AIIMS ऋषिकेश में 8 करोड़ का घोटाला: CBI ने पूर्व निदेशक समेत तीन पर दर्ज किया मुकदमा
The post CBI ने पूर्व निदेशक समेत तीन पर दर्ज किया मुकदमा appeared first on Avikal Uttarakhand. AIIMS ऋषिकेश में 8 करोड़ का घोटाला अविकल उत्तराखण्ड नई दिल्ली/ ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ऋषिकेश में करोड़ों का घोटाला सामने आया है। कार्डियोलॉजी विभाग में 16 बेड… The post CBI ने पूर्व निदेशक समेत तीन पर दर्ज किया मुकदमा appeared first on Avikal Uttarakhand.

AIIMS ऋषिकेश में 8 करोड़ का घोटाला: CBI की कार्रवाई
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कम शब्दों में कहें तो, CBI ने AIIMS ऋषिकेश में 8 करोड़ रुपये के घोटाले के सिलसिले में पूर्व निदेशक समेत तीन लोगों पर मामला दर्ज किया है। यह मामला कार्डियोलॉजी विभाग में की गई अनियमितताओं से संबंधित है।
नई दिल्ली/ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ऋषिकेश में एक बड़े पैमाने पर घोटाले का खुलासा हुआ है। जानकारी के अनुसार, कार्डियोलॉजी विभाग के तहत 16 बेड की कोरोनरी केयर यूनिट (CCU) बनाने और उपकरणों की आपूर्ति के नाम पर 8 करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च की गई थी। लेकिन दुःख की बात यह है कि यह यूनिट कभी शुरू ही नहीं हो सकी।
जांच की प्रक्रिया और खुलासे
जांच में यह पाया गया है कि अनियमितताएँ एवं आपूर्ति में भारी कमी रही। जिन उपकरणों की आपूर्ति की गई, वे न केवल घटिया गुणवत्ता के थे, बल्कि कई सामान तो गायब भी पाए गए। हैरानी की बात यह है कि इस घोटाले से सम्बंधित टेंडर फाइल भी लापता हो गई है।
इस मामले की जड़ें 2017 तक जाती हैं जब दिल्ली की कंपनी, एमएस प्रो मेडिक डिवाइसेस को इस परियोजना का ठेका दिया गया था। 2019-20 के दौरान, कंपनी ने दो किस्तों में उपकरण एआईआईएमएस को भेजे और संस्थान ने 8.08 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया था, लेकिन सीसीयू का उपयोग कभी शुरू नहीं हो सका।
CBI की कार्रवाई
26 मार्च को CBI और AIIMS अधिकारियों की एक संयुक्त जांच में मामले की अनियमितताओं की पुष्टि की गई। इसके बाद 26 सितंबर को CBI ने एसीबी देहरादून से पूर्व निदेशक डॉ. रविकांत, पूर्व खरीद अधिकारी डॉ. राजेश पसरीचा, पूर्व स्टोर कीपर रूपसिंह और अन्य अज्ञात सरकारी एवं निजी व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
समाज पर प्रभाव
यह घोटाला केवल वित्तीय हानि का मामला नहीं है, बल्कि यह चिकित्सा प्रणाली पर भी गहरा धब्बा है। ऐसे मामलों से ना केवल जनता का विश्वास टूटता है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता एवं सुरक्षा भी प्रभावित होती है। स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि वह इस पर गंभीरता से विचार करे और ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए।
इस घोटाले की जांच और कार्रवाई को लेकर सभी की नजरें गड़ी हुई हैं। उम्मीद है कि न्यायालय में सभी आरोपियों पर उचित कार्रवाई हो और ऐसे मामलों में सख्ती बरती जाए ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह की अनियमितताओं को करने की हिम्मत न जुटा सके।
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टीम द ओड नारी