मिग-21: 30 दिनों में इतिहास के पन्नों में समाएगा वायुसेना का शूरवीर, वायुसेना प्रमुख ने भरी आखिरी उड़ान
Mig-21: वायुसेना से पूरी तरह रिटायर होने से पहले मिग-21 में आखिरी बार वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने उड़ान भरी. वायुसेना प्रमुख ने बीकानेर के करीब नाल एयरबेस पर मिग-21 पर उड़ान भरी. अगले महीने यानी 26 सितंबर को मिग-21 वायुसेना से रिटायर हो रहा है. पिछले 62 सालों से सबसे ज्यादा उड़ाए जाने के बावजूद विवादों में रहने वाला भारतीय वायुसेना का मिग-21 फाइटर जेट आखिरकार पूरी तरह रिटायर होने जा रहा है. The post Mig-21: 30 दिनों बाद इतिहास बन जाएगा वायुसेना का अपराजित योद्धा, विदाई से पहले वायुसेना प्रमुख ने भरी उड़ान appeared first on Prabhat Khabar.

मिग-21: 30 दिनों में इतिहास के पन्नों में समाएगा वायुसेना का शूरवीर, वायुसेना प्रमुख ने भरी आखिरी उड़ान
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भारतीय वायुसेना का मिग-21, जो पिछले 62 वर्षों से गर्जना कर रहा है, अब अपने विदाई की ओर बढ़ रहा है। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने हाल ही में नाल एयरबेस पर इस प्रिय विमान में अपनी अंतिम उड़ान भरी। अगले महीने, 26 सितंबर को मिग-21 को आधिकारिक रूप से रिटायर किया जाएगा। यह विमान भारतीय वायुसेना की महत्वपूर्ण कहानियों का हिस्सा रहा है, जिसने दुश्मनों के खिलाफ कई युद्धों में अपना लोहा मनवाया है और कई पीढ़ियों को अपना शौर्य दिखाने की प्रेरणा दी है।
मिग-21 की अंतिम उड़ान
सोमवार को, एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने मिग-21 के साथ अपनी अंतिम उड़ान भरी, जो वायुसेना के इतिहास में एक भावनात्मक क्षण था। उन्होंने कहा, "मिग-21 सन 1960 के दशक से भारतीय वायुसेना का एक महत्वपूर्ण लड़ाकू विमान रहा है। यह विमान विश्व में सबसे अधिक निर्मित मॉडलों में से एक है और भारतीय वायुसेना की रणनीति पर इसका गहरा प्रभाव रहा है।" यह विमान अब अपने अस्तित्व के अंतिम क्षणों में है, और इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक आदर्श के रूप में याद रखा जाएगा।
अतीत के सुनहरे क्षण
मिग-21 ने अनेक युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विशेष रूप से, 1971 के युद्ध में इसकी अद्वितीयता ने भारत को विजय दिलाई। कारगिल युद्ध में भी मिग-21 ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वायुसेना के प्रवक्ता विंग कमांडर जयदीप सिंह ने कहा, "मिग-21 ने हमेशा ही भारतीय वायुसेना को दुश्मनों के खिलाफ कई सफलताएँ दिलाने में मदद की।" इस विमान को कई बार "उड़ता ताबूत" की उपाधि भी दी गई, जो इसके दुर्घटनाओं की संख्या की ओर इशारा करती है।
विभिन्न तकनीकी बातें
मिग-21, जो कि मिकोयान-गुरेविच डिज़ाइन ब्यूरो का प्रोडक्ट है, 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ। यह पहला भारतीय गैर-पश्चिमी युद्धक विमान था जिसने विभिन्न तकनीकी मानकों को पूरा किया। लेकिन समय के साथ इसकी तकनीक अद्यतन नहीं हो पाई, जिसके कारण इसकी स्थिति में गिरावट आई। अब इसके स्थान पर तेजस जैसे नए विमानों का उपयोग किया जाएगा, जो तकनीकी दृष्टि से ज्यादा उन्नत हैं।
भविष्य की ओर कदम
वायुसेना के इस अपराजित योद्धा की विदाई नए युग की शुरुआत का संकेत है। पहले से संचालित मिग-21 विमानों का स्थान अब स्वदेशी तेजस जैसे आधुनिक विमानों द्वारा लिया जाएगा। तेजस तकनीकी दृष्टि से मिग-21 का एक अधिक सक्षम और उन्नत विकल्प है। इसकी विदाई निस्संदेह भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ होगी।
मिग-21 के इस अद्वितीय सफर की कहानियों को साझा करने के लिए एक विदाई समारोह 19 सितंबर को चंडीगढ़ एयरबेस पर आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में वायुसेना मिग-21 के पूर्वजों की शौर्य गाथा को याद करते हुए एक भावुक सलाम करेगी।
अंततः, मिग-21 की विदाई केवल एक विमान का क्रमबद्ध अंत नहीं है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक युग की समाप्ति का भी प्रतीक है। यह भारतीय वायुसेना के गौरवशाली इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय की समाप्ति को दर्शाता है।
कम शब्दों में कहें तो मिग-21 का रिटायरमेंट केवल एक विमान का अंत नहीं है, बल्कि यह भारतीय वायुसेना की एक नई यात्रा की शुरूआत है।
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सादर,
टीम द ओड नारी
शालिनी शर्मा