अधिकारियों के अटैचमेंट और डेपुटेशन खत्म, कार्मिकों को सामना करना पड़ा झटका
The post अटैचमेंट व डेपुटेशन की मौज काट रहे अधिकारी – कार्मिकों को झटका appeared first on Avikal Uttarakhand. एक बड़े विभाग में अटैचमेंट व डेपुटेशन खत्म 5 वर्ष से अधिक समय से प्रतिनियुक्त कार्मिकों को लौटना होगा मूल विभाग में शासन ने बाह्य सेवा, प्रतिनियुक्ति व सम्बद्धता समाप्त… The post अटैचमेंट व डेपुटेशन की मौज काट रहे अधिकारी – कार्मिकों को झटका appeared first on Avikal Uttarakhand.

अधिकारियों के अटैचमेंट और डेपुटेशन खत्म, कार्मिकों को सामना करना पड़ा झटका
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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड शासन का नया आदेश अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक बड़ा परिवर्तन बन कर आया है। शासन ने अटैचमेंट और डेपुटेशन की सवेतन सेवाओं को समाप्त करने का निर्णय लिया है, जिसके परिणामस्वरूप कई अधिकारियों को अपने मूल विभागों में लौटने का आदेश दिया गया है।
बड़े विभागों में बदलाव
हाल ही में जारी आदेश के अनुसार, जिन अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति अवधि पाँच वर्ष से अधिक हो चुकी है, उन्हें तुरंत अपने मूल विभाग में लौटने के लिए कहा गया है। यह निर्णय उन अधिकारियों के लिए एक झटका है जिन्होंने लंबे समय से अतिरिक्त लाभ और सुविधाओं का लाभ उठाया है। ऐसे कई अधिकारी अत्यधिक आराम से अन्य विभागों में कार्य कर रहे थे, जिससे कार्य की गुणवत्ता और प्रशासनिक कार्यों में असामान्यताएँ बढ़ गई थीं।
आदेश का प्रभाव
उत्तराखंड के सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि संबंधित कार्मिकों को अगले सात दिनों के भीतर अपने मूल विभाग में कार्यभार ग्रहण करना होगा। यह आदेश विभिन्न उच्च शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों के अधिकारियों को भी अत्यंत गंभीरता से लागू करने के लिए भेजे गए हैं। इससे उम्मीद है कि पिछले कई वर्षों से मौज कर रहे अधिकारियों की स्थिति में सुधार होगा।
वित्त विभाग का दृष्टिकोण
वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि विदेश सेवाओं में भाग लेने वाले कार्मिकों की संख्या लगातार वृद्धि पर है, जिससे यह प्रमाणित होता है कि शासनादेश का पालन ठीक से नहीं हो रहा है। इसके चलते, शासन ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ऐसे उल्लंघनों के लिए कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
गवर्नेंस में पारदर्शिता
सच में, यह निर्णय सरकारी कार्यों में पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। पिछले कुछ वर्षों में कई बार ऐसे आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन उनके क्रियान्वयन में कमी रही है। अधिकारियों के द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करने की प्रवृत्ति ने न केवल कार्यक्षमता में गिरावट लायी है, बल्कि सरकारी कार्यों की गुणवत्ता पर भी असर डाला है।
आगे की योजना
यह देखा जाना बाकी है कि क्या यह आदेश सफल होता है या नहीं। आवश्यकता है कि शासन इसके कठोर क्रियान्वयन को सुनिश्चित करे ताकि यह वास्तव में सरकारी कार्यों में सुधार करने में सहायक सिद्ध हो। उत्तराखंड सरकार की ओर से यह निर्णय कर्मचारियों और अधिकारियों को उनके मूल विभागों में वापस लाने का एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है।
निष्कर्ष
अवश्य ही, यह आदेश सरकारी कार्यवाहियों में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। इससे अधिकारियों की कार्यशैली में सुधार के साथ-साथ प्रशासनिक पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी। आशा है कि यह आदेश न केवल अधिकारियों की जिम्मेदारी को पुनः स्थापित करेगा, बल्कि इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिलेंगे।
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सादर,
टीम द ऑड नारी - प्रिया शर्मा