धराली आपदा: बीस दिन बाद भी मार्ग अवरुद्ध, मुआवजा नीति पर उठे सवाल
The post धराली आपदा: बीस दिन बाद भी सड़क ठप, मुआवजा नीति अस्पष्ट appeared first on Avikal Uttarakhand. भाकपा (माले) का आरोप— आपदा प्रबंधन में तालमेल की कमी, प्रभावितों की आवाज अनसुनी अविकल उत्तराखण्ड देहरादून। धराली आपदा से लौटने के बाद भाकपा (माले) ने सरकार की कार्यप्रणाली पर… The post धराली आपदा: बीस दिन बाद भी सड़क ठप, मुआवजा नीति अस्पष्ट appeared first on Avikal Uttarakhand.

धराली आपदा: बीस दिन बाद भी मार्ग अवरुद्ध, मुआवजा नीति पर उठे सवाल
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By Priyanka Sharma, Neha Singh and Komal Verma, Team The Odd Naari
कम शब्दों में कहें तो
धराली आपदा के बीस दिन बाद भी स्थिति नियंत्रण में नहीं आई है। सड़कें अवरुद्ध हैं और प्रभावितों को मुआवजा देने की नीति में स्पष्टता की कमी है। भाकपा (माले) ने सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
धराली आपदा की स्थिति
धराली में आए भयंकर आपदा के बाद, बीस दिन बीत जाने के बावजूद, स्थानीय सड़कें अभी भी अवरुद्ध हैं। मुआवजे को लेकर सरकार की नीति में स्पष्ठता का अभाव है, जिससे प्रभावित लोगों में निराशा का माहौल व्याप्त हो गया है। भाकपा (माले) ने सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनकी रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्गों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है, जिससे स्थानीय लोगों के लिए यात्रा में कठिनाई हो रही है।
सरकार की कार्य प्रणाली में कमी
भाकपा (माले) के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी और अतुल सती का कहना है कि सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की आवाज सुनने में असफलता दिखाई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि हताहतों की संख्या और नुकसान के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। इसके अलावा, लापता व्यक्तियों की खोज के लिए प्राथमिकता पर ध्यान देने में भी कोई प्रगति देखने को नहीं मिल रही है।
मौजूदा मुआवजा नीति की खामियां
भाकपा (माले) के नेताओं ने सरकार की मुआवजे और पुनर्वास नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि केवल नौ पंजीकृत होटलों को मुआवजा देने का प्रावधान नादानी है। सभी प्रभावित लोगों को, जिनमें बिहार और नेपाल से आए श्रमिकों के परिवार भी शामिल हैं, उचित मुआवजा देने की आवश्यकता है। सरकारी नीति के इस अनुचित अध्ययन को देखते हुए स्थानीय लोगों में आक्रोश है।
भविष्य के लिए चेतावनी
भाकपा (माले) ने चेतावनी दी है कि ऑल वेदर रोड के तहत बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई और सुक्खी टॉप बायपास की योजना से भविष्य में और विनाश की आशंका है। भू-वैज्ञानिकों का मानना है कियदि इन योजनाओं पर ध्यान नहीं दिया गया, तो प्राकृतिक आपदाएँ और भी गंभीर हो सकती हैं।
जलवायु परिवर्तन के प्रति सजगता
भाकपा (माले) ने वाडिया इंस्टीट्यूट में बंद किए गए ग्लेशियोलॉजी विभाग को पुनः चालू करने की मांग की है, ताकि हिमालयीय विकास योजनाएँ जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के अनुकूल बनाई जा सकें। इस दिशा में ध्यान केंद्रित करने से भविष्य में त्रासदियों को रोकने के लिए वैज्ञानिक उपाय किए जा सकेंगे।
निष्कर्ष
धराली आपदा में प्रभावित लोगों के प्रति सहानुभूति जताते हुए, भाकपा (माले) ने सरकार से अपील की है कि राहत और पुनर्वास की प्रक्रिया में जल्द गति लाई जाए। सभी प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा मिलना चाहिए, ताकि वे अपने जीवन को पुनः स्थापित कर सकें।
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