नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र की सुरक्षा घटाई गई, हिंसा में हुए नुकसान का मुआवजा भी वसूलेगी सरकार

काठमांडू नगर निगम ने शनिवार को पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह को पत्र भेजकर एक दिन पहले राजधानी के कुछ हिस्सों में राजशाही समर्थक प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति और पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई की मांग की है। वहीं, नेपाल सरकार ने शाह के लिए तैनात सुरक्षाकर्मियों की संख्या कम कर दी है। गृह मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी। नेपाल की राजधानी के कुछ हिस्सों में राजशाही समर्थक प्रदर्शनों के हिंसक हो जाने के एक दिन बाद यह कदम उठाया गया है।पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के सुरक्षाकर्मियों की संख्या घटाई गईनेपाल की राजधानी के कुछ हिस्सों में राजशाही समर्थक प्रदर्शनों के हिंसक हो जाने के एक दिन बाद उठाया गया है। पूर्व नरेश के निजी आवास निर्मल निवास पर सुरक्षाकर्मियों की संख्या शुक्रवार के विरोध प्रदर्शनों के बाद 25 से घटाकर 16 कर दी गई। गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि सरकार ने पूर्व नरेश की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों की टीम में भी फेरबदल किया है। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने पूर्व नरेश की गतिविधियों पर भी सतर्कता बढ़ा दी है। इसे भी पढ़ें: रूसी राष्ट्रपति Vladimir Putin की कार बेड़े की लिमोजिन में विस्फोट, सोशल मीडिया पर वीडियो सामने आयापूर्व नरेश ज्ञानेंद्र पर जुर्माना लगायाकाठमांडू के कुछ हिस्सों में शुक्रवार को तनावपूर्ण स्थिति देखी गई, जब राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया। प्रदर्शनकारियों ने एक राजनीतिक पार्टी के कार्यालय पर हमला किया, वाहनों में आग लगा दी और काठमांडू के तिनकुने-बानेश्वर क्षेत्र में दुकानें लूट लीं। सुरक्षाकर्मियों और राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में एक टीवी कैमरामैन समेत दो लोग की मौत हो गई और 110 अन्य घायल हो गए। चूंकि यह विरोध प्रदर्शन ज्ञानेंद्र शाह के आह्वान पर आयोजित किया गया था, इसलिए काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी (केएमसी) के महापौर बालेंद्र शाह ने काठमांडू के बाहरी इलाके महाराजगंज में निर्मला निवास में स्थित उनके आवास पर एक पत्र भेजा, जिसमें उन्हें नुकसान के हर्जाने के रूप में 7,93,000 नेपाली रुपये का भुगतान करने को कहा गया।पूर्व नरेश को भेजे गए पत्र की प्रतियां मीडिया में जारी की गईं हैं, जिसमें केएमसी ने कहा कि पूर्व नरेश के आह्वान पर आयोजित विरोध प्रदर्शन से महानगर की विभिन्न संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है और राजधानी का पर्यावरण प्रभावित हुआ है। शुक्रवार के आंदोलन के संयोजक दुर्गा प्रसाद ने एक दिन पहले ज्ञानेंद्र शाह से मुलाकात की थी और उन्हें राजशाही व हिंदू राष्ट्र की बहाली की मांग को लेकर आंदोलन करने के निर्देश मिले थे। राजशाही समर्थक काठमांडू और देश के अन्य भागों में रैलियां आयोजित कर रहे हैं तथा 2008 में समाप्त की गई 240 वर्ष पुरानी राजशाही को पुनः स्थापित करने की मांग कर रहे थे।

नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र की सुरक्षा घटाई गई, हिंसा में हुए नुकसान का मुआवजा भी वसूलेगी सरकार
नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र की सुरक्षा घटाई गई, हिंसा में हुए नुकसान का मुआवजा भी वसूलेगी सरकार

नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र की सुरक्षा घटाई गई, हिंसा में हुए नुकसान का मुआवजा भी वसूलेगी सरकार

The Odd Naari

लेखक: सुमित्रा शर्मा, टीम नेतानागरी

परिचय

नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के सुरक्षा कवच को कम करने का फैसला हाल ही में शासन द्वारा लिया गया है, जो कि देश में बढ़ती हिंसा और उसके वजह से उत्पन्न स्थिति के बीच उठाया गया कदम है। यह कदम इस बात का प्रतीक है कि नेपाल सरकार अपने नागरिकों के नुकसान को लेकर गंभीर है और इसके साथ ही मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में सुरक्षा उपायों की समीक्षा कर रही है।

सुरक्षा का घटाव

नेपाल सरकार ने पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र की सुरक्षा में कमी करने का निर्णय लिया है। इससे पहले, उन्हें विशेष सुरक्षा प्रदान की जा रही थी, लेकिन अब इस कदम से उनकी सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। यह निर्णय उस समय आया है जब नेपाल में कई स्थानों पर भीड़ द्वारा हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम एक तरह से सरकार की ओर से अपने नागरिकों के प्रति उत्तरदायित्व को दर्शाता है।

हिंसा में हुए नुकसान का मुआवजा

सरकार ने यह भी ऐलान किया है कि हिंसा में हुए नुकसान का मुआवजा वसूला जाएगा। इसका उद्देश्य उन परिवारों और व्यवसायों का सहयोग करना है जो इस हिंसा से प्रभावित हुए हैं। सरकार ने यह सुनिश्चित करने का भी वादा किया है कि मुआवजे की प्रक्रिया पारदर्शी और त्वरित होगी। इसके लिए विशेष समितियों का गठन किया जाएगा जो प्रभावित लोगों की सहायता करेंगी।

राजनीतिक पृष्ठभूमि

इस निर्णय का राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में गहरा महत्व है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सुरक्षा में कमी और मुआवजे का फैसला दरअसल विकासशील राजनीतिक माहौल का एक हिस्सा है। पिछले कुछ समय में कई ऐसे मुद्दे सामने आए हैं जो नेपाल की स्थिरता को प्रभावित कर रहे हैं। इसलिए, सरकार को यह निर्णय लेने में सच्चाई और सच्चाई के साथ जनसमर्थन प्राप्त करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

नेपाल सरकार के द्वारा उठाए गए इस कदम में अनेक चुनौतीपूर्ण पहलू हैं। जबकि सुरक्षा क़दम की कमी एक विवादास्पद विषय हो सकता है, लेकिन साथ ही सरकार के मुआवजे के फैसले ने उस कठिनाई में आवाज उठाई है जिसमें कई नेपाली नागरिक जूझ रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में कैसे इन निर्णयों का प्रभाव पड़ता है और क्या यह नेपाल के लिए स्थिरता का एक नया अध्याय लेकर आएगा।

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