अमेरिका ने भारत के करीब B-52 बॉम्बर अपनी तैनाती की: जानिए इसके पीछे की वजह
US Secretly Deploys B52 Bomber Near India: ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) विशेषज्ञ एमटी एंडरसन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक सैटेलाइट इमेज साझा की है, जिसमें स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि डिएगो गार्सिया मिलिट्री बेस पर अमेरिका ने कई उन्नत सैन्य विमानों की तैनाती कर रखी है. The post US Secretly Deploys B52 Bomber Near India: अमेरिका ने चोरी से भारत के करीब उतारा बॉम्बर B-52 जहाज, लेकिन क्यों? appeared first on Prabhat Khabar.

अमेरिका ने भारत के करीब B-52 बॉम्बर अपनी तैनाती की: जानिए इसके पीछे की वजह
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कम शब्दों में कहें तो, हाल ही में, अमेरिका ने डिएगो गार्सिया से B-52 बॉम्बर की तैनाती की है, जो भारत से केवल 1800 किलोमीटर की दूरी पर है। इस तैनाती के पीछे की वजहों और इसके क्षेत्रीय प्रभावों पर हम गहराई से चर्चा करेंगे।
सैटेलाइट इमेज ने किया बड़ा खुलासा
ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) के विशेषज्ञ एमटी एंडरसन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कुछ सैटेलाइट इमेज साझा की हैं, जिनमें डिएगो गार्सिया मिलिट्री बेस पर कई उन्नत सैन्य विमान देखे जा रहे हैं। इन तस्वीरों में चार B-52 बॉम्बर, छह F-15 लड़ाकू विमान और छह KC-135 टैंकर दिखते हैं। यह तैनाती केवल सामान्य अभ्यास नहीं है, बल्कि इसके पीछे के रणनीतिक पहलुओं पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
उन्नत युद्धक विमान की तैनाती क्यों महत्वपूर्ण है?
B-52 बॉमर्स अमेरिका के सबसे डरावने और लंबी दूरी के विमानों में से एक हैं, जो न्यूक्लियर और पारंपरिक दोनों प्रकार के बम गिराने में सक्षम हैं। इन बॉमर्स की तैनाती से संकेत मिलता है कि अमेरिका एक बड़े पैमाने पर सैन्य ऑपरेशन की तैयारी कर रहा है या वर्तमान भूप्रवर्तन में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। F-15 लड़ाकू विमानों की उपस्थिति इससे भी अधिक मायने रखती है, क्योंकि यह हवाई मुकाबले में प्रभुत्व बनाए रखने के लिए आवश्यक होते हैं। इसके साथ ही, KC-135 टैंकरों की मौजूदगी से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका अपने विमानों की परिचालन सीमा और मिशन अवधि को बढ़ाना चाहता है।
डिएगो गार्सिया का भौगोलिक महत्व
डिएगो गार्सिया चागोस आर्किपेलागो का हिस्सा है और इसकी भौगोलिक स्थिति भारत, अफ्रीका और मध्य पूर्व के बीच महत्वपूर्ण है। यह भारत के लगभग 1800 किलोमीटर दक्षिण में और चीन से लगभग 3000 मील दूर है। इस बेस को 1970 के दशक में एक महत्वपूर्ण सैन्य केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था, यहाँ लंबा रनवे और गहरी जलपोत सुविधा है जो भारी बॉमर्स और नौसैनिक जहाजों के लिए उपयुक्त है। इसे एशिया और मध्य पूर्व में गुप्त मिशनों के लिए उपयोग किया गया है।
ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ती तनावों के साथ, अमेरिका की यहाँ रुचि संभावित रूप से क्षेत्रीय विरोधियों के लिए एक चेतावनी के रूप में देखी जा सकती है।
चीन को भी एक सन्देश?
इस सैन्य तैनाती का चीन के लिए भी गहरा महत्व है, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ती चिंताओं के बीच। जैसे-जैसे अमेरिका के मित्र देश चीन की क्षेत्रीय दावों से चिंतित होते जा रहे हैं, डिएगो गार्सिया में बढ़ती सैन्य गतिविधियां बीजिंग को स्पष्ट संदेश देती हैं। यह स्थान मध्य पूर्व और इंडो-पैसिफिक में संभावित सैन्य ऑपरेशनों के लिए उपयुक्त है, जिससे अमेरिका की "दो-फ्रंट थियेटर ऑपरेशन" रणनीति का इशारा मिलता है।
भारत के निकट अमेरिका की सैन्य उपस्थिति के निहितार्थ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ये कार्रवाई न केवल सैन्य तत्परता बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं, बल्कि ईरान की आक्रामकता और दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती ताकत को भी संबोधित करने के लिए एक व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं।
अंत में, अमेरिका द्वारा भारत के करीब B-52 बॉमर्स की तैनाती वैश्विक तनावों के चलते एक महत्वपूर्ण कदम है। यह क्षेत्रीय खतरों के खिलाफ एक उपाय के रूप में कार्य करता है और यह स्पष्ट संकेत देता है कि अमेरिका इस रणनीतिक क्षेत्र की घटनाओं पर बारीकी से नजर रख रहा है।
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टीम द ओड नारी द्वारा लिखित – प्रिया वर्मा, स्वाती शर्मा, और अदिति सिंह