Bihar: दो पक्षियों के आगे हिमालय हुआ बौना, बिहार आने के लिए लिटिल टर्न ने तय की रिकॉर्ड 2600 किलोमीटर की यात्रा
Bihar: पक्षी अध्ययन केंद्र से तिब्बत के नामुचो झील पहुंचा बार हेडेड गूज. इस दौरान उसने कुल 1,560 किमी की वार्षिक प्रवास यात्रा की पूरी. The post Bihar: दो पक्षियों के आगे हिमालय हुआ बौना, बिहार आने के लिए लिटिल टर्न ने तय की रिकॉर्ड 2600 किलोमीटर की यात्रा appeared first on Prabhat Khabar.
खास बातें
Bihar: पटना. राज्य में दो पक्षियों के पहली बार लंबी प्रवास यात्रा का खुलासा हुआ है. गगन नामक बार हेडेड गूज ने 1560 किमी और लिटिल टर्न ने 2600 किमी की दूरी तय की. गगन को 22 फरवरी 2025 को जमुई जिले के नागी डैम पक्षी अभयारण्य में जीपीएस-जीएसएम ट्रांसमीटर लगाया गया था. इसके बाद गगन ने नेपाल होते हुये हिमालय पार किया. वह तिब्बत के नामुचो झील तक पहुंच गया. इस दौरान उसने करीब 780 किमी की हवाई दूरी तय की और अधिकतम पांच हजार 220 मीटर की ऊंचाई प्राप्त की. छह दिसंबर को गगन फिर से नागी डैम में देखा गया. इससे पता चलता है कि उसने करीब 1,560 किमी की वार्षिक प्रवास यात्रा पूरी की. यह बिहार के लिए इस प्रजाति का पहला विस्तृत प्रवासी डेटा है.
इस प्रजाति की यह पहली अंतरराष्ट्रीय लंबी प्रवास का रिकॉर्ड
दूसरी बड़ी उपलब्धि में 12 मई 2024 को विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन अभयारण्य (वीजीडीएस), भागलपुर में रिंग किया गया एक लिटिल टर्न मलेशिया के मोरिब में पुनः दर्ज किया गया. इस छोटे पक्षी ने अपने रिंगिंग स्थल से दो हजार 600 किमी से अधिक दूरी तय की. पूर्वी भारत से इस प्रजाति की यह पहली अंतरराष्ट्रीय लंबी प्रवास का रिकॉर्ड है. इससे बिहार की आर्द्रभूमियों के महत्व को और मजबूती मिलती है. पक्षियों की इस यात्रा का पता पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग (डीइएफ एंड सीसी) और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (बीएनएचएस) के संयुक्त उपक्रम बर्ड रिंगिंग एंड मॉनिटरिंग स्टेशन (बीआरएमएस), भागलपुर के प्रयास से चला है.
विज्ञान आधारित संरक्षण प्रतिबद्धता से संभव
इन उपलब्धियों ने बिहार को वैश्विक पक्षी अनुसंधान और संरक्षण के मानचित्र पर विशेष पहचान दिलायी है. इन वैज्ञानिक उपलब्धियों को प्रोजेक्ट इंचार्ज डॉ. पी. सत्यसेल्वम, प्रोजेक्ट एसोसिएट कम सेंटर इंचार्ज वर्तिका पटेल, शोधकर्ता अबिलाश आर. व विभाग के साथ बीएनएचएस के फील्ड स्टाफ के आपसी सहयोग ने संभव बनाया. इस संबंध में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर ने कहा है कि ये उल्लेखनीय प्रवास रिकॉर्ड राज्य सरकार की विज्ञान आधारित संरक्षण प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं. बिहार की आर्द्रभूमियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे परिणाम यह बताते हैं कि हमें अपनी आर्द्रभूमियों की सुरक्षा व निगरानी को अधिक मजबूत करना चाहिये. विभाग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फ्लाइवे संरक्षण में उपयोगी शोध को लगातार समर्थन देता रहेगा.
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