रांची में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पहला प्रकाश पर्व: भव्य दीवान, शबद गायन और सत्संग की महिमा

Prakash Parv 2025: रांची की कृष्णा नगर कॉलोनी स्थित गुरुद्वारा साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पहला प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया गया. शबद गायन एवं कथावाचन से साध संगत निहाल हुए. मौके पर विशेष दीवान सजाया गया. गुरुद्वारा के हेड ग्रंथी ज्ञानी जिवेंदर सिंह ने साध संगत से गुरमत विचार साझा करते हुए गुरु ग्रंथ साहिब जी के पहले प्रकाश पर्व की जानकारी दी. इस मौके पर गुरुनानक सत्संग सभा द्वारा गुरु का अटूट लंगर चलाया गया. The post श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पहले प्रकाश पर्व पर सजा विशेष दीवान, शबद गायन और कथावाचन से निहाल हुए साध संगत appeared first on Prabhat Khabar.

रांची में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पहला प्रकाश पर्व: भव्य दीवान, शबद गायन और सत्संग की महिमा
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पहले प्रकाश पर्व पर सजा विशेष दीवान, शबद गायन और कथावाचन से निहाल हुए साध संगत

रांची में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पहला प्रकाश पर्व: भव्य दीवान, शबद गायन और सत्संग की महिमा

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कम शब्दों में कहें तो, रांची की कृष्णा नगर कॉलोनी स्थित गुरुद्वारा साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पहला प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर विशेष दीवान सजाया गया, जहाँ साध संगत ने शबद गायन और कथावाचन के माध्यम से भक्ति का अनुभव किया।

विशेष दीवान की शुरुआत सुबह 7:40 बजे हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह द्वारा आसा दी वार कीर्तन से की गई। इस दौरान सिख पंथ के प्रसिद्ध रागी जत्था भाई सुखप्रीत सिंह ने मनमोहक प्रस्तुति दी, जिसने साध संगत में एक अद्भुत उत्साह का संचार किया। इस आयोजन ने सभी को एकत्रित किया और धार्मिक उत्साह को बढ़ाया।

गुरमत विचार और साध संगत की प्रेरणा

गुरुद्वारा के हेड ग्रंथी ज्ञानी जिवेंदर सिंह ने आयोजन के दौरान साध संगत को गुरु ग्रंथ साहिब जी के पहले प्रकाश पर्व के महत्व के बारे में समझाया। उन्होंने बताया कि गुरु अर्जुन देव जी ने 1604 में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश किया था, जिसमें कुल 974 अंग शामिल थे। इस अवसर पर संतों के योगदान को याद करते हुए उन्होंने कहा, "गुरु का हुक्म था कि 'संता के कारज आप खलोंया हर कम करावन आया राम'," जो गुरु की उपस्थिति और उनसे प्राप्त उपदेशों की महानता को दर्शाता है।

कार्यक्रम के अवसर पर, साध संगत ने रागी जत्था द्वारा गाए गए भजन जैसे “गुर राम दास राखो शरनाई” और “सो सतगुर प्यारा मेरे नाल है” पर भक्ति भाव से आनंद लिया। यह शबद गायन न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ावा देता है, बल्कि यह एकता और भाईचारे का भी संदेश देता है, जो सिख धर्म की विशेषता है।

अटूट लंगर और संतों का सम्मान

गुरुनानक सत्संग सभा द्वारा इस उपलक्ष्य में अटूट लंगर का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों भक्तों ने भाग लिया। प्रधान अर्जुन देव मिढ़ा और सचिव सुरेश मिढ़ा ने भाई सुखप्रीत सिंह जी और उनके जत्थे को गुरु घर का सारोपा देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे मनीष मिढ़ा ने सभी उपस्थित व्यक्तियों को धन्यवाद दिया। लंगर में शामिल हुई साध संगत ने इस अद्भुत आयोजन की सराहना की और गुरु के प्रति आभार व्यक्त किया।

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का महत्व

इस विशेष समारोह के दौरान, श्री गुरु गोविंद सिंह जी का योगदान भी दर्शाया गया। उन्होंने दमदमा साहिब में अन्य पांच गुरुओं की वाणियों को संकलित कर 1430 अंग (पृष्ठ) का स्वरूप तैयार किया, जो हमें यह सिखाता है कि गुरु का योगदान हमेशा जीवित रहेगा।

अंततः, यह आयोजन केवल गुरु की महत्ता को प्रदर्शित नहीं करता, बल्कि साध संगत के लोगों को नई ऊर्जा और प्रेरणा भी प्रदान करता है। यह पर्व हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक विश्वास की गहराई समझने का एक नया नजरिया देता है।

इस प्रकाश पर्व की सफलता के लिए सभी स्वयंसेवकों का धन्यवाद किया गया, जिन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया।

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