नेतन्याहू ने बचाई ट्रंप की जान, मारने की प्लानिंग बना रहा था ईरान, फिर मोसाद ने...

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दावा किया कि ईरान की इस्लामी सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपने परमाणु कार्यक्रम के लिए खतरा बताया है और उनकी हत्या की कोशिश कर रही है। गौरतलब है कि पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रचार करते समय ट्रंप पर दो बार हत्या की कोशिश की गई थी। यह पूछे जाने पर कि क्या उनके पास कोई खुफिया जानकारी है कि ट्रंप की हत्या की कोशिशें सीधे ईरान से हो रही हैं। नेतन्याहू ने कहा कि प्रॉक्सी के ज़रिए, हाँ, अपनी खुफिया जानकारी के ज़रिए, हाँ, वे उन्हें मारना चाहते हैं। फॉक्स न्यूज़ के हवाले से नेतन्याहू ने कहा कि वे उन्हें मारना चाहते हैं। वे दुश्मन नंबर एक हैं।इसे भी पढ़ें: Trump अंजाम भुगतने की धमकी देते रह गए, ईरान ने अमेरिकी दूतावास पर ही दनादन दागी कई मिसाइलेंनेतन्याहू खुद को ट्रंप का 'जूनियर पार्टनर' बतायाट्रंप का जिक्र करते हुए नेतन्याहू ने कहा कि वे एक निर्णायक नेता हैं। उन्होंने कभी भी दूसरों की तरह उनके साथ सौदेबाजी करने का रास्ता नहीं अपनाया, जिससे उन्हें मूल रूप से यूरेनियम को समृद्ध करने का रास्ता मिल गया, जिसका मतलब है कि बम बनाने का रास्ता और इसके लिए अरबों-खरबों डॉलर खर्च करना। उन्होंने इस फर्जी समझौते को उठाया और मूल रूप से इसे फाड़ दिया। उन्होंने कासिम सुलेमानी को मार डाला। उन्होंने यह बहुत स्पष्ट कर दिया, जिसमें अब यह भी शामिल है कि 'आपके पास परमाणु हथियार नहीं हो सकता, जिसका मतलब है कि आप यूरेनियम को समृद्ध नहीं कर सकते।' वे बहुत बलशाली रहे हैं, इसलिए उनके लिए वे दुश्मन नंबर एक हैं। नेतन्याहू ने कहा कि उनके घर की खिड़की पर मिसाइल दागे जाने के बाद वे भी शासन के निशाने पर थे। उन्होंने ईरान की परमाणु हथियार बनाने की क्षमता को खतरे में डालने में खुद को ट्रंप का "जूनियर पार्टनर" बताया। इसे भी पढ़ें: Pakistan के परमाणु ठिकानों को मिसाइल से तबाह करेगा इजरायल? इस्लामाबाद की संसद में दिखा डर, ईरान ने बेवजह फंसा दियाऑपरेशन राइजिंग लॉयन पर नेतन्याहूईरान ने तब से इजरायली शहरों पर बड़े पैमाने पर बैलिस्टिक मिसाइल हमले करके जवाबी कार्रवाई की है, हालांकि कई प्रक्षेपास्त्रों को विफल कर दिया गया। नेतन्याहू ने कहा कि उनका मानना ​​है कि इजरायल के आक्रामक उपायों ने ईरानी परमाणु कार्यक्रम को काफी हद तक बर्बाद कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद को प्रायोजित करने वाली सरकार के साथ बातचीत स्पष्ट रूप से कहीं नहीं जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका देश ईरान द्वारा दुनिया के लिए उत्पन्न परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल खतरे को खत्म करने के लिए जो भी आवश्यक है, वह करने के लिए तैयार है।

नेतन्याहू ने बचाई ट्रंप की जान, मारने की प्लानिंग बना रहा था ईरान, फिर मोसाद ने...
नेतन्याहू ने बचाई ट्रंप की जान, मारने की प्लानिंग बना रहा था ईरान, फिर मोसाद ने...

