NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीट शेयर करने का ऐलान कर दिया है। बता दें कि इस बार बीजेपी और जदयू ने बराबर यानी 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। वहीं, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) 29 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री जितन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) 6-6 सीटों पर चुनाव में उतरेंगी।
मौजूद जानकारी के अनुसार, सीटों के बंटवारे पर दिल्ली और पटना में एनडीए नेताओं की लंबी बैठकें हुईं, जिसमें बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, विनोद तावड़े और नित्यानंद राय शामिल थे। इसके साथ ही एलजेपी, आरएलएम और एचएएम के वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए। गौरतलब है कि पहले चिराग पासवान ने 40 सीटों की मांग की थी, लेकिन बातचीत के बाद उन्हें 29 सीटों से संतोष करना पड़ा।
बता दें कि यह पहली बार है जब 2005 के बाद बीजेपी और जदयू बराबर संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। पिछली बार 2020 के चुनाव में जदयू 115 और बीजेपी 110 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इस बार दोनों पार्टियों ने यह कदम उठाकर साफ संदेश देना चाहा है कि बिहार में गठबंधन में कोई विवाद नहीं है।
जानकारों के अनुसार, चिराग पासवान इस सीट साझा समझौते में “सबसे बड़ा लाभार्थी” बने हैं क्योंकि उन्हें पहले प्रस्तावित 26 सीटों की जगह 29 सीटें मिली हैं। वहीं, मांझी ने कहा कि छह सीटें मिलने में कोई आपत्ति नहीं है और यह हाई कमान का फैसला है।
इसी बीच, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने 32 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है और तीसरे मोर्चे के गठन का संकेत दिया है। इसके अलावा, विपक्षी महागठबंधन भी सीट साझा समझौते को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। कांग्रेस और RJD के बीच इस पर बातचीत चल रही है और अगले दो-तीन दिनों में सभी सीटें अंतिम रूप से घोषित होने की संभावना है।
मौजूद जानकारी के अनुसार, इस बार कांग्रेस लगभग 50 से 100 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। गौरतलब है कि 2020 के चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 19 सीटें जीतने में सफल रही थी, जबकि RJD ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा और 75 सीटें जीतकर विधानसभा में मजबूत स्थिति बनाई थी। इस बार सीटों के बंटवारे और गठबंधन रणनीति पर सभी पार्टियां पूरी तरह से ध्यान केंद्रित कर रही हैं और आगामी चुनाव बिहार के राजनीतिक माहौल पर असर डालने वाले हैं।