हरिद्वार: डीएम के निर्देश पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई, मूंगफली विक्रेताओं की रातोंरात उपाधि ध्वस्त

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के निर्देश पर सड़क किनारे सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर करोबार करने वालो पर पुलिस प्रशासन ने डंडा चलाया। अवैध अतिक्रमण को ध्वस्त कर भविष्य में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण न करने की चेतावनी दी गई है।विदित हो कि प्रेम नगर आश्रम पुल के पास हाइवे के चारो तरफ बिजनौर उप्र के […] Source

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हरिद्वार: डीएम के निर्देश पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई

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कम शब्दों में कहें तो, हरिद्वार में पुलिस प्रशासन ने मूंगफली बेचने वाले कुछ विक्रेताओं द्वारा सड़क किनारे सरकारी भूमि पर किए गए अवैध अतिक्रमण को ध्वस्त कर दिया है। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के आदेश पर यह कार्रवाई की गई, जो सरकारी भूमि की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।

अतिक्रमण की पृष्ठभूमि

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने हाल ही में क्षेत्र में अतिक्रमण की बढ़ती घटनाओं पर गंभीरता दिखाई। उनके निर्देश पर, पुलिस प्रशासन ने प्रेम नगर आश्रम पुल के पास स्थित हाईवे के चारों तरफ, विशेष रूप से बिजनौर से हरिद्वार आए मूंगफली विक्रेताओं के द्वारा किए गए अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की।

डीएम के उचित कदम

इस मामले में डीएम ने स्पष्ट किया है कि कोई भी व्यापारी सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा नहीं कर सकता है और उन्हें ऐसा करने पर सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। अधिकारियों ने पानी की बौछार के साथ-साथ ट्रैक्टरों का इस्तेमाल करके अवैध कब्जे को ध्वस्त किया।

अवैध अतिक्रमण के खिलाफ उठाए गए इस कदम से न केवल सरकारी भूमि की रक्षा हुई है, बल्कि भविष्य में ऐसे क्रियाकलापों को रोकने के लिए एक मजबूत चेतावनी भी भेजी गई है।

समुदाय की प्रतिक्रिया

हालांकि, यह कार्रवाई स्थानीय समुदाय में मिश्रित प्रतिक्रियाएं लाएगी। कुछ लोग इसे आवश्यक कदम मानते हैं, जबकि अन्य इसे उनके आजीविका पर आक्रमण के रूप में देखते हैं। मूंगफली विक्रेताओं का कहना है कि वे अपनी खाद्य सामग्री बेचने के लिए एक सुरक्षित स्थान की आवश्यकता महसूस करते हैं।

भविष्य की दिशा

अब, यह आवश्यक है कि सरकार और स्थानीय प्रशासन इन विक्रेताओं की समस्याओं को भी ध्यान में रखते हुए एक समाधान निकाले। समय-समय पर ऐसे निरीक्षण और सख्त नियमों के साथ-साथ एक स्थायी समाधान की आवश्यकता है, ताकि विक्रेताओं को अपनी आजीविका चलाने के लिए बेहतर स्थान मिल सके जिससे उन्हें सरकारी भूमि का अतिक्रमण न करना पड़े।

ऐसे मामलों के निष्कर्ष के तौर पर, हम यह देख सकते हैं कि जब हम एक व्यवस्थित व्यापारिक माहौल की बात करते हैं, तब यह सभी के लिए मुनासिब होता है।

बस यही है कि सरकारी भूमि की सुरक्षा और स्थानीय विक्रेताओं की आजीविका, दोनों का संतुलन बहुत जरूरी है।

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टीम द ओड नारी
(स्नेहा शर्मा)