येनपक कथा: अनामिका अनु का अनोखा कहानी संग्रह, जीवन की गहराइयों में एक यात्रा

Book Review : इस कहानी संग्रह की खासियत यह भी है कि इसमें देशज शब्दों का बखूबी प्रयोग हुआ है. भुकभुकाना, जाफरी, नकमुनिया. बिहार की स्थानीय भाषा के शब्दों का प्रयोग भी कहानी संग्रह में दिखता है, जो यह बताने के लिए काफी है कि अनामिका अनु का संबंध बिहार से है.  The post  येनपक कथा अपने नाम के अनुरूप अनोखा कहानी संग्रह, कविता से कहानी की ओर अनामिका अनु की सशक्त उपस्थिति appeared first on Prabhat Khabar.

येनपक कथा: अनामिका अनु का अनोखा कहानी संग्रह, जीवन की गहराइयों में एक यात्रा
येनपक कथा: अनामिका अनु का अनोखा कहानी संग्रह, जीवन की गहराइयों में एक यात्रा

येनपक कथा: अनामिका अनु का अनोखा कहानी संग्रह, जीवन की गहराइयों में एक यात्रा

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कम शब्दों में कहें तो, अनामिका अनु का नया कहानी संग्रह 'येनपक कथा' न केवल शब्दों का जादू है, बल्कि यह हमारी जातीयता और समाज के भीतर घुली हुई वास्तविकताओं की भी गहराई में जाकर हमें सोचने पर मजबूर करता है। इस कहानी संग्रह में स्थानीय भाषा का अनूठा प्रयोग किया गया है जो इसे और भी खास बनाता है।

अणामिका अनु की यह पहली पुस्तक है जिसमें उनका लेखन कौशल न केवल काव्यात्मक है, बल्कि उनकी कहानियों में जीवन के अनुभवों की गहराई भी झलकती है। उन्होंने कहानी संग्रह की प्रस्तावना में कहा है कि यह संग्रह उस साक्षात्कार की कहानियों का समूह है जो अधूरी पंक्तियों और छूटे हुए शब्दों को दर्शाता है।

अनामिका अनु का पहला कहानी संग्रह

अनामिका अनु का 'येनपक कथा' संग्रह एक नई आवाज़ और नई सोच के साथ पेश होने वाली किताब है। इसमें एनिमिक, मधुर संवाद और गहरी भावनाएं सम्मिलित हैं। अनामिका ने साबित किया है कि उनकी कहानियां केवल शब्द नहीं हैं, बल्कि वे हमारे जीवन की संवेदनाएं हैं। इस पुस्तक में कुल 18 कहानियाँ हैं जो कि पाठकों को एक सशक्त संदेश देती हैं।

कहानी के पात्रों के अनुभव हमें अपने जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करने की प्रेरणा देते हैं। जैसे एक कहानी में एक मां अपनी बेटी को चुनती है, जो एक नई सोच का प्रतीक है। यह हमें सामाजिक प्रथाओं को चुनौती देने की प्रेरणा देती है।

कहानियों में देशज शब्दों का भरपूर प्रयोग

इस कहानी संग्रह की विशेषता यह है कि इसमें भुकभुकाना, जाफरी, नकमुनिया जैसे देशज शब्दों का उपयोग किया गया है। बिहार की स्थानीय भाषा का समावेश न केवल कहानियों को रोचक बनाता है, बल्कि यह अनामिका अनु की बिहार से अपेक्षा को भी दर्शाता है।

उनकी टाइटल कहानी 'येनपक कथा' लोककथा के ढंग से लिखी गई है, जो दिल को छू लेने वाली है। कहानी में बहने वाला प्रवाह पाठकों को शुरुआत से अंत तक बंधे रखता है, जिससे कभी भी ऐसी अनुभूति नहीं होती कि यह पहली किताब है।

अनामिका अनु ने इस संग्रह के माध्यम से साबित किया है कि कहानियों के माध्यम से भी समाज की जटिलताओं को सरलता से प्रस्तुत किया जा सकता है। उनकी लेखन शैली पाठकों को सोचने पर मजबूर करती है, और हर संवाद का अपना महत्व होता है।

अनामिका अनु का परिचय

अनामिका अनु बिहार के मुजफ्फरपुर में जन्मीं हैं और वर्तमान में केरल में रहती हैं। उन्हें 2020 में भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार से नवाजा गया था। उनकी अन्य प्रमुख रचनाओं में इंजीकरी और यारेख शामिल हैं। उनकी लेखनी का अनूठा स्वाद हर पाठक को अपनी ओर आकर्षित करता है।

यह पुस्तक न केवल साहित्य के प्रेमियों के लिए, बल्कि उन सभी के लिए एक अनिवार्य पठन है जो जीवन की गहराइयों में उतरना चाहते हैं। मंजुल पब्लिशिंग हाउस द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक अपने बेजोड़ विषयवस्तु और संकलन के लिए प्रशंसा की हकदार है।

कुल मिलाकर, 'येनपक कथा' अनामिका अनु का एक अनोखा और अद्भुत प्रयास है जिसे हर पाठक को अवश्य पढ़ना चाहिए।

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इस नए कहानी संग्रह के माध्यम से, अनामिका अनु ने अपने आपको एक अहम कथाकार के रूप में स्थापित किया है।

सप्रेम, टीम द ओड नारी