वॉशिंगटन सुंदर के पिता का चयनकर्ताओं पर गंभीर आरोप: "एक दो बार नाकाम और..."
ENG vs IND: भारत के युवा ऑलराउंडर वॉशिगटन सुंदर ने मैनचेस्टर टेस्ट में शतक जड़ खूब सुर्खियां बटोरीं. उनका पहला टेस्ट शतक इस मामले में भी खास है, क्योंकि इन नाबाद शतक ने भारत को हारने से बचा लिया और मैच ड्रॉ रहा. सुंदर के इस प्रदर्शन से उनके पिता एम सुंदर काफी खुश है. हालांकि, उनके पिता ने बीसीसीआई चयनकर्ताओं पर एक गंभीर आरोप लगा दिया है. उनका मानना है कि उनके बेटे के प्रदर्शन को नजरअंदाज किया जाता है और उन्हें पर्याप्त मौके नहीं मिलते. The post ‘एक दो बार नाकाम और…’, बेटे के कारनामे के बाद वॉशिंगटन सुंदर के पिता का अगरकर पर आरोप appeared first on Prabhat Khabar.

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By: Anjali Sharma, Priya Verma, and Aditi Shah, Team The Odd Naari
परिचय
कम शब्दों में कहें तो, भारत के युवा ऑलराउंडर वॉशिंगटन सुंदर ने हाल ही में मैनचेस्टर टेस्ट में अविस्मरणीय प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने अपना पहला टेस्ट शतक जड़कर सभी का ध्यान खींचा। उनके इस नाबाद शतक ने भारत को हार से बचाया और मैच को ड्रॉ करा दिया। इस शानदार उपलब्धि पर उनके पिता एम सुंदर काफी उत्साहित हैं, लेकिन उन्होंने चयनकर्ताओं पर गंभीर आरोप भी लगाया है।
वॉशिंगटन सुंदर का शानदार प्रदर्शन
मैनचेस्टर टेस्ट में वॉशिंगटन सुंदर ने ना केवल अपनी क्रिकेट प्रतिभा को साबित किया, बल्कि यह भी दर्शाया कि वह भारतीय क्रिकेट के भविष्य के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। और रवींद्र जडेजा के साथ मिलकर उन्होंने एक बेहतरीन शतक जड़ा, जो निश्चित रूप से उनकी मेहनत और काबिलियत का परिणाम था। अब तक सुंदर ने भारत के लिए 12 टेस्ट मैच खेले हैं और उनका बल्लेबाजी औसत 44.86 है। यह आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि उन्हें आगे खेलने का बहुत अधिक अवसर दिया जाना चाहिए।
चयनकर्ताओं पर आरोप
सुंदर के पिता एम सुंदर ने मीडिया से बातचीत में कहा, "हमारे बेटे को एक-दो बार कम प्रदर्शन के चलते नजरअंदाज किया गया, जबकि अन्य खिलाड़ियों को बार-बार मौके मिल रहे हैं। हमें यह समझ में नहीं आ रहा है कि क्यों?" उन्होंने अजित अगरकर की अध्यक्षता वाले चयनकर्ताओं और टीम प्रबंधन से जोरदार अपील की है कि वे वॉशिंगटन के प्रयासों का उचित आकलन करें। उनका कहना है कि वॉशिंगटन को हर प्रारूप में खेलने का पर्याप्त अवसर नहीं मिला है, जो कि उनके विकास के लिए जरूरी है।
संभावनाएं और भविष्य
वॉशिंगटन सुंदर की क्रिकेट यात्रा अभी प्रारंभिक चरण में है, लेकिन उनके द्वारा दिखाए गए समर्पण और कड़ी मेहनत निस्संदेह सराहनीय हैं। चयनकर्ताओं के तंग दृष्टिकोण और पिता के आरोपों के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि उनका करियर कहाँ अटकता है। उनके हालिया प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया है कि उनके अंदर बड़ी संभावनाएँ हैं और अगर उन्हें उचित समर्थन और अवसर मिलते हैं, तो वह भारतीय क्रिकेट में एक अहम स्थान बना सकते हैं।
निष्कर्ष
वॉशिंगटन सुंदर का पहला टेस्ट शतक न केवल एक उपलब्धि है, बल्कि यह इंडियन क्रिकेट को लेकर कुछ सवाल भी उठाता है। उनके पिता के आरोप चयन के पारदर्शिता की कमी की ओर इशारा करते हैं, और यह दर्शाते हैं कि कैसे कभी-कभी अनदेखे प्रतिभा को उचित अवसर नहीं मिलते। अगर सही समय पर उचित निर्णय लिए जाएं, तो वॉशिंगटन ज़रूर भारतीय क्रिकेट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकते हैं।