हल्द्वानी: विश्व हिंदू परिषद का बयान, मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने और अवैध धर्मांतरण पर सख्ती की मांग

हल्द्वानी में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री बजरंग लाल बांगड़ा ने मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराकर इन्हें हिंदू समाज के हवाले करने की मांग की। उन्होंने कहा कि हिंदू जनों द्वारा चढ़ाया गया चढ़ावा हिंदू समाज के उत्थान में ही इस्तेमाल होना चाहिए। इस संबंध में कई […] Source

हल्द्वानी: विश्व हिंदू परिषद का बयान, मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने और अवैध धर्मांतरण पर सख्ती की मांग
हल्द्वानी: विश्व हिंदू परिषद का बयान, मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने और अवैध धर्मांतरण पर सख्ती की मांग

हल्द्वानी: विश्व हिंदू परिषद का बयान, मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने और अवैध धर्मांतरण पर सख्ती की मांग

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हल्द्वानी में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान, विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री बजरंग लाल बांगड़ा ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने मांग की है कि मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर देना चाहिए और इन्हें पूर्ण रूप से हिंदू समाज के हवाले कर दिया जाना चाहिए। इस बयान ने宗教 हाटार विचारधारा के समर्थकों और विरोधियों के बीच तीव्र चर्चा उत्पन्न कर दी है।

मंदिरों का सरकारी नियंत्रण

बांगड़ा ने स्पष्ट किया कि भारतीय संस्कृति और धर्म के हिसाब से मंदिरों का संचालन बिना किसी सरकारी दखल के होना चाहिए। उन्होंने कहा, "हिंदू जनों द्वारा चढ़ाया गया चढ़ावा हिंदू समाज के उत्थान में ही इस्तेमाल होना चाहिए।" उनके अनुसार, अगर मंदिरों का प्रशासन और प्रबंधन हिंदू समाज के हाथ में होगा, तो यह न केवल धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करेगा, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाएगा।

अवैध धर्मांतरण पर सख्ती

इसके साथ ही, विश्व हिंदू परिषद ने अवैध धर्मांतरण पर भी सख्ती की मांग की है। बांगड़ा ने कहा, "धर्मांतरण केवल एक राजनीतिक उपकरण नहीं होना चाहिए। इसके लिए ठोस कानून बनाना आवश्यक है।" उन्होंने बताया कि कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां धर्मांतरण को एक व्यवसाय की तरह किया जा रहा है, जो कि समाज के लिए सही नहीं है।

समाज में प्रतिक्रियाएँ

बांगड़ा के इस बयान पर समाज में दो तरह की प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। कुछ लोग इस मांग का समर्थन कर रहे हैं और इसके पीछे धार्मिक आज़ादी और सामाजिक न्याय का तर्क पेश कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, कुछ आलोचक इसे असहमति के स्वरूप में देख रहे हैं और इसे धार्मिक असहिष्णुता का प्रतीक मानते हैं।

सार्वजनिक जागरूकता का महत्व

इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए, यह स्पष्ट होता है कि समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। लोगों को चाहिए कि वे इस विषय पर खुलकर चर्चा करें और सही जानकारी एकत्र करें। अंत में, यह समाज की भलाई के लिए आवश्यक है कि हम ऐसे मुद्दों पर संतुलित दृष्टिकोण रखें।

निष्कर्ष

विश्व हिंदू परिषद का यह बयान केवल एक धार्मिक आंदोलन नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज में मौजूदा धार्मिक और सामाजिक व्यवस्था पर एक नजर डालने का भी प्रयास है। बांगड़ा की इन मांगों के जवाब में, यह देखना होगा कि समाज और सरकार कितनी सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हैं। सार्वजनिक संवाद और जागरूकता बुनियादी तत्व होंगे जो इस चर्चित मुद्दे पर आगे बढ़ने में सहायक होंगे।

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