साक्षी शर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष ने दुनिया भर में जटिलता और तनाव का माहौल बना दिया है। हाल ही में, यूनाइटेड किंगडम ने रूस के खिलाफ जो नए प्रतिबंध लगाए हैं, वे अब तक के सबसे बड़े प्रतिबंध माने जा रहे हैं। इस लेख में, हम इन प्रतिबंधों के प्रभावों और कारणों पर चर्चा करेंगे।
UK द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंध
यूनाइटेड किंगडम ने रूस पर आर्थिक, व्यापारिक और व्यक्तिगत स्तर पर कई नए प्रतिबंध लागू किए हैं। इन्हें लागू करने का उद्देश्य रूस को उसके आक्रमण के लिए जिम्मेदार ठहराना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता बनाना है। इस प्रतिबंधों का मुख्य फोकस इस बात पर है कि रूस को उसकी ऊर्जा संबन्धी आय और सैन्य गतिविधियों को रोकने के लिए दबाव में लाया जाए।
प्रतिबंधों की विशेषताएँ
इन प्रतिबंधों में निम्नलिखित विशेषताएँ शामिल हैं:
- रूसी तेल और गैस के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध
- रूसी बैंकों की ट्रांजेक्शंस पर सख्त नियंत्रण
- रुसी नेताओं और ओलिगार्कों पर व्यक्तिगतरूप से प्रतिबंध
- नए व्यापारिक अनुबंधों पर रोक
प्रतिबंधों का प्रभाव
इन प्रतिबंधों का लंबी अवधि में वैश्विक अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। रूस की अर्थव्यवस्था पहले से ही संकट में थी और इन नए प्रतिबंधों ने उसे और भी कमजोर कर दिया है। वहीं, यूरोप में ऊर्जा की कीमतें बढ़ने की आशंका है। इसके अलावा, अन्य देशों ने भी UK के इस कदम का समर्थन किया है, जो रूस के खिलाफ एक मजबूत अंतरराष्ट्रीय मोर्चा तैयार कर रहा है।
भारत की स्थिति
भारत ने स्थिति पर एक सतर्क दृष्टिकोण अपनाया है। हालांकि, भारत ने रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को बनाए रखा है, लेकिन देश ने हमेशा से ही यह सिद्धांत अपनाया है कि संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए। भारत का यह दृष्टिकोण इसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक स्वतंत्र खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है।
निष्कर्ष
यु्क्तियों द्वारा रूस पर लगाए गए ये प्रतिबंध स्पष्ट रूप से एक निर्णायक कदम हैं, जो विश्व उपभोक्ताओं और राजनीतिक नेताओं द्वारा अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को हल करने की दिशा में एक नया मार्ग प्रशस्त कर रहा है। दुनिया अब एक नया अध्याय देख रही है, जिसमें युद्ध और कूटनीति की भूमिकाएँ फिर से परिभाषित हो रही हैं।
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