नेतन्याहू ने बचाई ट्रंप की जान, मारने की प्लानिंग बना रहा था ईरान, फिर मोसाद ने...

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल ही में एक चौंकाने वाला दावा किया है कि ईरान की इस्लामी सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपने परमाणु कार्यक्रम के लिए एक प्रमुख खतरा मानते हुए उनकी हत्या की योजना बनाई थी। यह जानकारी नेतन्याहू ने एक इंटरव्यू में साझा की, जिसमें उन्होंने विस्तार से ईरानी खतरे और मोसाद की भूमिका के बारे में बताया। ब्रेकिंग न्यूज, Daily Updates & Exclusive Stories - theoddnaari।

ईरान की हत्या की योजना और नेतन्याहू का बयान

नेतन्याहू ने कहा कि ईरान ने ट्रंप को निशाना बनाने की कोशिश की, जो पिछले साल अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी सामने आई थी। ट्रंप पर दो बार हत्या की कोशिश की गई थी, जिनमें से दोनों बार उनकी सुरक्षा एजेंसियों ने समय पर कार्रवाई की और मामले को टाल दिया। नेतन्याहू ने यह भी कहा कि उन्हें ईरान की खुफिया जानकारी मिली थी, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि वे ट्रंप को प्रॉक्सी के जरिए खत्म करने की मंशा रखते थे।

मोसाद का अंतिम उपाय

नेतन्याहू ने मोसाद के प्रयासों को प्रमुखता देते हुए कहा कि इस खुफिया एजेंसी ने ईरानी योजनाओं से अवगत होकर तुरंत कार्रवाई की। उनका मानना है कि मोसाद ने ईरान की योजनाओं को नाकाम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और ट्रंप की जान बचाने के लिए समय पर कदम उठाया। यह भूलना नहीं चाहिए कि ईरान को इस्लामिक आतंकवाद का एक केंद्र भी माना जाता है, जहां मौजूदा कार्यक्रमों के चलते कई देशों को खतरा पैदा हो सकता है।

ट्रंप की भूमिका और उनके निर्णय

नेतन्याहू ने ट्रंप को एक निर्णायक नेता के रूप में प्रदर्शित किया। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने पहले की तरह कभी भी सौदेबाजी करने का प्रयास नहीं किया। ट्रंप ने ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते को तोड़कर स्पष्ट किया कि ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते। इसके अलावा, उन्होंने कासिम सुलेमानी, जो ईरानी जनरल थे, को मारकर अपनी स्थिति को और मजबूत किया। इस प्रकार, ट्रंप ने ईरान को स्पष्ट संदेश दिया।

ईरान का जवाब और भविष्य की चुनौतियाँ

ईरान ने इस दावे के जवाब में इजरायली शहरों पर बैलिस्टिक मिसाइल हमले किए हैं, लेकिन ईरान के कई प्रक्षेपास्त्र विफल हो गए हैं। नेतन्याहू का मानना है कि इजरायल के आक्रामक उपायों के कारण ईरानी परमाणु कार्यक्रम गंभीर खतरे में पड़ा है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ईरान के साथ बातचीत को आवश्यक नहीं मानती, क्योंकि यह आतंकवाद को बढ़ावा दे सकता है।

निष्कर्ष

इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य कितना जटिल हो गया है। ईरान का बढ़ता प्रभाव और नेतन्याहू का अमेरिका के प्रति समर्थन दोनों ही महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। क्या आने वाले समय में ईरान अपनी योजनाओं को सफल कर पाएगा, या इजरायल और अमेरिका मिलकर इसे रोक पायेंगे? यह देखने वाली बात होगी।

इसके अलावा, अपने पाठकों को यह बताना भी महत्वपूर्ण है कि ऐसे घटनाक्रम से न केवल दो देशों के बीच के रिश्ते प्रभावित होते हैं, बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा पर भी इसका गहरा असर पड़ता है।

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