Jaishankar ने ट्रंप को क्यों बताया आउट ऑफ सिलेबस? भारत के दोस्त हैं या दुश्मन आसान भाषा में समझा दिया

दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में एक इंटरैक्टिव सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को अमेरिकी राष्ट्रवादी' बताया और कहा कि भारत को अपने हित में 'पाठ्यक्रम से बाहर' विदेश नीति का संचालन करना होगा। उन्होंने कहा कि जब वह ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए देश की यात्रा कर रहे थे तो अमेरिका ने उनके साथ अच्छा व्यवहार किया। जयशंकर ने कहा कि अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते मजबूत हैं और पीएम मोदी के ट्रंप के साथ अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि ट्रम्प की नीतियां वैश्विक मामलों में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती हैं, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि भारत की विदेश नीति राष्ट्रीय हित द्वारा निर्देशित होती रहेगी।इसे भी पढ़ें: Trudeau को पुतिन से भी ज्यादा मोदी से डर लगता है, कनाडा ने भारत को बताया रूस से भी खतरनाक देशजयशंकर ने भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और देश के बारे में बदलती धारणाओं के बारे में बात की। उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक ​​कि अब गैर-भारतीय भी खुद को भारतीय कहते हैं, उन्हें लगता है कि इससे उन्हें विमान में सीट मिलने में मदद मिलेगी। जयशंकर ने शिक्षा क्षेत्र और कूटनीति से राजनीति में आने का उल्लेख करते हुए कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं नौकरशाह बनूंगा। राजनीति में मैं अचानक आ गया, या तो इसे भाग्य कहें, या इसे मोदी कहें। उन्होंने (प्रधानमंत्री मोदी) मुझे इस तरह से आगे बढ़ाया कि कोई भी मना नहीं कर सका। उन्होंने रेखांकित किया कि विदेश में रहने वाले भारतीय अभी भी समर्थन के लिए अपनी मातृभूमि पर निर्भर हैं और कहा कि जो भी देश के बाहर जाते हैं, वे हमारे पास ही आते हैं। बाहर हम ही रखवाले हैं।इसे भी पढ़ें: Jaishankar ने अबू धाबी के शहजादे से की मुलाकात, द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के तरीकों पर हुई चर्चाएक राजनयिक के रूप में अपने करियर के बारे में विदेश मंत्री ने शिक्षा और कूटनीति से राजनीति में अपने परिवर्तन के बारे में अंतर्दृष्टि साझा की। उन्होंने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं नौकरशाह बनूंगा। राजनीति में मेरा प्रवेश दुर्घटनावश हुआ, या इसे भाग्य कहें, या इसे मोदी कहें। उन्होंने (पीएम मोदी) मुझे इस तरह से आगे बढ़ाया कि कोई भी ना नहीं कह सका। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि विदेशों में रहने वाले भारतीय अभी भी समर्थन के लिए अपनी मातृभूमि पर भरोसा करते हैं और कहा, "जो लोग देश छोड़ते हैं वे केवल हमारे पास आते हैं।  

Jaishankar ने ट्रंप को क्यों बताया आउट ऑफ सिलेबस? भारत के दोस्त हैं या दुश्मन आसान भाषा में समझा दिया
Jaishankar ने ट्रंप को क्यों बताया आउट ऑफ सिलेबस? भारत के दोस्त हैं या दुश्मन आसान भाषा में समझा दिया

Jaishankar ने ट्रंप को क्यों बताया आउट ऑफ सिलेबस? भारत के दोस्त हैं या दुश्मन आसान भाषा में समझा दिया

The Odd Naari

लेखक: स्नेहा शर्मा, टीम नेत्तानगरी

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में एक बयान में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को "आउट ऑफ सिलेबस" बताया। यह बयान कई लोगों के लिए चौंकाने वाला था। भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों में स्थिति को समझने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम जानें कि आखिर ऐसा क्यों कहा गया।

जयशंकर का बयान: संदर्भ और महत्व

एस. जयशंकर ने यह बयान एक इंटरव्यू के दौरान दिया। उनके अनुसार, ट्रम्प के धारणा और उनकी नीतियां भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को समझने के लिए उचित नहीं हैं। जयशंकर का कहना था कि ट्रम्प के अमेरिका में विचाराधीन मुद्दों को हल करने के लिए एक ठोस ढांचा होना चाहिए।

भारत और अमेरिका का रिश्ता: दोस्ती या दुश्मनी?

भारत और अमेरिका का संबंध पिछले कुछ वर्षों में काफी मजबूत हुआ है। लेकिन, ट्रम्प का हालिया बयान यह दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच कुछ कारक अभी भी चुनौतीपूर्ण हैं। दोनों देशों के बीच कारोबार, रक्षा और आपसी संबंधों को दिशा देने वाले कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं।

आसान भाषा में समझा दिया

जयशंकर ने स्पष्ट किया कि ट्रम्प के विचार से भारत के लिए एक निर्णायक विशेषता नहीं हो सकती। उन्होंने बताया कि भारत को अपने हितों के अनुसार निर्णय लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। इस प्रकार, ट्रम्प जैसे बहानों को एक सिलेबस में नहीं बिठाना चाहिए।

भारत की नीति: भविष्य की दिशा

भारत की विदेश नीति में युवाओं की प्रभावी भागीदारी, मजबूत आर्थिक विकास, और पड़ोसी देशों के साथ समन्वय बनाने पर जोर दिया गया है। जयशंकर का बयान इस दिशा में महत्वपूर्ण है और यह दिखाता है कि भारत अपने हितों को लेकर चिंतित है।

निष्कर्ष

जयशंकर का "आउट ऑफ सिलेबस" बयान एक सच्चे भारत की पहचान को उजागर करता है। यह दर्शाता है कि भारत न केवल अपने हितों की रक्षा करेगा बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करेगा। समय के साथ यह स्पष्ट होता जा रहा है कि भारत अमेरिका के साथ मजबूत संबंध रखने के इच्छुक है, लेकिन अपने भावनात्मक और आर्थिक हितों को प्राथमिकता देगा।

इस प्रकार, भारत और अमेरिका के बीच संबंधों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। समय के साथ, इन संबंधों में एक नई दिशा देखने को मिल सकती है। यदि आप और अधिक जानकारी चाहते हैं, तो कृपया theoddnaari.com पर जाएँ।

Keywords

Jaishankar, Trump, Out of Syllabus, India US Relations, Foreign Policy, International Relations, Indian Politics, Diplomacy