तिरुपति मंदिर लूट मामले में भाजपा ने वाईएसआरसीपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए दिया बड़ा बयान
आंध्र प्रदेश में एक बड़ा विवाद सामने आया है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने वाईएसआर कांग्रेस सरकार पर तिरुपति मंदिर के परकामनी (दानपेटी) से 100 करोड़ रुपये से अधिक की चोरी का आरोप लगाया है। भाजपा नेता और तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के सदस्य भानु प्रकाश रेड्डी ने दावा किया कि यह वाईएसआर कांग्रेस के शासन (2019-2024) के दौरान टीटीडी के इतिहास में 'सबसे बड़ी लूट' थी।सीसीटीवी फुटेज और ताडेपल्ली पैलेस से कनेक्शन का दावारेड्डी ने आरोपों के समर्थन में सीसीटीवी फुटेज जारी करते हुए कहा कि मंदिर के कर्मचारी रविकुमार ने दानपेटी से नकदी चुराई। उन्होंने आरोप लगाया कि इस लूटे गए धन को रियल एस्टेट में निवेश किया गया और इसका एक हिस्सा सीधे पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के आवास, ताडेपल्ली पैलेस, में भेजा गया था।भाजपा नेता ने यह भी आरोप लगाया कि इस घोटाले में वाईएसआर कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता और शीर्ष अधिकारी शामिल थे। उन्होंने कहा कि एक पुलिस अधिकारी भी तिरुपति मंदिर की संपत्ति को लूटने के इरादे से काम कर रहा था। रेड्डी ने दावा किया कि इस मामले को पहले लोक अदालत के माध्यम से सुलझाया गया था और घोटाले से जुड़े महत्वपूर्ण सबूत भी नष्ट कर दिए गए हैं। #YCPTirumalaMahaPapam వైసిపి గజదొంగలు శ్రీవారి సొత్తూ దోచుకున్నారు. వందకోట్ల పరకా'మనీ దొంగ' వెనుక వైసీపీ నేతలుజగన్ ఐదేళ్ల పాలనలో అవినీతి రాజ్యమేలింది. అరాచకం పెచ్చరిల్లింది. దొంగలు, దోపిడీదారులు, మాఫియా డాన్లకు ఏపీని కేరాఫ్ అడ్రస్ చేసారు జగన్. గనులు, భూములు, అడవులు, సమస్త… pic.twitter.com/Pwssua12YM— Lokesh Nara (@naralokesh) September 20, 2025 इसे भी पढ़ें: Navratri से 'आत्मनिर्भर भारत' का नया अध्याय, PM Narendra Modi ने GST रिफॉर्म्स की घोषणा कीहाई कोर्ट ने दिए जांच के आदेशभानु प्रकाश रेड्डी ने बताया कि हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सीआईडी (CID) को जांच सौंप दी है। कोर्ट ने सीआईडी को एक महीने के भीतर जांच पूरी करने और एक सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही, बोर्ड के फैसलों और संबंधित दस्तावेजों को भी जब्त करने का निर्देश दिया गया है। रेड्डी ने टीटीडी के तत्कालीन अध्यक्ष भुमना करुणाकर रेड्डी से भी उनके आरोपों पर जवाब मांगा है।

तिरुपति मंदिर लूट मामले में भाजपा ने वाईएसआरसीपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए दिया बड़ा बयान
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कम शब्दों में कहें तो, तिरुपति मंदिर में हुई कथित लूट ने आंध्र प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। भाजपा ने वाईएसआर कांग्रेस सरकार पर 100 करोड़ रुपये से अधिक की चोरी का बड़ा आरोप लगाया है। भाजपा नेता भानु प्रकाश रेड्डी ने इसे टीटीडी के इतिहास की 'सबसे बड़ी लूट' कहा है।
आंध्र प्रदेश में बड़ा विवाद
आंध्र प्रदेश में एक बड़ा विवाद खड़ा हुआ है। भाजपा ने वाईएसआर कांग्रेस सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए तिरुपति मंदिर के परकामनी (दानपेटी) से 100 करोड़ रुपये से अधिक की चोरी का दावा किया है। भाजपा के नेता और तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के सदस्य भानु प्रकाश रेड्डी ने कहा कि यह घोटाला वाईएसआर सरकार के कार्यकाल (2019-2024) में हुई सबसे बड़ी लूट है।
शोध और महत्वपूर्ण सबूत
रेड्डी ने इस आरोप को समर्थित करते हुए एक वीडियो सीसीटीवी फुटेज पेश किया है जिसमें मंदिर के एक कर्मचारी, रविकुमार को दानपेटी से नकदी चुराते हुए देखा गया है। उनका आरोप है कि इस लूटे गए धन का एक हिस्सा रियल एस्टेट में निवेश किया गया और इसे पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के आवास, ताडेपल्ली पैलेस, में भेजा गया। इससे यह संकेत मिलता है कि यह केवल एक साधारण चोरी नहीं थी, बल्कि एक व्यापक नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है।
भाजपा के आरोपों की गंभीरता
भानु प्रकाश रेड्डी ने दावा किया है कि इस घोटाले में वाईएसआर कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता और शीर्ष अधिकारी शामिल हैं। यह चिंता का विषय है, क्योंकि इसमें केवल विधायक या मंत्री ही नहीं, बल्कि पुलिस अधिकारियों का भी नाम शामिल है जो इस लूट के मामले में शामिल होने का संदेह है। इससे यह स्पष्ट होता है कि इस मामले की तह में जाने की आवश्यकता है।
लोक अदालत और सबूतों का नष्ट होना
रेड्डी ने संकेत दिया है कि इस मामले को पहले लोक अदालत के माध्यम से सुलझाने की कोशिश की गई थी, लेकिन महत्वपूर्ण सबूतों का नष्ट होना इसे और भी संदिग्ध बनाता है। इससे यह प्रश्न उठता है कि क्या वाईएसआर कांग्रेस सरकार मामले को दबाने की कोशिश कर रही है?
हाई कोर्ट का आदेश
इस मामले की गंभीरता को समझते हुए, आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने इस मामले को सीआईडी को सौंप दिया है। कोर्ट ने सीआईडी को एक महीने के भीतर जांच समाप्त कर एक सीलबंद रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। इसमें सभी आवश्यक दस्तावेजों और बोर्ड के फैसलों को जब्त करने का भी निर्देश दिया गया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी आवश्यक सबूतों का संरक्षण हो सके, यह आवश्यक है।
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आखिरकार, यह मामला केवल तिरुपति मंदिर की सुरक्षा और उसके पुजारी की बात नहीं है, बल्कि यह आंध्र प्रदेश सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है। भाजपा ने इस मुद्दे को उठाकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की है।
आंध्र प्रदेश में धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर यह मामला निस्संदेह चिंता का विषय है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। जनता का विश्वास बनाए रखना शासन की प्राथमिकता होनी चाहिए।
टीम द Odd Naari